दुनिया भर में मशहूर सूर्य मंदिर भारत के ओडिशा राज्य में है। यह कोणार्क के तटीय कस्बे में स्थित है। यह मंदिर प्राचीन भारतीय वास्तुकला के सबसे प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। कोणार्क का सूर्य मंदिर ओडिशा का एक प्रमुख पर्यटन स्थल होने के साथ-साथ एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल भी है। यह अपनी अनोखी कारीगरी और ऐतिहासिक महत्त्व के लिए जाना जाता है।
प्रसिद्ध सूर्य मंदिर किस राज्य में है?
सूर्य मंदिर भारत के पूर्वी तट पर ओडिशा के पुरी जिले के कोणार्क कस्बे में स्थित है। यह पुरी से लगभग 35 किलोमीटर और राज्य की राजधानी भुवनेश्वर से 65 किलोमीटर दूर है। यह इलाका ओडिशा के 'गोल्डन ट्रायंगल ऑफ टूरिज्म' का हिस्सा है, जिसमें भुवनेश्वर, पुरी और कोणार्क शामिल हैं। यह मंदिर बंगाल की खाड़ी के पास बना है। यह समुद्र से उदय होते सूर्य देव की यात्रा का प्रतीक है।
कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास
कोणार्क सूर्य मंदिर 13वीं सदी में लगभग 1250 ईस्वी में पूर्वी गंग वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने बनवाया था। इसे सूर्य देव के सम्मान में बनाया गया था। यह आकाश में यात्रा करते हुए उनके दिव्य रथ को दर्शाता है। एक समय पर मंदिर में सूर्य देव की एक विशाल चुंबकीय मूर्ति थी। माना जाता है कि यह चुंबकीय शक्तियों के कारण हवा में तैरती थी। ऐतिहासिक रूप से यह मंदिर कला, विज्ञान और आध्यात्मिकता का केंद्र भी था। यह कलिंग वास्तुकला शैली का एक बेहतरीन उदाहरण है। इसमें ज्यामिति, खगोल विज्ञान और आध्यात्मिकता का शानदार मेल देखने को मिलता है।
सूर्य मंदिर की शानदार वास्तुकला
कोणार्क सूर्य मंदिर को एक विशाल रथ के रूप में डिजाइन किया गया है। इसे सात घोड़े खींच रहे हैं और इसमें 24 नक्काशीदार पहिए लगे हैं। हर पहिए का व्यास लगभग 12 फीट है। ये पहिए दिन के 24 घंटों के प्रतीक हैं और सात घोड़े सप्ताह के सात दिनों को दर्शाते हैं। यह मंदिर क्लोराइट, लैटेराइट और बलुआ पत्थर से बना है। इसकी संरचना के हर हिस्से पर देवी-देवताओं, नर्तकों, जानवरों और पौराणिक कथाओं के दृश्यों की बारीक नक्काशी की गई है। यह प्राचीन भारतीय इंजीनियरिंग और कला का एक शानदार प्रतीक है। इसी वजह से यह भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व
कोणार्क का सूर्य मंदिर हिंदुओं के लिए गहरा धार्मिक महत्व रखता है। यह सूर्य देव को समर्पित है, जो शक्ति, प्रकाश और जीवन के प्रतीक हैं। हर साल फरवरी में हजारों भक्त चंद्रभागा मेला मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं। यह एक बड़ा धार्मिक त्योहार है। इस दौरान लोग पास की चंद्रभागा नदी में पवित्र डुबकी लगाते हैं और उगते सूरज की पूजा करते हैं। यह मंदिर प्रकृति और देवत्व के बीच आध्यात्मिक संबंध को भी दर्शाता है। यह हिंदू दर्शन में सौर ऊर्जा के महत्त्व पर जोर देता है।
यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल
साल 1984 में कोणार्क सूर्य मंदिर को इसकी शानदार बनावट और सांस्कृतिक महत्त्व के कारण यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। इसके काले पत्थर और तटीय स्थान के कारण नाविक इसे अक्सर 'ब्लैक पैगोडा' कहते हैं। यह मंदिर भारत के सात अजूबों में से एक है। यह आज भी ओडिशा के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों में से एक है और दुनिया भर के लोगों का ध्यान खींचता है।
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