आजकल भारत के किसी टॉप एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन, कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स को इंटरव्यू देना पड़ता है. भारत के टॉप IITs, IIMs और यूनिवर्सिटीज़ अपने यहां एडमिशन देने के लिए सभी स्टूडेंट्स या कैंडिडेट्स का एंट्रेंस एग्जाम, ग्रुप डिस्कशन और पर्सनल इंटरव्यू लेते हैं. इन दिनों भारत के अधिकांश एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स, कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ में स्टूडेंट्स को इंटर्नशिप भी ज्वाइन करनी पड़ती है और सूटेबल इंटर्नशिप ज्वाइन करने से पहले इन कॉलेज स्टूडेंट्स को इंटरव्यू देना ही पड़ता है. इसी तरह, अगर कॉलेज स्टूडेंट्स कोई पार्ट टाइम जॉब ज्वाइन करके एक्स्ट्रा इनकम कमाना चाहते हैं तो उन्हें पार्ट टाइम जॉब ज्वाइन करने से पहले भी इंटरव्यू देना पड़ता है. कॉलेज आय यूनिवर्सिटी के अंतिम वर्ष में प्लेसमेंट के दौरान तो खैर प्रोफेशनल इंटरव्यू देना ही पड़ता है. लेकिन अधिकतर कॉलेज स्टूडेंट्स इंटरव्यू के नाम से ही घबरा जाते हैं. फिर चाहे यह उनका पहला इंटरव्यू हो या फिर, इन स्टूडेंट्स ने पहले कुछ इंटरव्यू दिए भी हों. हरेक आने वाला इंटरव्यू कॉलेज स्टूडेंट्स के मन में डर और घबराहट के भाव पैदा कर ही देता है. दरअसल, इंटरव्यू रूम के बाहर बैठने पर हर कोई नर्वस हो ही जाता है.
ऐसे में इंटरव्यूअर या इंटरव्यू पैनल इंटरव्यू के बिलकुल शूरु में स्टूडेंट्स या कैंडिडेट्स से 2 – 5 मिनट में उनका खुद का परिचय या सेल्फ-इंट्रोडक्शन लेते हैं तो अधिकतर स्टूडेंट्स इस पहले ही प्रश्न का संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाते हैं और फिर, उन स्टूडेंट्स या कैंडिडेट्स का सारा इंटरव्यू खराब चला जाता है क्योंकि पहले ही प्रश्न से वे काफी कंफ्यूज़ और परेशान जो हो जाते हैं.
लेकिन समय बीतने पर आप अपने इंटरव्यूअर को इम्प्रेस करने के तरीके सीख जाते हैं. आपको पता चल जाता है कि क्या कहना है और क्या नहीं. हालांकि, कुछ सरल इंटरव्यू ट्रिक्स और टिप्स की मदद से कोई भी कैंडिडेट इंटरव्यू में आसानी से सफल हो सकता है. कुछ ऐसे शब्द होते हैं जिन्हें अगर आप अपने बारे में बताते समय इस्तेमाल करें तो इनका इंटरव्यूअर पर काफी अच्छा असर पड़ता है. जबकि कुछ ऐसे शब्द भी होते हैं जिनका इस्तेमाल भूलकर भी नहीं करना चाहिए. आप कुछ छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर अपने भावी एम्प्लोयर के सामने खुद को बहुत अच्छी तरह पेश कर सकते हैं. आइये अब जाने असरदार सेल्फ इंट्रोडक्शन देने के कुछ खास टिप्स:
खुद को बतायें एक रिजल्ट ओरिएंटेड पर्सन
एक और विशेषता जो मैनेजर्स अपने एम्प्लाइज में देखना पसंद करते हैं, वह है वांछित परिणाम प्राप्त करना या काम को बेहतर तरीके से पूरा करना. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपने किस जॉब के लिए अप्लाई किया है, अगर आप अपने काम के बढ़िया नतीजे नहीं देते तो आज नहीं तो कल आपकी कंपनी आपको जाने के लिए कह देगी. अपने भावी एम्प्लोयर को अपने उन कार्य प्रोजेक्ट्स के बारे में बतायें जहां आपने अच्छे और आशातीत परिणाम प्राप्त किये थे. उन्हें टारगेट्स और सामने आई मुश्किलों के बारे में बताएं और यह भी बताएं कि आपने किन तरीकों या नीतियों को अपनाकर उन मुश्किलों का हल निकाला और वांछित नतीजे प्राप्त किये. इससे आपके एम्प्लोयर के मन में आपकी सकारात्कम छवि बनने में मदद मिलेगी और वे आप पर भरोसा भी कर सकेंगे.
