भारत में आजकल हर साल लाखों स्टूडेंट्स अपनी 12वीं क्लास पास करने के बाद देश के किसी अच्छे कॉलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं. लेकिन, अक्सर हममें से बहुत से लोगों को डीम्ड यूनिवर्सिटी के बारे में कुछ पता नहीं होता या फिर हमें इस बारे में विशेष जानकारी नहीं होती है. यह भी फैक्ट है कि, अगर आपको भारत के किसी कॉलेज में एडमिशन लेना है तो आपको जरुर यूनिवर्सिटी और डीम्ड यूनिवर्सिटी के बारे में अच्छी तरह पता होना चाहिए. हमारे देश में कुछ गवर्मेंट इंस्टिट्यूशन जैसे ‘स्टेट यूनिवर्सिटी’ होते हैं तो कुछ अन्य प्राइवेट केटेगरी में शामिल होते हैं और कुछ को ‘डीम्ड यूनिवर्सिटीज़’ के तौर पर जाना जाता है. लेकिन जब अपने भविष्य के निर्माण के लिए सही इंस्टिट्यूट चुनने का मामला हो तो स्टूडेंट्स को वास्तव में इस बात पर जरुर ध्यान देना चाहिए कि उनके द्वारा चुना जाने वाला इंस्टिट्यूट कोई सरकारी यूनिवर्सिटी है या कोई डीम्ड यूनिवर्सिटी.....
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुसार यूनिवर्सिटी ग्रांट्स काउंसिल या विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा हाल ही में दिये गए निर्देश में 123 डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ को अपने नाम के साथ ‘यूनिवर्सिटी’ शब्द जोड़ने से रोक दिया गया है. इस निर्देश से कुछ बहुत प्रसिद्ध इंस्टिट्यूट्स जैसे IISc बैंगलोर, BIT MESRA और यहां तक कि IIFT दिल्ली भी जांच के दायरे में आ गये हैं. इनमें से कुछ इंस्टिट्यूट्स देश का गौरव हैं और अपनी फील्ड में टॉप रैंकिंग इंस्टिट्यूट्स हैं. ताज़ा 2017 NRIF रैंकिंग्स में, IISc को देश की बेस्ट यूनिवर्सिटी घोषित किया गया है. IIT’s के अलावा यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त यूनिवर्सिटीज़ में से एक है. किसी डीम्ड यूनिवर्सिटी या किसी राज्य स्तर की यूनिवर्सिटी या किसी प्राइवेट यूनिवर्सिटी के बीच वास्तव में क्या फर्क है? आइये इस आर्टिकल को पढ़कर जानें:
‘डीम्ड यूनिवर्सिटी’ और ‘अन्य यूनिवर्सिटी’ के बीच मुख्य अंतर
मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) की वेबसाइट में दिए गए विवरण के अनुसार, “हायर एजुकेशन से संबद्ध कोई भी इंस्टिट्यूट, यूनिवर्सिटीज़ के अतिरिक्त, किसी विशेष स्टडी एरिया में जो बहुत ऊंचे मानदंड या स्टेंडर्ड पर काम कर रहा हो, UGC की सलाह पर केंद्र सरकार द्वारा ऐसा इंस्टिट्यूट ‘डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी/ विश्वविद्यालय की तरह माना जाये’ घोषित किया जा सकता है. ऐसे इंस्टिट्यूट्स जो ‘डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटी’ होते हैं उन्हें किसी यूनिवर्सिटी को मिलने वाले अकेडमिक स्टेटस और सभी फैसिलिटीज प्राप्त होते हैं.”
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इसलिये अगर हम कम शब्दों में बात करें तो डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ असल में यूनिवर्सिटीज़ नहीं हैं लेकिन उन्हें किसी भी यूनिवर्सिटी को मिलने वाले सभी लाभ और सुविधायें प्राप्त होते हैं. जहां एक ओर स्टेट यूनिवर्सिटीज़ को अपने सभी कामकाज चलाने के लिए सुगठित रूल्स एवं रेगुलेशन्स का पालन करना पड़ता है, वहीं दूसरी ओर डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ अपने कोर्सेज और फी स्ट्रक्चर तय करने के लिए स्वतंत्र हैं. MHRD ने हालांकि UGC के माध्यम से डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ के संबंध में एडमिशन नीतियों और फी स्ट्रक्चर को निर्धारित करने की कोशिश की है. इन मामलों में यूनिवर्सिटीज़ अभी भी खुद-मुख्तार या स्वतंत्र हैं. इसके साथ ही, स्टूडेंट्स के बीच यह भी एक आम धारणा है कि डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ का काम करने का तरीका और गठन बेहतर होते हैं. जहां स्टेट यूनिवर्सिटीज़ काफी लंबे समय से मौजूद हैं और किसी राज्य विशेष से संबद्ध होती हैं, डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ अपनी संबद्ध फ़ील्ड्स में जॉब मार्केट्स में होने वाली लेटेस्ट गतिविधियों के अनुसार अक्सर स्टूडेंट्स को एडवांस्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया करवाकर अपनी ओर आकर्षित करती हैं.
