आज भी भारत की पहचान पूरी दुनिया में एक विकासशील देश के तौर पर होती है. निसंदेह आज भी हमारे देश के करोड़ों स्टूडेंट्स को अनेक सामाजिक, आर्थिक, पारिवारिक या अन्य कई कारणों से अपनी स्कूल, कॉलेज की स्टडीज़ पूरी करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है. जिन स्टूडेंट्स को अपनी 10वीं या 12वीं क्लास पास करते ही कोई जॉब ज्वाइन करनी पड़ती है, वोकेशनल कोर्सेज उनके लिए एक वरदान साबित हो सकते हैं. दरअसल, इन वोकेशनल कोर्सेज के माध्यम से अपनी मनचाही करियर लाइन में कोई डिप्लोमा या सर्टिफिकेट हासिल करने के बाद स्टूडेंट्स अपनी पसंद की जॉब ज्वाइन कर सकते हैं और फिर, अगर स्टूडेंट्स चाहें तो अपनी जॉब के साथ-साथ अपनी हायर स्टडीज़ भी जारी रख सकते हैं. इसलिए, इस आर्टिकल में पढ़ें वोकेशनल कोर्सेज के बारे में पूरी जानकारी. हमें उम्मीद है कि वोकेशनल कोर्स से जुड़ी यह जानकारी आपके लिए काफी फायदेमंद रहेगी. आप अपनी पसंद के मुताबिक कोई वोकेशनल कोर्स करके बड़ी आसानी से मनचाही जॉब प्राप्त कर लेंगे.

वोकेशनल कोर्सेज का परिचय
‘वोकेशनल कोर्सेज’ ऐसे कोर्सेज होते हैं जिनका लक्ष्य आमतौर पर किसी पेशे या फील्ड के लिए स्टूडेंट्स या पेशेवरों को प्रैक्टिकल स्किल्स सिखाना होता है. ये कोर्सेज किसी जॉब फील्ड के मुताबिक स्टूडेंट्स को तैयार करने के लिए ‘टेलर मेड’ होते हैं. इसलिए, इन कोर्सेज में से अपनी पसंद का कोई वोकेशनल कोर्स करने के बाद आप उस कोर्स से संबद्ध करियर फील्ड में अपने स्किल्स को अपग्रेड कर सकते हैं.
ट्रेडिशनल कोर्सेज और वोकेशनल कोर्सेज में प्रमुख अंतर
बीए, बीकॉम, बीएससी या एमए, एमकॉम, एमएससी तथा अपनी स्टडी फील्ड में पीएचडी की डिग्री को ट्रेडिशनल कोर्सेज की श्रेणी में शामिल किया जा सकता है. इन कोर्सेज की पढ़ाई क्लासरूम टीचिंग मॉडल के माध्यम से करवाई जाती है और स्टूडेंट्स को विभिन्न कॉन्सेप्ट्स की जानकारी थ्योरी और केस स्टडी के जरिये दी जाती है.
वोकेशनल कोर्सेज में स्टूडेंट्स को प्रैक्टिकल ऑन-साइट एक्सपीरियंस के माध्यम से लर्निंग और वर्क ट्रेनिंग दी जाती है. इन कोर्सेज में क्लासरूम लेक्चर्स कम दिए जाते हैं. किसी वोकेशनल कोर्स को पूरा करने के बाद स्टूडेंट्स को संबद्ध फील्ड की काफी प्रैक्टिकल नॉलेज/ वर्क ट्रेनिंग मिल जाती है जिससे वे संबद्ध फील्ड में जॉब बड़ी आसानी से कर सकते हैं.
यद्यपि आज भी अधिकांश स्टूडेंट्स वोकेशनल कोर्सेज के बजाय ट्रेडिशनल कोर्सेज को ज्यादा महत्व देते हैं. लेकिन एक वास्तविकता यह भी है कि, आज भी बेरोज़गार कॉलेज ग्रेजुएट्स की संख्या काफी अधिक है. ऐसी किसी स्थिति से बचने के लिए अपनी संबद्ध फील्ड और पसंद के मुताबिक कोई वोकेशनल कोर्स करना आपकी करियर ग्रोथ और जॉब या पेशे के लिए बहुत फायदेमंद साबित होता है. कैसे? आइये पढ़ें:
वोकेशनल कोर्स करने से मिलने वाले प्रमुख फायदे
- इंडस्ट्री स्पेसिफिक फील्ड: वोकेशनल कोर्स मुख्यतः छात्रों के लिए जीन स्किल्स पर ध्यान देता है वह हॉस्पिटैलिटी, हेल्थ केयर, ऑटो मोबाइल्स, एनीमेशन, फैशन तथा टेक्सटाइल आदि से जुड़े होते हैं.
- करियर ग्रोथ का असरदार माध्यम: जो छात्र अपने रूचि के अनुसार वोकेशनल संस्थानों से डिग्री हासिल करते हैं वह आगे अपने करियर में इसके आधार पर एक सही मार्गदर्शन आसानी से प्राप्त कर सकते हैं.
- प्रोफेशनल स्किल्स: वोकेशनल एजुकेशन तथा ट्रेनिंग के दौरान छात्रों को प्रोफेशनल एथिक्स तथा स्किल्स की भी शिक्षा प्रदान की जाती है जो उनके करियर ग्रोथ के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
- स्किल्ड एम्पलॉईज की मांग: किसी भी इंडस्ट्री में आज के समय स्किल्ड एम्पलॉईज की अधिक मांग होती है जो कंपनी के काम को अच्छी तरह समझ कर उसमे लम्बे समय तक अपना योगदान दे सकें. यहाँ आपके वोकेशनल कोर्स के स्किल्स काफी मददगार साबित होते हैं.
