सोशल मीडिया कॉलेज छात्रों के लिए किस हद तक उपयोगी ?

किसी भी वस्तु का प्रयोग लाभकारी या हानिकारक हमेशा मनुष्य द्वारा किये गए उसके उपयोग की भावना पर आधारित होता है. यह हमेशा मनुष्य के उचित या अनुचित उपयोग पर निर्भर करता हैं. अतः कॉलेज के छात्रों द्वारा सोशल मीडिया का इस्तेमाल अगर समुचित रूप से सोच समझकर किया जाय तो यह उनके लिए बहुत लाभकारी है.

सोशल मीडिया
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टेक्नोलॉजी के इस युग में संचार के माध्यमों में क्रांतिकारी परिवर्तन आये हैं. आजकल सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म जानकारी के मुख्य श्रोत बनते जा रहे हैं. कोई भी न्यूज आप अति शीघ्र सोशल मीडिया से प्राप्त कर लेते हैं इतना ही नहीं उस पर लोगों की राय तथा देश की जनता की प्रतिक्रिया क्या है ? आप यह भी जान लेते हैं. प्रारम्भिक अवस्था में तो सोशल मीडिया बहुत लाभदायक संचार माध्यम प्रतीत होता है लेकिन हर सिक्के के दो पहलू होते हैं और सोशल मीडिया के भी सकारात्मक तथा नकारात्मक दोनों ही प्रभाव हैं.

कई संस्थाओं ने समाज पर सोशल मीडिया का प्रभाव विशेष रूप से छात्रों और युवाओं के मन मस्तिष्क पर पड़ने वाले इसके प्रभावों के ऊपर बहुत मंथन किया है. वस्तुतः किसी भी चीज का उचित और अनुचित उपयोग पूरी तरह उपयोगकर्ता पर निर्भर करता है. इसके लिए वस्तु विशेष को गलत नहीं ठहराया जा सकता है. आज कल छात्रों द्वारा सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर हर जगह चर्चा हो रही है. अतः यहाँ इस मुद्दे पर प्रकाश डालने की कोशिश की गयी है.

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सोशल मीडिया कॉलेज छात्रों के लिए उपयोगी है : आजकल सोशल मीडिया हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बन चूका है. इसके जरिये हम तात्कालिक और नवीनतम घटनाओं से हमेशा अपडेट रहते हैं. इससे हमारे सामान्य ज्ञान में बिना किसी कठिन परिश्रम के सहज ही बढ़ोत्तरी होती है. इसके जरिये हम बहुत कुछ सीखते हैं तथा अपने सभी मित्रों और रिश्तेदारों से कनेक्ट रहते हैं.कभी कभी तो इस मीडिया के जरिये हमारी मित्रता किसी अनजान आदमी से भी हो जाती है और कुछ मामलों में तो ये अनजान सम्बन्ध भी प्रगाढ़ सम्बन्धों का रूप ले लेते हैं.

आजकल के कॉलेज  छात्र बहुत ज्यादा तकनिकी प्रेमी होने के साथ साथ इसके इस्तेमाल में कुशल भी हैं. वे इसका इस्तेमाल सिर्फ कक्षाओं या पाठ्यपुस्तकों तक ही नहीं करते बल्कि वीडियो कॉलिंग द्वारा देश विदेश में बैठे अपने किसी भी रिश्तेदार के विषय में पूरी जानकारी रखते हैं. सोशल मीडिया ने ऑनलाइन कनेक्शन के जरिये भूमंडलीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

ऐसे व्यक्ति जो सार्वजानिक रूप से बोलने में संकोच करते हैं वे अपने ऑडियो,वीडियो सन्देश के जरिये अपनी फीलिंग्स या अपने सन्देश को बड़ी आसानी से लोगों तक पहुंचा सकते हैं. कक्षा में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीखना अब एक आम बात हो गयी है. अब सेमीनार या कॉन्फ्रेंस में बिना शामिल हुए ही वीडियो कॉलिंग के जरिये अपनी बात वहां रखी जा सकती है तथा सेमिनार या कॉन्फ्रेंस की पूरी घटनाओं से अवगत हुआ जा सकता है. इससे समय और पैसे दोनों की बचत होती है.

कई ऐसे एप्स हैं जो कॉलेज के छात्रों के लिए बहुत फायदेमंद हैं, जिसे अपनी आवश्यक्ता के अनुरूप डाउनलोड कर कई कार्यों को आसानी पूर्वक किया जा सकता है.

सोशल मीडिया कॉलेज छात्रों के लिए हानिकारक है : वस्तुतः स्कूल के छात्र अपरिपक्व होते हैं तथा वे अभी अपना भला बुरा नहीं समझ सकते हैं. इस उम्र में वे बड़ी आसानी से गलत चीजों के प्रति आकर्षित हो अपने पथ से विचलित हो सकते हैं. कभी कभी वे पूर्ण जानकारी के अभाव में पक्षपात तथा पूर्वाग्रह जैसी भावनाओं के शिकार हो सकते हैं.

दरअसल सोशल मीडिया पर कभी कभी गलत और अतिसंवेदनशील मुद्दों को भी गलत तरीके से पोस्ट किया जाता है जो कई बार समाज में संघर्ष की स्थिति उत्पन्न करता है. अगर कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर बहुत ज्यादा व्यस्त रहता है तो संभवतया वह अपने अन्य सामजिक सम्बन्धों से कटता चला जाता है.

बहुत सारे लोग तो इस प्लेटफ़ॉर्म पर इतने व्यस्त हैं कि वे अपनी वास्तविक दुनिया से ही अलग थलग हो गए हैं. कभी कभी सोशल मीडिया का उपयोग गलत मंशा से लोगों को उकसाने के लिए भी किया जाता है, जिसका परिणाम कई मामलों में बहुत हानिकारक होता है.  

कभी कभी अवांछित लेखों और घटनाओं को पढ़ने या देखने के कारण कॉलेज के छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाती है जो किसी भी हालत में एक छात्र के भविष्य के लिए उचित नहीं है .

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कॉलेज के छात्र अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर न लगाकर बेकार की चीजों को देखने में अपना समय व्यतीत करते हैं जो उनके सुनहरे भविष्य की राह में बाधा पहुंचा सकते हैं.

अतः कॉलेज के छात्रों द्वारा सोशल मीडिया का इस्तेमाल अगर समुचित रूप से सोच समझकर किया जाय तो यह उनके लिए बहुत लाभकारी है. गौरतलब है कि किसी भी वस्तु का प्रयोग लाभकारी या हानिकारक हमेशा मनुष्य द्वारा किये गए उसके उपयोग की भावना पर आधारित होता है. उदाहरण के लिए एक माचिश की तिल्ली से गैस जलाकर आप बहुत सारे लोगों के लिए भोजन बनाकर उन्हें तृप्त कर सकते हैं जबकि दूसरी तरफ उसी माचिश की तिल्ली से आप किसी का घर जलाकर किसी की जिन्दगी तबाह कर सकते हैं. कहने का मतलब यह है कि वस्तु विशेष अपने आप में हानिकारक या लाभदायक नहीं होते हैं. यह हमेशा मनुष्य के उचित या अनुचित उपयोग पर निर्भर करता हैं.

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