मोस्ट वांटेड है फंक्शनल हिंदी

Feb 18, 2009, 04:01 IST

क्या आप बायलिंग्वॅल हैं? यदि हैं, तो फंक्शनल हिंदी के क्षेत्र में आपके लिए संभावनाओं की कोई कमी नहीं है। इस क्षेत्र में कौन-कौन से उपलब्ध हैं कोर्सेज? इन सभी पहलुओं पर सीमा झा ने बात की अदिति महाविद्यालय (डीयू) की वरिष्ठ प्रवक्ता (हिन्दी) डॉक्टर तृप्ता शर्मा से ..

हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है और इसकी भाषाई समृद्धता के कारण इसे मासेस-लैंग्वेज यानी जन-जन की भाषा भी कहा जाता है। हालांकि इस विविधतापूर्ण देश में जहां अनेक भाषाएं और बोलियां प्रचलित हैं, वहीं दूसरी ओर हिंदी बोलने वालों की संख्या चालीस प्रतिशत से भी ज्यादा है। हालांकि इन दिनों वैसे लोगों के लिए रोजगार की संभावनाएं प्रबल होती जा रही हैं, जो न केवल हिंदी, बल्कि अंग्रेजी भी अच्छी तरह बोल और समझ लेते हैं। सच तो यह है कि आज जो बायलिंग्वल हैं, उनके लिए रोजगार की कमी नहीं है। दरअसल, सूचना-प्रौद्योगिकी, कम्प्यूटरीकरण और मीडिया के बढते प्रभावों के कारण ही आज फंक्शनल हिंदी के क्षेत्र में रोजगार के नए-नए द्वार खुल रहे हैं। हालांकि इस तथ्य का दूसरा पहलू यह भी है कि जितनी मात्रा में आज इस क्षेत्र में कुशल पेशेवरों की डिमांड है, उतनी मात्रा में उनकी भरपाई नहीं हो पा रही है। इसीलिए यदि आप फंक्शनल हिंदी से संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो इसमें कोई दो राय नहीं कि आप अपने लिए भी रोजगार सुनिश्चित कर सकते हैं।

फंक्शनल हिंदी से क्या तात्पर्य है?

फंक्शनल हिंदी के शाब्दिक अर्थ की बात करें, तो अंगे्रजी शब्दकोष के अनुसार, फंक्शनल हिंदी का अर्थ है- language for specific purpose। दरअसल, फंक्शनल हिंदी, हिंदी का वह रूप है, जिसे किसी प्रयोजन विशेष या उद्देश्य से जोड कर देखा जाता है। यानी दैनिक जीवन या रोजमर्रा की लाइफ से जुडे किसी भी क्षेत्र में हिंदी के जिस रूप का इस्तेमाल हम करते हैं, वही फंक्शनलहिंदी है।

संभावनाओं की दृष्टि से यह विषय कितना उपयोगी है?

जहां एक ओर आज हिंदी को प्रॅमोट करने के लिए कई तरह के प्रयास, कार्यक्रम और हिंदी दिवस सरीखे आयोजन होते रहते हैं। वहीं दूसरी ओर ऐसे परिदृश्य में फंक्शनल हिंदी अपनी उपयोगिता के कारण खुद-ब-खुद प्रॅमोट हो रही है। दरअसल, जहां एक ओर, हम हिंदी को पूरी तरह स्थापित कर पाने में असमर्थ हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर आज फंक्शनल हिंदी में छुपी संभावनाओं के कारण न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी छात्र इस भाषा को अपना रहे हैं। सच तो यही है कि फंक्शनल हिंदी फ्रेंच, जर्मन, जैपनीज भाषा की तरह ही फॉरेन लैंग्वेज के रूप में भी धीरे-धीरे लोकप्रिय हो रही है।

किन-किन क्षेत्रों में करियर की संभावनाएं हैं?

क्षेत्र-विशेष या करियर की बात करें, तो आज जो क्षेत्र ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं, वे हैं-मीडिया (न्यूजपेपर, मैग्जीन, रेडियो, टीवी), एडवरटाइजिंग, दुभाषिया, हिंदी अनुवादक आदि। इनके अलावा, केंद्र सरकार और राज्य सरकार अलग-अलग डिपार्टमेंट्स में हिंदी ट्रांसलेटर्स, असिस्टेंट्स, मैनेजर (ऑफिशियल लैंग्वेज) आदि के वैकेंसीज भी समय-समय पर निकलते रहते हैं। यानी आप सरकारी क्षेत्र को सुरक्षित मानते हुए वहां जाना चाहें अथवा यदि प्राइवेट क्षेत्र को बेहतर मानें, तो ऐसी स्थिति में फंक्शनल हिंदी आपको दोनों तरह के क्षेत्रों में जाने का अवसर प्रदान करती है।

भारत में फंक्शनल हिंदी की पढाई कहां-कहां हो रही है?