- शॉर्ट-टर्म कोर्सेज: वोकेशनल कोर्सेज की अवधि ज्यादा लंबी न होने के कारण छात्रों का समय भी बचता है, अधिकतर कोर्स 3 से 6 महीने की अवधि के होते हैं जिस कारण छात्र आसानी से अपने कोर्स को पूरा करने के बाद आगे के करियर का प्लान कर सकते हैं.
जॉब ऑफर या करियर गोल्स के लिए वोकेशनल कोर्सेज का महत्व:
लगभग 1.35 अरब की आबादी वाले हमारे देश में बहुत से यंगस्टर्स/ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें बचपन में एक सुरक्षित माहौल नहीं मिला होता है और जिस वजह से उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाती है. दृढ संकल्प के बावजूद अगर 10वीं या 12वीं के बाद आगे की पढाई नहीं कर पाये और आपकी कई तरह की सामाजिक, आर्थिक मजबूरियां हैं तो विभिन्न वोकेशनल कोर्सेज आपको अपनी मंजिल तक पहुंचाने का आसान रास्ता बन सकते हैं.
मिनिस्ट्री ऑफ़ माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइसेज सहित कई राज्य स्तरीय संस्थान विभिन्न वोकेशनल कोर्स कराते हैं. इन वोकेशनल कोर्सेज में से अपनी पसंद का कोई कोर्स कर लेने पर आप अपनी मनचाही फील्ड में जॉब कर सकते हैं या फिर, अपना कारोबार भी कर सकते हैं. वोकेशनल कोर्स उन सभी छात्रों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो अपना करियर 10वीं या 12वीं क्लास के बाद ही शुरू करना चाहते हैं, छात्र अपने रूचि के अनुसार वोकेशनल कोर्स के द्वारा अपने स्किल्स को इम्प्रूव कर सकते हैं. जो छात्र कक्षा 12वीं में विफल रहे हैं उनके लिए भी कक्षा 10वीं के आधार पर कई तरह के कोर्स उपलब्ध हैं.
भारत में 10 वीं/ 12 वीं क्लास के बाद स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध हैं ये प्रमुख वोकेशनल कोर्सेज
- डिप्लोमा इन फ़ूड एंड बिवरेज सर्विस
- डिप्लोमा इन बेकरी एंड कन्फेक्शनरी
- डिप्लोमा इन क्राफ्ट कोर्सइन फ़ूड प्रोडक्शन
- डिप्लोमा इन कुकरी
- डिप्लोमा इन हाउस कीपिंग
- डिप्लोमा इन हाउस कीपिंग
- डिप्लोमा इन रेस्टोरेंट एंड काउंटर सर्विस
- डिप्लोमा इन ब्यूटी कल्चर
- डिप्लोमा इन हेयर स्टाइल
- डिप्लोमा इन ट्रेवल एंड टिकटिंग
- डिप्लोमा इन ऑडिटिंग एंड फाइनेंस
- डिप्लोमा इन इंस्ट्रूमेंट रिपेयरिंग
- डिप्लोमा इन फैशन डिजाइनिंग
- डिप्लोमा इन डाई मेकिंग
- डिप्लोमा इन फ़ूड टेक्नोलॉजी
- डिप्लोमा इन वेडिंग कार्ड्स एंड नेम प्लेट्स की प्रिंटिंग
- डिप्लोमा इन जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी
- डिप्लोमा इन फार्मेसी
- डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी/ पीएस
- डिप्लोमा इन होटल रिसेप्शन एंड बुक कीपिंग
- होटल एंड हॉस्पिटैलिटी ऑपरेशन मैनेजमेंट
- डिप्लोमा इन आर्किटेक्चरल असिस्टेंटशिप
- डिप्लोमा इन ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन केमिकल इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन कंप्यूटर इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स (माइक्रोप्रोसेसर)
- डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन फैशन डिज़ाइन
- डिप्लोमा इन फ़ूड टेक्नोलॉजी
- डिप्लोमा इन गारमेंट टेक्नोलॉजी
- डिप्लोमा इन इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी
- डिप्लोमा इन इंस्ट्रूमेंटेशन टेक्नोलॉजी
- डिप्लोमा इन इंटीरियर डिजाईन एंड डेकोरेशन
- डिप्लोमा इन लेदर टेक्नोलॉजी
- डिप्लोमा इन लेदर टेक्नोलॉजी (फुटवियर)
- डिप्लोमा इन लाइब्रेरी एंड इनफार्मेशन साइंस
- डिप्लोमा इन लेदर टेक्नोलॉजी
- डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग (रेफ्रीजरेशन एंड एयरकंडीशनिंग)
- डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग (टूल एंड डाई)
- डिप्लोमा इन मरीन इंजीनियरिंग
- डिप्लोमा इन मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी
- डिप्लोमा इन प्लास्टिक टेक्नोलॉजी
- डिप्लोमा इन प्रोडक्शन एंड इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी
- डिप्लोमा इन टेक्सटाइल प्रोसेसिंग
- टेक्सटाइल डिजाइनिंग
- फैशन डिजाइनिंग
- हेयर एंड स्किन केयर
- इवेंट मैनेजमेंट
- ऑफिस मैनेजमेंट
- हॉस्पिटल एंड हेल्थ केयर मैनेजमेंट (नर्सिंग)
- इंग्लिश कम्युनिकेशन एंड प्रेजेंटेशन स्किल्स
- कास्मेटिक एंड लाइफस्टाइल प्रोडक्ट डिजाइनिंग
- कैटरिंग मैनेजमेंट
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