UP Board कक्षा 10 विज्ञान के 24th चैप्टर : मानव आनुवंशिकी (human genetics) के 2nd पार्ट का स्टडी नोट्स यहाँ उपलब्ध है| हम इस चैप्टर नोट्स में जिन टॉपिक्स को कवर कर रहें हैं उसे काफी सरल तरीके से समझाने की कोशिश की गई है और जहाँ भी उदाहरण की आवश्यकता है वहाँ उदहारण के साथ टॉपिक को परिभाषित किया गया है| इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:
मनुष्य में लिंग निर्धारण (Sex determination in Human) :
मनुष्य की जनन कोशिकाओं में 46 गुणसूत्र होते हैं। इनमें से 22 जोडे नर तथा मादा दोनों में समान होते है अत: इन्हें आँटोसोम्स (autosomes) कहते हैं। स्त्री में प्राचीन जोड़ा भी समान गुणसूत्रों वाला होता है किन्तु पुरुष में 23वें जोडे के गुणासूत्र असमान होते है, इन्हें हेटरोसोम्स (heterosomes) या एलोसोम्स (allosomes) कहते हैं! 23वें जोडे के गुणसूत्र, लिंग गुणसूत्र (sex chromosomes) भी कहलाते हैं। स्त्री में 23वें जोडे के गुणासूत्रों को XX द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। पुरुष में 23 3वें जोड़े के गुणसूत्र में एक लम्बा, किन्तु दूसरा काफी छोटा होता है और इन्हें XY से प्रदर्शित करते हैं।
युग्मकजनन (gametogenesis) के समय, अर्द्धमूत्री विभाजन द्वारा युग्मकों (gametes) का निर्माण होता है और युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या अगुणित (haploid) रह जाती हैं अर्थात् युग्मक में
प्रत्येक जोडे का एक ही गुणसूत्र (chromosome) होता हैं। इस प्रकार स्त्री में बने हुए सभी युग्मक (अण्ड) 22+X गुणासूत्रों वाले किन्तु पुरुष के युग्मक (शुक्राणु) दो प्रकार के 22+X तथा 22+Y गुणसूत्रों वाले बनते हैं। निषेचन के समय नर से प्राप्त शुक्राणु (Y - गुणसूत्र वाला या X - गुणसूत्र वाला) अण्ड से मिलता की इसके फलस्वरूप बने युग्मनज (zygote) में 44 + XX या 44 + XY गुणसूत्र हो सकते हैं
अर्थात लिंग का निर्धारण निषेचन के समय ही शुक्राणु के गुणसूत्र के आधार पर हो जाता है, क्योकि लिंग गुणसूत्र (sex chromosome) के अनुसार बनने वाले युग्मनज निम्नलिखित प्रकार से नर या मादा शिशु में विकसित होते हैं-
44 + XY नार शिशु (लड़का)
44 + XX मादा शिशु (लड़की)
मनुष्य के अतिरिक्त XY लिंग गुणसूत्र अनेक प्राणियों में पाए जाते हैं| पक्षियों में नर स्मयुग्म्की (ZZ) तथा मादा विषमयुग्मकी (ZW) होते हैं अर्थात इनमें अंड दो प्रकार के बनते हैं| आधे Z गुणसूत्र वाले तथा आधे W गुणसूत्र वाले| सभी शुक्राणु Z गुणसूत्र वाले होते हैं| इनमें लिंग का निर्धारण अंडाणु द्वारा होता है| सभी जीवधारियों में लिंग निर्धारण मेंडेल के नियम के अनुसार होता है|
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : जीवन की प्रक्रियाएँ, पार्ट-VII
लिंग – सहलग्न लक्षण (Sex - linked Characters) :
सामान्यत: लिंग गुणसूत्रों पर जिन लक्षणों के जिन्स होते हैं, उनका लैंगिक गुणों (sexual characters) से होता है| ये जिन्स ही जन्तु में लैंगिक द्विरुप्ता (sexual dimorphism) के लिए जिम्मेदार होते हैं, लिंग गुणसूत्रों पर लैंगिक वाले जिन्स भी होते हैं| इनको लिंग-सहलगन जीन्स तथा लक्षण को लिंग - सहलग्न लक्ष्ण कहते हैं| इनकी वंशागति लिंग-सहलगन वंशागति (sex-linked inheritance) अथवा लिंग-सहलगनता (sex-linkage) कहलाती है| मनुष्य में इस प्रकार के 100 से भी अधिक लक्षण पाए जाते हैं|
‘X’ सहलग्न लक्षण “वरनान्ध्ता” की वंशागति (Inheritance of X – linked character “Colourblindness”) :
उदाहरण: 1. सामान्य स्त्री तथा वर्णान्ध पुरुष की सन्तानों में सभी पुत्रियाँ वर्णान्ध लक्षण की वाहक और सभी पुत्र सामान्य होंगे|
उदाहरण: 2. वाहक स्त्री तथा सामान्य लक्षण वाले पुरुष की सन्तानों में 50% पुत्रियाँ सामान्य, 50% पुत्रियाँ वाहक, 50% पुत्र सामान्य तथा 50% पुत्र वर्णान्ध होते है|
उदाहरण: 3. वर्णान्ध पुरुष तथा वाहक स्त्री की सन्तानों में 50% पुत्रियाँ वर्णान्ध, 50% पुत्रियाँ वाहक, 50% पुत्र वर्णान्ध तथा 50% पुत्र सामान्य होंगे|
हिमोफीलिया (Haemophilia) :
हिमोफीलिया (haemophilia) एक लिंग-सहलग्न (sex-linked) रोग है| इसके जीन लिंग गुणसूत्रों में सहलग्न होते है और पीढ़ी – दर – पीढ़ी चलते रहते है| हिमोफीलिया रोग प्राय: पुरुषों में होता है, परन्तु स्त्रियों द्वारा पुत्रों में पीढ़ी – दर – पीढ़ी पहुंचता रहता है| इस रोग में रोगी को चोट लगनें पर रुधिर का थक्का नहीं बनता, रुधिर निरन्तर बहता रहता है| रोगी में रक्त का थक्का बनाने के लिए उतरदायी कारक का आभाव होता है|
(1) सामान्य पुरुष तथा हीमोफिलिया की वाहक स्त्री की संतानों में 50% पुत्र सामान्य, 50% पुत्र हीमोफिलिक, 25% पुत्रियाँ सामान्य तथा 25% पुत्रियाँ सामान्य तथा 25% पुत्रियाँ हीमोफिलिया के लिए वाहक होती हैं|
UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : जीवन की प्रक्रियाएँ, पार्ट-VIII
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