फंक्शनल हिंदी की पढाई देश के लगभग सभी प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में हो रही है। जैसे, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, लखनऊ, कानपुर आदि। इसके अलावा, केंद्रीय हिंदी संस्थान, इग्नू आदि में भी फंक्शनल हिंदी के कोर्सेज उपलब्ध हैं।

क्या इस विषय में फुल-टाइम कोर्स और शॉर्ट-टर्म दोनों तरह के कोर्सेज उपलब्ध हैं? कौन-कौन से हैं ये?

हां, इस विषय में फुल-टाइम बेसिस और शॉर्ट-टर्म बेसिस, दोनों स्तर की पढाई कर सकते हैं। कुछ संस्थान में आप इसे वैकल्पिक विषय के रूप में भी, तो कुछ ऐसे संस्थान भी हैं, जहां इसे आप मुख्य विषय के रूप में पढ सकते हैं। मसलन, दिल्ली विश्वविद्यालय में इस विषय में बीए स्तर की पढाई होती है, तो एमए में इसे वैकल्पिक विषय के रूप में पढाया जाता है। इसी तरह, जेएनयू और केंद्रीय हिंदी संस्थान से आप इसमें एडवांस्ड-लेवल यानी एमफिल या पीएचडी स्तर की पढाई भी कर सकते हैं। वहीं, इग्नू, जामिया मिलिया, भारतीय विद्या भवन, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन आदि से आप किसी खास क्षेत्र में डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं।

फंक्शनल हिंदी से संबंधित कोर्स-फीस के बारे में भी जानकारी दें।

यह अलग-अलग संस्थान पर निर्भर करता है। यदि आप किसी सरकारी स्तर के संस्थानों से संबंधित कोर्स करते हैं, तो कोर्स-फीस सामान्य होते हैं। वहीं, निजी संस्थानों में और देश में मौजूद कुछ खास संस्थानों में कोर्स-फीस अपेक्षाकृत ज्यादा होती है।

इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए कुछ खास योग्यताओं के बारे में बताएं।

कुछ खास नहीं, जिन्होंने दसवीं और बारहवीं तक हिंदी पढी है और जो व्याकरण का अच्छा ज्ञान रखते हैं, वे यह कोर्स कर सकते हैं। वैसे, जहां तक करियर की बात है, तो यह बेहद जरूरी है कि आपकी अंग्रेजी भी अच्छी हो।

आप भी बन सकते हैे..

हिंदी अनुवादक, सीनियर-जूनियर हिंदी टाइपिस्ट, स्टेनो, हिंदी सहायक, दुभाषिया, विज्ञापन लेखक, स्लोगन लेखक, पू्रफ रीडर्स, रेडियो जॉकी, एंकर्स, कॉरेस्पॉन्डेंस, एडिटर्स, अभिवादन कार्ड निर्माता, रूपांतरण लेखक, हिंदी खेल कमेंटेटर आदि।

एकेडेमिक कोर्सेज

फुलटाइम डिग्री और एडवांस एकेडमिक कोर्सेज : एमए इन हिन्दी, जर्नलिज्म, मास-कम्युनिकेशन और एमफिल, पीएचडी।

पीजी डिप्लोमा कोर्सेज :  मास-कम्युनिकेशन, जर्नलिज्म, ट्रांसलेशन, क्रिएटिव राइटिंग आदि। शार्ट-टर्म के कोर्सेज : सर्टिफिकेट कोर्सेज मसलन, क्रिएटिव राइटिंग, ट्रांसलेशन, मीडिया कोर्सेज आदि

यहां हैं संभावनाएं

गवर्नमेंट सेक्टर में

एकेडमिक क्षेत्र में

मीडिया-पि्रंट और इलेक्ट्रॉनिक

क्रिएटिव राइटिंग/एडवरटाइजिंग

एम्बेसीज

साहित्य

स्पो‌र्ट्स आदि में।

प्रमुख संस्थान

दिल्ली विश्वविद्यालय, www.du.ac.in

  लखनऊ, कानपुर और इंदौर विश्वविद्यालय, www.lkouniu.ac.in,

www.kanpuruniversity.org, www.dauniv.ac.in

भारतीय विद्या भवन, नई दिल्ली, www.bvbdelhi.org

इंडिया गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी (इग्नू) www.ignou.ac.in

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मास कम्युनिकेशन, जेएनयू कैंपस, नई दिल्ली, www.iimc.nic.in

जामिया मिलिया इस्लामिया, जामिया नगर, नई दिल्ली, www.jmi.nic.in

अदिति महाविद्यालय (डीयू) की वरिष्ठ प्रवक्ता (हिन्दी) डॉक्टर तृप्ता शर्मा से सीमा झा की बातचीत पर आधारित

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