UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव, पार्ट-II

आज हम UP Board कक्षा 10 विज्ञान के आठवे अध्याय विधुत धारा का चुम्बकीय प्रभाव के दुसरे पार्ट का नोट्स उपलब्ध कर रहें हैं, इस आर्टिकल में विज्ञान के आंठ्वे चेप्टर के सभी बिन्दुओं को काफी सरल तरीके से समझाया गया है| जो आपके रिविज़न के लिए तथा सभी टॉपिक को ठीक तरीके से समझने के लिए काफी महत्वपूर्ण रहेगा|

Nov 19, 2018, 11:13 IST
UP Board class 10th science notes on megnetic effect of electric current Part II
UP Board class 10th science notes on megnetic effect of electric current Part II

यहाँ UP Board कक्षा 10 वीं विज्ञान अध्याय : विधुत धारा का चुंबकीय प्रभाव के दुसरे भाग के लिए स्टडी नोट्स उपलब्ध करवाए जा रहें हैं। विधुत धारा का चुंबकीय प्रभाव यूपी बोर्ड कक्षा 10 विज्ञान का सबसे महत्वपूर्ण अध्यायों में से एक है। इसलिए, छात्रों को इस अध्याय को अच्छी तरह तैयार करना चाहिए। यहां दिए गए नोट्स यूपी बोर्ड की कक्षा 10 वीं विज्ञान बोर्ड की परीक्षा 2018 और आंतरिक परीक्षा में उपस्थित होने वाले छात्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित होंगे। इस लेख में हम जिन टॉपिक को कवर कर रहे हैं वह यहाँ अंकित हैं:

1. धारावाही परिनालिका की छड़ चुम्बक में समानता

2. सीधे धारावाही तार का चुम्बकीय क्षेत्र

3. दाएँ हाथ के अंगूठे का नियम

4. धारावाही कुंडली की बल-रेखाएं

5. बल रेखाओं की दिशा ज्ञात करने का नियम

6. मैक्सवेल के दक्षिणावर्ती पेंच का नियम

7. दाएँ हाथ की हथेली का नियम नंबर 1

8. धारावाही चालक पर बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव क्षेत्र का प्रभाव

9. धारावाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण लगने वाले बल का सूत्र

धारावाही परिनालिका की छड़ चुम्बक में समानता :

1. छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों को सवतंत्रतापूर्वक लटकाए जाने पर दोनों के अक्ष उत्तर एवं दक्षिण दिशा में रुकते हैं|

2. छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों के समान ध्रुवों में प्रतिकर्षण एवं असमान ध्रुवो में आकर्षण होता है|

3. छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं|

4. छड़ चुम्बक एवं धारावाही परिनालिका दोनों के निकट कम्पास सुई लाने पर सुई विक्षेपित हो जाती है|

5. छड़ चुम्बक एवं सवतंत्रतापूर्वक लटकी हुई धारावाही परिनालिका के निकट कोई धारावाही तार लाने पर दोनों विक्षेपित हो जाते हैं|

सीधे धारावाही तार का चुम्बकीय क्षेत्र :

जब किसी चालक तार में विधुत धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है| इस क्षेत्र की बल रेखाओं को हम लिहे की रेतन अथवा कम्पास सुई द्वारा खींच सकते हैं|

magnetic effect of electric current first diagram

इसके लिए कार्ड(या लकड़ी) के टुकड़े को क्षैतिज आधार पर रखते हैं| इसके बिच में छेद कर के उसमें से सीधा एक तार निकालते हैं| लकड़ी के बोर्ड पर सादा कागज़ फैला कर आलपिन लगा देते हैं जिससे वह बोर्ड पर चिपका रहे| तार के सिरों को एक कुंजी के द्वारा सेल से जोड़ देते हैं| कुंजी लगातार तार में विधुत धारा प्रवाहित करते हैं, जिससे तार के चारो ओर एक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है| अब लोहे के बुरादे को कागज़ पर फैलाकर हलके हाथ से ठोक देते हैं| जिससे लोहे का बुरादा व्यवस्थित हो जाता है| यही प्रयोग कम्पास सुई को तार के पास लाकर दोहराते हैं| कम्पास सुई एक निश्चित दिशा में रुक जाती है| उस दिशा को पेंसिल से कागज़ पर चिन्हित कर देते हैं| फिर इस चिन्ह पर कम्पास सुई को रखते हैं और पुनः उसकी दिशा को चिन्हित कर देते हैं| इसप्रकार चिन्हित करते हुए कम्पास सुई को उसी दिशा में आगे बढ़ाते जाते हैं| अंत में इन सभी वृतों के केंद्र तार पर स्थित होते हैं| इस तरह से प्राप्त ये संकेंद्रित वृत ही सीधे तार में धारा बहने के कारण चुम्बकीय क्षेत्र की बल रेखाएं हैं|

यदि तार में विधुत धारा की दिशा निचे से ऊपर की ओर है तो बल रेखाओं की दिशा वामावर्त होगी| इसके विपरीत, यदि विधुत धारा की दिशा ऊपर से निचे की ओर है तो बल रेखाओं की दिशा दक्षिणावर्त होगी|

