
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 31 जनवरी 2017 को संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की. इस समीक्षा के अनुसार वैश्विक स्तर पर सुस्ती छाई रहने के बावजूद भारत अपेक्षाकृत कम महंगाई, राजकोषीय अनुशासन एवं सामान्य चालू-खाता घाटे के साथ-साथ आम तौर पर स्थिर रुपया-डॉलर विनिमय दर के वृहद आर्थिक परिदृश्य को बरकरार रखने में सफल रहा.
यह अनुमान मुख्यत: वित्त वर्ष के प्रथम 7-8 महीनों के लिए प्राप्त सूचना के आधार पर लगाया गया है. सरकार का अंतिम उपभोग व्यय चालू वर्ष के दौरान जीडीपी में हुई वृद्धि में मुख्य रूप से सहायक रहा.
वित्त वर्ष 2016-17 में नियत निवेश (सकल नियत पूंजी निर्माण) एवं जीडीपी का अनुपात (वर्तमान मूल्य पर) 26.6 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया जबकि वित्त वर्ष 2015-16 में यह अनुपात 29.3 प्रतिशत था.
राजकोषीय
• अप्रत्यक्ष करों के संग्रह में अप्रैल–नवम्बर 2016 के दौरान 26.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
• अप्रैल-नवम्बर 2016 के दौरान राजस्व व्यय में हुई खासी वृद्धि मुख्यत: सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों पर अमल के फलस्वरूप वेतन में हुई 23.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी और पूंजीगत परिसंपत्तियों के सृजन के लिए अनुदान में की गई 39.5 प्रतिशत की वृद्धि की बदौलत संभव हो पाई.
मूल्य
• उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुख्य महंगाई दर लगातार तीसरे वित्तत वर्ष के दौरान नियंत्रण में रही. सीपीआई आधारित औसत महंगाई दर वर्ष 2014-15 के 5.9 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2015-16 में 4.9 प्रतिशत के स्तर पर आ गई और अप्रैल-दिसंबर 2015 के दौरान यह 4.8 प्रतिशत दर्ज की गई थी.
• थोक मूल्य् सूचकांक (डब्यूयह पीआई) पर आधारित महंगाई दर वित्तत वर्ष 2014-15 के 2.0 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2015-16 में (-) 2.5 प्रतिशत रह गई और यह अप्रैल-दिसंबर 2016 में औसतन 2.9 प्रतिशत आंकी गई.
• महंगाई दर पर बार-बार खाद्य वस्तुओं के संक्षिप्त समूह का ही असर देखा जा रहा है. इन वस्तुाओं में से दालों का सर्वाधिक योगदान खाद्य महंगाई में निरंतर देखा जा रहा है.
• सीपीआई आधारित कोर महंगाई दर चालू वित्त वर्ष के दौरान औसतन लगभग 5 प्रतिशत के स्तर पर टिकी हुई है.
व्यापार
• निर्यात में दर्ज की जा रही ऋणात्मक वृद्धि का रुख कुछ हद तक वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) में सुधार के लक्षण दर्शाने लगा, क्योंकि निर्यात 0.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 198.8 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. वहीं, वर्ष 2016-17 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान आयात 7.4 प्रतिशत घटकर 275.4 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर पर आ गया.
• वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में चालू खाता घाटा (सीएडी) कम होकर जीडीपी के 0.3 प्रतिशत पर आ गया, जबकि वित्त वर्ष 2015-16 की प्रथम छमाही में यह 1.5 प्रतिशत और 2015-16 के पूरे वित्त वर्ष में यह 1.1 प्रतिशत रहा था.
• प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की तेज आवक और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश की शुद्ध आवक सीएडी के वित्त पोषण के लिहाज से पर्याप्त रहीं, जिसके परिणामस्वरूप वित्त वर्ष 2016-17 की प्रथम छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि का रुख रहा.
• वर्ष 2016-17 के दौरान रुपये का प्रदर्शन अन्य उभरती बाजार अर्थव्यरवस्थातओं की मुद्राओं के मुकाबले बेहतर रहा है.
विदेशी कर्ज
• सितंबर 2016 के आखिर में भारत पर विदेशी कर्ज का बोझ 484.3 अरब अमेरिकी डॉलर आंका गया, जो मार्च 2016 के आखिर में दर्ज किये गये विदेशी कर्ज बोझ के मुकाबले 0.8 अरब अमेरिकी डॉलर कम है.
• कुल विदेशी कर्ज में अल्पकालिक ऋणों का हिस्सा सितंबर 2016 के आखिर में कम होकर 16.8 प्रतिशत रह गया और विदेशी मुद्रा भंडार ने कुल विदेशी कर्ज बोझ के 76.8 प्रतिशत को कवर किया.
• कर्ज बोझ से दबे अन्य विकासशील देशों के मुकाबले भारत के मुख्य ऋण संकेतक बेहतर रहे हैं और भारत की गिनती अब भी इस लिहाज से कम असुरक्षित देशों में होती है.

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