एनटीएसइ आम से खास बनने का अवसर

Sep 21, 2011, 17:10 IST

किसी भी देश की तरक्की का जिम्मा उसकी आनेवाली पीढी पर होता है यही कारण है कि विश्व के ज्यादातर देश बेहतर प्रतिभा तलाशने के उद्देश्य से शुरुआती स्तर पर ही कई तरह की प्रतिभा परीक्षाएं आयोजित करते हैं

किसी भी देश की तरक्की का जिम्मा उसकी आनेवाली पीढी पर होता है। यही कारण है कि विश्व के ज्यादातर देश बेहतर प्रतिभा तलाशने के उद्देश्य से शुरुआती स्तर पर ही कई तरह की प्रतिभा परीक्षाएं आयोजित करते हैं। इस तरह की परीक्षा में ज्यादा से ज्यादा बच्चों की भागीदारी हो, इसलिए स्कॉलरशिप का भी प्रावधान रखा जाता है। परीक्षा व स्कॉलरशिप की यह योजना निम्न व उच्च दोनों ही स्तरों पर लागू की गई है। दरअसल इस तरह के प्रोग्राम का उद्देश्य समाज, वर्ग, स्टेटस के दायरे से परे जाकर केवल बहुमुखी प्रतिभा की तलाश है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी एनसीइआरटी नेशनल टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन (एनटीएसइ) आयोजित करने जा रही है। बच्चों के साथ-साथ पैरेंट्स और टीचर्स के बीच इस एग्जाम का काफी क्रेज है, क्योंकि इसमें चुने जाने का मतलब ही मेधाओं की दौड में अव्वल आकर अपनी पहचान पुख्ता करना होता है। इस परीक्षा के जरिए हर साल देश भर के एक हजार मेधावी स्टूडेंट्स को चुना जाता है और उन्हें स्कॉलरशिप दी जाती है। यह साल में एक बार होती है। इन सब कारणों से सभी इसका बेसब्री से इंतजार करते हैं।

स्कॉलरशिप नहीं, टैलेंट महत्वपूर्ण

इस परीक्षा का क्रेज इसलिए है, क्योंकि इसमें चयनित स्टूडेंट्स को देश भर के टॉप टैलेंटेड स्टूडेंट्स में शुमार किया जाता है, जिसके चलते उन्हें सरकारी व निजी स्तर पर पढाई में आगे बढने के अच्छे अवसर मिलते हैं। यही नहीं इसमें सफल स्टूडेंट्स को ओलंपियाड जैसे इंटरनेशनल परीक्षाओं में भी सम्मिलित होने का मौका मिलता है। नेशनल टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन(एनटीएसइ) की शुरुआत 1963 में की गई थी। शुरुआत में इस परीक्षा का मूल उद्देश्य देश की उन किशोर प्रतिभाओं की खोज करना था, जिनका टैलेंट पारिवारिक, वित्तीय या फिर दूसरे कई कारणों से प्रारंभिक स्तर पर दम तोड दिया करता था। आज इन छिपी हुई प्रतिभाओं को राष्ट्रीय मंच पर लाना इसका पहला लक्ष्य है। यहां हर साल उत्तीर्ण होने वाले लगभग एक हजार स्टूडेंट्स को प्रति माह 500 रुपये की छात्रवृत्ति दी जाती हैं। यह स्कॉलरशिप नौवीं से लेकर पीएचडी तक हर माह दी जाती है। वैसे राज्य, देश व इंटरनेशनल लेवल पर इससे संबंधित कई तरह की परीक्षाएं होती हैं, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर एनटीएसइ को जो पहचान मिली है, वह अद्वितीय है।