डीम्ड यूनिवर्सिटी का स्टेटस हासिल करने के लिए किसी यूनिवर्सिटी द्वारा ये बदलाव करने हैं जरुरी
किसी भी इंस्टिट्यूशन को UGC एक्ट, 1956 के सेक्शन 3 के अनुसार एक डीम्ड यूनिवर्सिटी का स्टेटस मिल सकता है. एक डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त करने के लिए किसी भी इंस्टिट्यूशन को कुछ क्राइटेरिया या शर्तें पूरी करनी होती हैं जैसे:
- विभिन्न करीकुलर प्रोविजन्स, टीचिंग में योगदान और वेरीफाई की जा सकने वाली रिसर्च आउटपुट के माध्यम से एक यूनिवर्सिटी के कैरेक्टरिस्टिक्स प्रदर्शित किये हों.
- रिसर्च प्रोग्राम्स के साथ 3 वर्षों से लगातार अंडर ग्रेजुएट और कम से कम पांच पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट्स हों.
- रिसर्च एक्टिविटी, पब्लिकेशन्स और स्कॉलर संबंधी अर्थात विद्वत्तापूर्ण कार्यों में संलग्न हो और डॉक्टरल/ पोस्ट-डॉक्टरल रिसर्च प्रोग्राम्स भी इसमें शामिल हैं. UGC द्वारा लिस्टेड प्रसिद्ध जर्नल्स में प्रत्येक वर्ष ह्युमैनिटीज, सोशल साइंसेज़ और लैंग्वेजिस से संबद्ध फैकल्टीज़ के कम से कम 10 पब्लिकेशन्स हों और साइंसेज़/ मेडिसिन/ इंजीनियरिंग की फैकल्टीज़ के कम से कम 15 पब्लिकेशन्स हों जिन्होंने अच्छा प्रभाव डाला हो.
- UGC/ संबद्ध स्टेट्युटरी काउंसिल के मानकों या नॉर्म्स के अनुसार टीचिंग और रिसर्च के लिए पूरी तरह क्वालिफाइड और फुल-टाइम फैकल्टी सदस्य उचित संख्या में मौजूद हों.
- क्वालिटी रिसर्च और मॉडर्न इनफार्मेशन रिसोर्सेज तक लगातार पहुंच बनाये रखने के लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर होना चाहिये.
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रीसेंट UGC नोटिस: ‘डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटीज़’ का है यह अर्थ
इस नोटिस को एक अलार्मिंग न्यूज़ के तौर पर देखा जा रहा है. इस निर्देश में कुल मिलाकर जो कहा गया है वह यही है कि इंस्टिट्यूशंस अपने नाम से यूनिवर्सिटी शब्द हटा दें. यह नोटिस ऐसी 123 ‘डीम्ड-टू-बी-यूनिवर्सिटीज़’ को भेजा गया है. आम तौर पर देखें तो यूनिवर्सिटीज़ बहुधा ऐसे इंस्टिट्यूशंस या संस्थायें होती हैं जिनके साथ कई कॉलेज एफिलिएटेड या संबद्ध होते हैं. यूनिवर्सिटीज़ इन एफिलिएटेड इंस्टिट्यूशंस के लिए रूल्स एंड रेगुलेशन्स का एक कॉमन सेट तय करती हैं जिनका उन्हें पालन करना होता है. दूसरी ओर किसी भी डीम्ड यूनिवर्सिटी के साथ अन्य इंस्टिट्यूट्स एफिलिएटेड नहीं होते हैं और यह अपने में एक सिंगल एजुकेशनल इंस्टिट्यूट होती है.
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