वैसे तो तमाम कारणों से आग लगते रहे हैं, परन्तु वर्तमान में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस का बोलबाला होने से शार्ट सर्किट आदि से आग लगने का अंदेशा बहुत ही बढ़ गया है। यही कारण है कि हर जगह अग्निरोधी मानकों को बहुत महत्व दिया जाने लगा है। इस तरह के काम में फायर इंजीनियर एक्सपर्ट्स होते हैं। अतः मौजूदा दौर में इनकी काफी मांग है।
कार्य
फायर इंजीनियर्स का मुख्य कार्य आग लगने के कारणों और उसे रोकने के उपायों पर विश्लेषण करना होता है। आग लगने पर फायर इंजीनियर्स आग पर नियंत्रण पाने के लिए तुरंत स्ट्रेटजी बनाते हैं, इनके दिशा निर्देशों पर ही अग्निशमन कर्मचारी कार्य करते हैं।
योग्यता और कोर्स
नेशनल फायर सर्विस कॉलेज, नागपुर द्वारा बीई इन फायर (डिग्री कोर्स) कराया जाता है। इस कोर्स की अवधि साढ़े तीन वर्ष है। इसमें प्रवेश के लिए प्रतिवर्ष ऑल इंडिया लेवल पर एंट्रेंस एग्जाम का आयोजन किया जाता है। इसके लिए सामान्यतया मार्च/ अप्रैल माह में विज्ञापन और विस्तृत विवरण प्रकाशित किया जाता है तथा जुलाई माह में ऑल इंडिया लेवल पर एंट्रेंस एग्जाम का आयोजन किया जाता है। इसमें वे ही विद्यार्थी आवेदन कर सकते हैं, जो केमिस्ट्री के साथ फिजिक्स या गणित विषय में 50 प्रतिशत अंकों के साथ बारहवीं उत्तीर्ण कर चुके हों तथा जिनकी उम्र 19-23 वर्ष के बीच हो। पुरुषों के लिए न्यूनतम लंबाई 165 सेंटीमीटर, वजन 50 किग्रा तथा महिलाओं के लिए न्यूनतम लंबाई 157 सेंटीमीटर, वजन 46 किग्रा अनिवार्य है। आई विजन 6/6 होनी चाहिए।
व्यक्तिगत गुण
इस कार्य में काफी समर्पण, परिश्रम, लगन और मेहनत की आवश्यकता होती है। व्यक्ति के भीतर संगठन, परिस्थितियों के आंकलन, शीघ्र निर्णय लेने और तेजी से संपर्क बना लेने की क्षमता होनी चाहिए। फायर इंजीनियर को खतरनाक परिस्थितियों में कार्य करना होता है तथा जलने, केमिकल्स के फटने का भी भय बना रहता है। अतः व्यक्ति के अंदर धैर्य, आत्मविश्वास तथा लंबे समय तक काम करने की क्षमता होनी चाहिए।
अवसर
हर राज्य का अपना फायर स्टेशन होता है। सरकारी नियमों के अनुसार, प्रत्येक सरकारी व गैर सरकारी कंपनी में एक फायर इंजीनियर की नियुक्ति आवश्यक है। वर्तमान में लगभग दो हजार फायर स्टेशन में केवल 66000 प्रोफेशनल्स सब ऑफिसर, स्टेशन ऑफिसर, डिविजनल ऑफिसर आदि पदों पर काम कर रहे हैं। अतः आने वाले दिनों में फायर प्रोफेशनल्स की कमी को देखते हुए इस क्षेत्र में नौकरियों में वृद्धि की संभावनाएं बहुत हैं। फायर इंजीनियर की आवश्यकता अग्निशमन विभाग के अतिरिक्त आर्किटेक्चर और बिल्डिंग निर्माण, इंश्योरेंस एसेसमेंट, प्रोजेक्ट मैनेंजमेंट, रिफायनरी, प्लास्टिक, एलपीजी तथा केमिकल्स प्लांट, सरकारी विभागों, एयरक्राफ्ट आदि क्षेत्रों में होती है। अब तो प्राइवेट कंपनियों में भी फायर प्रोटेक्शन के प्रति लोगों में जागरूकता के चलते फायर इंजीनियर को नियुक्त किया जाने लगा है। फायर इंजीनियरों की इंश्योरेंस सर्वेयर के तौर पर बीमा कंपनियों में भी जरूरत पड़ती है।
कमाई
प्रतिष्ठित संस्थान से कोर्स करने पर अच्छी सैलॅरी प्राप्त हो सकती है। इस क्षेत्र में ट्रेंड प्रोफेशनलों को शुरुआत में 12000 रुपये से लेकर 15000 रुपये प्रतिमाह तक प्राप्त हो सकते हैं। अनुभव तथा पद बढ़ने पर 30000 रुपये से 45000 रुपये प्रतिमाह या इससे भी ज्यादा कमा सकते हैं।
महत्वपूर्ण संस्थान
फायर इंजीनियरिंग कोर्स मुख्यत: नेशनल फायर सर्विस कॉलेज, नागपुर द्वारा संचालित किया जाता है, परन्तु इसके अलावा भी कई प्राइवेट संस्थान हैं, जो फायर इंजीनियरिंग से संबंधित सर्टिफिकेट, डिप्लोमा तथा पीजी डिप्लोमा इत्यादि कोर्स कराते हैं। कोर्स करने के लिए प्राइवेट संस्थानों का चयन करते समय उनके इंफ्रास्ट्रक्चर, प्लेसमेंट रेकार्ड तथा फैकॅल्टी के बारे में भी ठीक से जानकारी प्राप्त कर लेना फायदेमंद होता है। कुछ प्रमुख प्राइवेट संस्थान निम्नलिखित हैं:
1. देल्ही इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग
2. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, नई दिल्ली
3. इंस्टीट्यूट ऑफ फायर एंड सेफ्टी टेक्नोलॉजी, केरल
4. हैदराबाद इंस्टीट्यूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, हैदराबाद
5. कॉलेज ऑफ़ फायर टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद
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