दो स्टेज में परीक्षा


इसकी परीक्षा दो स्तरों में होती है। प्रथम स्टेज में अपने राज्य के अंदर ही परीक्षा देनी पडती है। इसमें सफल अभ्यर्थी ही दूसरे स्टेज की परीक्षा दे पाते हैं। इस चरण में इन स्टूडेंट्स का विभिन्न राज्यों से आए विद्यार्थियों के साथ कंपटीशन होता है। इसमें सिर्फ आठ वर्ग के स्टूडेंट्स ही सम्मिलित हो सकते हैं। इस परीक्षा में सभी स्टेट के स्टूडेंट्स के लिए सीट निर्धारित होतीे हैं और उसी के अनुरूप हर राज्य के स्टूडेंट्स सेलेक्ट होते हैं। प्रथम स्टेज में मेंटल एबिलिटी टेस्ट और स्कॉलैस्टिक टेस्ट होते हैं। मेंटल एबिलिटी के अंतर्गत रीजनिंग, एबिलिटी टू थिंक, एबिलिटी टू जज, इवेल्युएट या डिसक्रिमिनेट, एनालॉगिज, क्लासिफिकेशन, सीरीज, हिडन फीगर्स, कोडिंग-डिकोडिंग, ब्लॉक असेंबली, प्रॉब्लम सॉल्विंग आदि से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं। स्कॉलैस्टिक टेस्ट में सामान्य ज्ञान से संबंधित मैचिंग टाइप, अरेंज द सीक्वेंस, ट्रू एंड फॉल्स स्टेटमेंट्स, पैसेज बेस्ड प्रश्न आते हैं। दूसरे स्टेज में इन दोनों विषयों के अलावा इंटरव्यू भी होते हैं। स्कॉलैस्टिक टेस्ट के अंतर्गत सोशल साइंसेज, साइंसेज ऐंड मैथ्स से संबंधित प्रश्न होते हैं। इसमें सफल होने के बाद इंटरव्यू होता है। इसमें आपके व्यक्तित्व और ज्ञान की मौखिक परख की जाती है। यदि आप इसमें भी सफल होते हैं, तो आप नेशनल टैलेंट स्कॉलरशिप के योग्य हो जाते हैं।

बौद्धिक ज्ञान की परख

यदि देश के अलावा विदेश में भी अपनी प्रतिभा से लोगों को रूबरू कराना चाहते हैं, तो आपके लिए ओलंपियाड से बेहतर प्लेटफॉर्म कोई नहीं हो सकता है। इंटरनेशनल स्तर पर ओलंपियाड की अवधारणा अमेरिकी शिक्षाविद जेरार्ड जे.पुट के दिमाग की उपज मानी जाती है, जिन्होंने प्रयोग के तौर पर मिशीगन जिले में कुछ खास विषयोंका एक स्तरीय सिलेबस बना स्कूल लेबल पर एक कंपटीशन का आयोजन किया था। इसमें शामिल होने वाले छात्रों को पहले तो स्कूल लेवल पर एक टफ कंपटीशन क्वालिफाई करना पडता है, जिसे पार करने के बाद ही छात्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस आयोजन में हिस्सा ले पाते हैं। हालांकि इसकी पहुंच अभी भारत के सभी स्कूलों में नहीं हो पाई है, लेकिन धीरे-धीरे ही सही इसके बारे में लोगों में जागरूकता बढ रही है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलंपियाड में भाग लेने के पहले राष्ट्रीय स्तर पर एक एकीकृत एग्जाम होता है, जिसे पास करने वाले चुंनिदा छात्रों का बैच अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड में देश का प्रतिनिधित्व करता है। मैथ्स, फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी जैसे अलग-अलग विषयों में ओलंपियाड का आयोजन देश के करीब बारह सेंटर्स में होता है। पहले स्तर पर स्कूलों का आपस में प्रतियोगी टेस्ट होता है, जिसमें देश भर के टॉप कॉलेजों के हजारों छात्र, छात्राएं भाग लेते हैं। ओलंपियाड से पूर्व अंतिम तौर पर सेलेक्टेड छात्रों को होमी जहांगीर भाभा सेंटर फॉर साइंस, मई-जून के समर वेकेशन के दौरान एक्सक्लूसिव ट्रेनिंग मुहैया कराता है।