खुद को बतायें एक जिम्मेदार व्यक्ति
यह एक बहुत ज्यादा वांछित क्वालिटी है जो इंटरव्यूअर या मैनेजर्स अपने भावी कर्मचारियों में तलाशते हैं. अगर आप खुद को अपने रिज्यूम और स्किल्स के माध्यम से एक जिम्मेदार व्यक्ति की तरह पेश कर सकने के काबिल हैं तो आपको वह नौकरी मिलने के अवसर काफी बढ़ जाते हैं. यह भी याद रखें कि मैनेजर्स केवल उन कर्मचारियों की ही तलाश नहीं करते हैं जो अपने काम की जिम्मेदारी लेते हैं बल्कि वे ऐसे लोगों की तलाश करते हैं जो विशेष काम की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं फिर भले ही वह काम उन्हें अकेले पूरा करना हो या पूरी टीम के साथ. अपने इंटरव्यूअर को ऐसे कामों के बारे में बतायें जहां आपने किसी काम की जिम्मेदारी लेकर उसे नियत समय में पूरा कर दिया हो और उसके वांछित नतीजे निकले हों. इससे यह भी पता चलता है कि आप अपने काम के प्रति कितने समर्पित और भरोसेमंद इंसान हैं.
वर्क एक्सपीरियंस के मिलेंगे एक्स्ट्रा पॉइंट्स
आजकल सभी स्टूडेंट्स के लिए अपने रिज्यूम में स्किल सेक्शन शामिल करना एक आम बात है. तकरीबन हरेक स्टूडेंट अपने स्किल सेट्स के बारे में बढ़-चढ़कर शेखी बधारता है. अब, चाहे यह अच्छा है लेकिन अगर आप अपने पिछले कार्य अनुभव से इसमें कुछ वास्तविक उदाहरण शामिल कर दें तो इससे आपकी बात कई गुना प्रभावी बन जाती है. मान लीजिये कि कोई इंटरव्यूअर आपकी क़ाबलियत के बारे में आपसे सवाल पूछता है तो आप अपने पिछले काम के अनुभव से उदाहरण देते हुए अपनी प्रत्येक क़ाबलियत के बारे में उन्हें बता सकते हैं.
यह बताएं कि इनिशिएटिव लेने के लिए आप रहते हैं हरदम रेडी
जहां जिम्मेदारी आपके सीनियर्स द्वारा आपको सौंपी जाती है, वहीँ किसी काम को करने की पहल आपको अपनी मर्जी से करनी पड़ती है. जब आपको कोई जिम्मेदारी सौंपी जाती है तो आपके पास कोई विकल्प नहीं होता है, आपको वह काम करना ही पड़ता है, भले ही आप उस काम को करना पसंद करें या नहीं. इसके ठीक विपरीत, पहल या इनिशिएटिव एक ऐसी जिम्मेदारी होती है जिसे आप स्वयं अपने ऊपर लेते हैं. इसलिये, इसमें पसंद और नापसंद का तो सवाल ही नहीं पैदा होता है. अगर आप खुद को एक ऐसा व्यक्ति दिखाते हैं जो पहल करने के लिए हमेशा तैयार रहता है तो इससे आप एक जोशीले और स्व-प्रेरित कर्मचारी साबित होते हैं जिस पर हर कोई भरोसा कर सकता है.
रिक्रूटिंग कंपनी के बारे में जानकारी को अपनी बातचीत का हिस्सा बनाएं
यह कहना यहां बेमकसद-सा है कि कोई भी इंटरव्यूअर अपने ऑफिस में आपसे आमने-सामने इंटरव्यू लेने से पहले यह उम्मीद रखता है कि आपको कंपनी के बारे में कुछ जानकारी तो जरुर हो. आप कंपनी के नाम इस्तेमाल करें या कुछ ऐसे प्रोजेक्ट्स पर बात करें जिन पर वे काम कर रहे हैं या फिर, आप इंटरव्यूअर को बतायें कि कंपनी क्यों ज्वाइन करना चाहते हैं; इन बातों से इंटरव्यूअर पर आपका हमेशा के लिए अच्छा इम्प्रैशन पड़ेगा. इंटरव्यूअर को ऐसा लगेगा कि आप वास्तव में काम करना चाहते हैं क्योंकि आपने कंपनी की बैकग्राउंड के बारे में रिसर्च करने की कोशिश जो की है.
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