दाएँ हाथ के अंगूठे का नियम :

magnetic effect of current second diagram

चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा तथा दाएँ हाथ के अंगूठे का नियम से धारावाही चालक के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात की जाती है| इस नियमानुसार, यदि दाएँ हाथ की उँगलियों को मोड़ कर, अंगूठे को इसके लम्बवत कर लें तब, यदि किसी धारावाही चालक में अंगूठे की दिशा में विधुत धारा प्रवाहित हो रही हो तो उँगलियां चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा प्रदर्शित करेंगी|

धारावाही कुंडली की बल-रेखाएं :

magnetic effect of current

इसके लिए एक मोटे तार को वृतीय कुंडली के रूप में मोड़कर एक क्षैतिज गत्ते PQRS के दो सुराखों A और B में से निकालते हैं और इसमें विधुत धारा प्रवाहित करते हैं| गत्ते पर सफ़ेद कागज़ चिपका कर कम्पास सुई की सहायता से बल रेखाएं खींचते हैं|

1. कुंडली के केंद्र पर बल रेखाएं समांतर तथा कुंडली के तल के लम्बवत होती है| केंद्र के बल रेखाओं का समांतर होना यह प्रकट करता है कि धारावाही कुंडली के केंद्र पर चुम्बकीय क्षेत्र लगभग एक समान है तथा उसकी दिशा कुंडली के तल के लम्बवत है|

2. कुंडली के किनारों पर बल-रेखाएं वृत्ताकार होती हैं| तार से दूर जाने पर इनकी वक्रता कम होती है|

3. कुंडली के ताल को सामने से देखने पर यदि विधुत धारा की दिशा दक्षिणावर्त है तो सामने का तल दक्षिणी ध्रुव (S) होगा और यदि विधुत धारा वामावर्त है तो सामने का तल उत्तरीय ध्रुव (N) होगा|

बल रेखाओं की दिशा ज्ञात करने का नियम:

मैक्सवेल के दक्षिणावर्ती पेंच का नियम : इस नियमानुसार, यदि किसी पेंचकस को दाएँ हाँथ में पकड़ कर इस प्रकार घुमाएँ की पेंच की नोख विधुत धारा बहने की दिशा में चले तो जिस दिशा में पेंच को घुमाने के लिए अंगूठा घूमता है, वाही चुम्बकीय बल रेखाओं की दिशा होगी|

दाएँ हाथ की हथेली का नियम नंबर 1 :

magnetic effect of current forth diagram

इस नियमानुसार, यदि हम दाएँ हाथ का पूरा पंजा फैला कर इसप्रकार रखें कि अंगूठा चालक में बहने वाली विधुत धारा की दिशा तथा फैली हुई उँगलियाँ उस बिंदु की ओर संकेत करे, जिसपर विधुत धारा के कारण उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात करनी है तो चुम्बकीय क्षेत्र B की दिशा हथेली के लम्बवत बाहर की ओर होगी|

धारावाही चालक पर बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र का प्रभाव क्षेत्र का प्रभाव : जब किसी धारावाही चालक को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखते हैं तो चालक पर एक बल कार्य करने लगता है| इस बल की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र तथा विद्युत धारा दोनों के लम्बवत् होती है| चित्र के अनुसार दो चालक छड़ों के द्वारा एक पतले एवं लचीले तार PQ को स्थायी चुम्बक के ध्रुवों N तथा S के बीच इस प्रकार रखते हैं कि तार PQ, चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत् रहे| जब चालक तारों को एक कुंजी एवं सेल से जोड़कर जैसे ही तार PQ में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो तार PQ ऊपर की ओर उठकर तन जाता है, जिसके स्पष्ट होता है कि तार PQ, पर एक बल ऊपर की ओर लग रहा है| यदि चुम्बक के ध्रुवों को उलट दिया जाता है तो तार नीचे की ओर तन जाता है अर्थात् अब तार पर बल नीचे की ओर लगता है|

इस प्रयोग से यह निष्कर्ष निकलता है कि यदि किसी धारावाही को बाह्य चुम्बकीय क्षेत्र में रखा जाए तो उस पर एक बल लगता है| इस बल की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा एवं विद्युत धारा की दिशा पर निर्भर करती है|

धारावाही चालक पर चुम्बकीय क्षेत्र के कारण लगने वाले बल का सूत्र :

magnetic effect of current 5th diagram

यदि कोई चालक (धारावाही) चुम्बकीय क्षेत्र के 1. समांतर, 2. लम्बवत, 3. 45 का कोण बनाता हो तो प्रत्येक दशा में चालक पर लगने वाले बल का सूत्र :

magnetic effect of current

magnetic effect of current 2

magnetic effect of current 3

UP Board कक्षा 10 विज्ञान चेप्टर नोट्स : विधुत धारा का उष्मीय प्रभाव, पार्ट-II

 

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Education Desk

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