परीक्षा से निकलती प्रतिभा

इस तरह की परीक्षा का मकसद देश के उस रॉ टैलेंट को प्रोत्साहन देना होता है, जो आने वाले सालों में देश की प्रगति रथ के सारथी बन सकें। इसीलिए सरकार खुद इन प्रतिभाशाली छात्रों को प्रोत्साहन देने में रुचि लेती है। न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर भी इन मेधावी छात्रों को सरकार नकद पुरस्कार से लेकर छात्रवृत्ति तक प्रदान करती है। देश के कई वैज्ञानिक संस्थानों ने वक्त रहते ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान व शोध में बढने वाले अवसरों को पहचाना और देश में ही उम्दा टैलेंट पैदा करने की कोशिश की है। एनटीएसइ और ओलंपियाड से भारतीय छात्रों को रूबरू कराना इन्हीं कोशिशों का हिस्सा है। वहीं नेशनल टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन स्कूल या राज्य के माध्यम से होता है। यदि बात करें अंतरराष्ट्रीय परीक्षा आयोजनों की तो इस स्तर पर भारतीय प्रतिभा तेजी से अपनी पहचान बना रही है। खुद भारत का प्रदर्शन भी यहां साल दर साल बेहतर हुआ है। इसके पीछे संबधित स्कूलों व संस्थानों क ा योगदान महत्वपूर्ण है। इसकी तैयारी के लिए कुछ स्कूलों में स्पेशल बैच चलाए जाते हैं। तो कई स्कूल, जाने माने कोचिंग संस्थानों से गठबंधन भी करते हैं।

नेशनल टैलेंट सर्च एग्जामिनेशन 2011

पहले स्टेज की परीक्षा तिथि : 20 नवंबर,

दूसरे स्टेज की परीक्षा तिथि : 13 मई, 2012

शैक्षिक योग्यता : आठवीं क्लास

कुल सीटों की संख्या : 1000

वेबसाइट : 666.ल्लङ्घी13.ल्ल्रङ्घ.्रल्ल

मेधा का मानक: ओलंपियाड


ओलंपियाड की तैयारी के लिए पहले तो छात्रों को अपनी क्षमताओं का सटीक आकलन करना आवश्यक है। वैसे तो पहली कक्षा से इसका एग्जाम होता है, लेकिन यदि बारहवीं क्लास की स्तर की बात करें, तो रीजनल व नेशनल लेवल पर इसका पाठ्यक्रम आइआइटी, जेई के ही समकक्ष होता है और ज्यादातर इंजीनियरिंग की तैयारी में लगे छात्र ही इसमें भाग लेते हैं, लेकिन इनके बाद के स्तरों पर मुकाबला बेहद कडा होता जाता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर के ओलंपियाड का स्टैंडर्ड जरूर बाकी लेवल्स से ऊपर होता है, जिसकी अलग से तैयारी की दरकार होती है। हाईस्कूल के बाद इंजीनियरिंग सेक्टर में कॅरियर बनाने का सपना देख रहे छात्र इसकी तैयारी इसी स्तर से शुरू कर सकते हैं। बस इसके लिए जरूरी होगा कि वे कम से कम समय में 11 वीं के साथ साथ 12वीं का भी कोर्स एडवांस में पूरा करें और एनसीइआरटी को आधार बनाएं। यदि छात्र इंजीनियरिंग की पढाई गंभीरता से कर रहे हैं तो उसके पैरेलल ओलंपियाड की तैयारी भी हो जाएगी।

एनटीएसइ से निखारें कॅरियर

इसकी तैयारी छठी क्लास से शुरू की जा सकती है। इस परीक्षा में पूछे जानेवाले प्रश्नों का स्टैंडर्ड आठवीं क्लास का होता है। यदि आपका बेसिक्स मजबूत है, तो पहले स्टेज की परीक्षा आसानी से पास कर सकते हैं। दूसरे स्टेज की परीक्षा पहले स्टेज की अपेक्षा थोडी कठिन होती है। इस कारण इसमें सफलता उन्हीं स्टूडेंट्स को मिलती है, जिनकी हर विषयों में गहरी समझ होती है और पढाई एनालिटिकल तरीके से करते हैं। तैयारी के लिए बेहतर यह है कि आप पिछले वर्ष में पूछे जानेवाले प्रश्नों को देखें और उसी को आधार बनाकर तैयारी को अंतिम रूप दें। बाजार में मेंटल एबिलिटी से संबंधित अच्छी पुस्तक उपलब्ध हैं। आप उन्हें अच्छी तरह से पढें और कांसेप्ट क्लियर करने की कोशिश करें। याद रखें कि इस परीक्षा में रटने से कामयाबी नहीं मिलने वाली , बल्कि यहां कामयाबी का रास्ता तार्किक सोच से ही होकर जाता है।

जेआरसी टीम

Jagran Josh
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Education Desk

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