काउंसलर कॉर्नर

Jan 21, 2009, 03:56 IST

इस बार के काउंसलर कॉर्नर कॉलम में पाठकों द्वारा जोश इम्पैक्ट में पूछे गए सवालों का जवाब दे रहे हैं काउंसलर अमन सिंह..

बढता महत्व जनसंचार माध्यम का

मीडिया कोर्सेज और इसके साथ ही इस क्षेत्र से संबंधित मान्य संस्थानों के बारे में भी जानकारी दें।

रमा सिंह, करनाल (हरियाणा)

मीडिया या जनसंचार विषय का महत्व वर्तमान दौर में अत्यंत तेजी से बढ रहा है। आम जनता तक सूचना के प्रचार-प्रसार का सर्वाधिक महत्वपूर्ण माध्यम मीडिया ही है। मीडिया से तात्पर्य प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है। देश में अंग्रेजी सहित विभिन्न अन्य भाषाओं में हजारों समाचारपत्र और पत्र-पत्रिकाएं हैं। इनमें लाखों लोग अपनी-अपनी योग्यता के आधार पर कार्यरत हैं। इन योग्यताओं के विविध क्षेत्रों में संपादन, समाचार लेखन, प्रूफ रीडिंग, फोटोग्राफी, फीचर लेखन आदि का जिक्र किया जा सकता है। प्रिंट मीडिया पर आधारित मीडिया कोर्सेज में इन्हीं विधाओं पर प्रशिक्षण देने का प्रावधान है। दूसरी ओर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है, जिसमें वीडियो एडिटिंग, वीडियो प्रोडक्शन, लाइव रिपोर्टिंग कैमरा, साउण्ड रिकार्डिंग सरीखे तमाम अन्य आयाम भी जुडे हुए हैं। सबसे पहले आपको यह तय करने का प्रयास करना चाहिए कि योग्यताओं एवं क्षमताओं के आधार पर आप स्वयं को किस क्षेत्र में उपयुक्त पाते हैं? इसके बाद आप भाषा एवं उच्चारण पर अधिकार प्राप्त करने की दिशा में आगे बढें। देश में जनसंचार के क्षेत्र में ट्रेनिंग 10+2 के बाद उपलब्ध ग्रेजुएशन स्तर पर कोर्सेज अथवा बीए के बाद पीजी डिप्लोमा कोर्सेज के जरिए प्राप्त की जा सकती है। प्राय: एंट्रेंस एग्जाम को ही दाखिले का आधार बनाया जाता है। इस एग्जाम में प्रत्याशी के लेखन में भाषा-प्रवाह, विचारों को सरलतम ढंग से व्यक्त करने की क्षमता, समसामयिक विषयों के बारे में जानकारी आदि की परख की जाती है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इनके अतिरिक्त कैमरे के समक्ष ऑडिशन टेस्ट भी लिया जाता है। प्रतिष्ठित संस्थानों में सीमित सीटें होने के कारण यह जरूरी है कि एंट्रेंस एग्जाम की उपयुक्त तरीके से तैयारी की जाए। इसके लिए प्रमुख संस्थान हैं ..

भारतीय जन संचार संस्थान (शहीद जीत सिंह मार्ग, नई दिल्ली)

जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय (दिल्ली)

दिल्ली विश्वविद्यालय (दिल्ली)

इग्नू (दिल्ली)

बेंगलौर यूनिवर्सिटी (बेंगलुरु)

बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय (भोपाल)

ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी (दरभंगा)

पं. रविशंकर विश्वविद्यालय (रायपुर)

महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (रोहतक)

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (शिमला)

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (अमृतसर)

गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (बिलासपुर)

डिमांड में रिएक्टर क्षेत्र

एमफिल (भौतिकी) का छात्र हूं। शोध का विषय रिएक्टर है। कृपया बताएं कि इस विषय से संबंधित अध्ययन के लिए विदेश सहित भारत के कौन-कौन से प्रमुख शिक्षण- संस्थान हैं?

अवनीश कुमार यादव, बकेवर (इटावा)

अभी हाल ही में भारत-अमेरिका न्यूक्लियर डील पर हस्ताक्षर किए जाने और देश में इस क्षेत्र में भारी निवेश की वर्तमान संभावनाओं को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि आपके लिए इस विशिष्ट ट्रेनिंग के बाद जॉब्स की कमी नहीं रहेगी। देश-विदेश की नामी एवं प्रतिष्ठित कंपनियों में भी इस क्षेत्र से संबंधित कांट्रैक्ट प्राप्त करने के लिए जल्द होड लग जाएगी और मुंहमांगे वेतन पर एक्सपर्ट लोगों को नियुक्त करने का प्रयास किया जाएगा। यही नहीं विदेशी आर्थिक सहायता (डील का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा) एवं निजी क्षेत्र द्वारा भी भारी-भरकम निवेश इस क्षेत्र में किए जाने की संभावनाओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इसका असर अधिकाधिक रोजगार सृजन के रूप में मिल सकेगा। इस विषय पर पीएचडी आधारित ट्रेनिंग न्यूक्लियर इंजीनियरिंग/ रेडियोलॉजिकल इंजीनियरिंग/ न्यूक्लियर साइंस के रूप में विश्व के अधिकांश विश्वविद्यालयों में दी जाती है। अमरीकी संस्थानों में

अर्कान्सस टैक यूनिवर्सिटी (www.atu.edu)

कार्नेल यूनिवर्सिटी (www.cornell.edu)

कंसास स्टेट यूनिवर्सिटी (www.k-state . edu)

जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी

( www.gtech.edu)

इदोहो स्टेट यूनिवर्सिटी (www.isu.edu)

मैसेचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ( www.mit.edu)

नॉर्थ कैरोलिना (www.ncsu.edu)

पेन्निसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी

(www. psu. edu)

टैक्सास यूनिवर्सिटी (www.tamu.edu)

कनाडा के प्रमुख संस्थानों में मैक्मेस्टर यूनिवर्सिटी

(www.mcmaster. ca)

रॉयल मिलिट्री कॉलेज ऑफ कनाडा

(www.rmc.ca)

भारत में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानपुर

(www.iitk.ac.in)

यूके में लकै‌र्स्टटी 

(www.lancaster. ac.uk)।

इन संस्थानों की वेबसाइट से आप अन्य विस्तृत विवरण प्राप्त कर सकते हैं। इनके अलावा, भारत में स्थित विभिन्न दूतावासों में उपलब्ध एजुकेशन संबंधित विभागों से भी संपर्क कर सहायता प्राप्त की जा सकती है। इतना ही नहीं, इंटरनेट के जरिये ऐसे अन्य संस्थानों की सूची भी आप प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थानों के पूर्व छात्रों की एल्यूमिनई में भी इस प्रकार की सूचनाओं के लिए आग्रह कर सकते हैं। वर्तमान युग में ई-मेल और इंटरनेट के जरिए देश-विदेश के संस्थानों में उपलब्ध इसी प्रकार के अन्य विशिष्ट कोर्सेज के बारे में भी जानकारियां हासिल करना कोई मुश्किल काम नहीं रह गया है।

अमन सिंह

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