केंद्र सरकार ने पवन हंस में अपनी हिस्सेदारी बेची, जानें क्यों?

May 2, 2022, 12:30 IST

केंद्र सरकार ने बताया कि पवन हंस के पास 42 हेलीकॉप्टरों का बेड़ा है तथा कंपनी पिछले तीन वित्त वर्ष से घाटे में चल रही है.

Pawan Hans
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केंद्र सरकार ने पवन हंस लिमिटेड में अपनी 51 प्रतिशत हिस्सेदारी स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड को 211.14 करोड़ रुपए में बेचने की मंज़ूरी दे दी है. इसके तहत सरकार पवन हंस में प्रबंधन नियंत्रण भी छोड़ेगी. केंद्र सरकार ने बताया कि पवन हंस के पास 42 हेलीकॉप्टरों का बेड़ा है तथा कंपनी पिछले तीन वित्त वर्ष से घाटे में चल रही है.

हेलीकॉप्टर सेवा देने वाली कंपनी पवन हंस लिमिटेड (पीएचएल) का खरीदार मिल गया है. अब पीएचएल का प्रबंधकीय नियंत्रण भी स्टार9 मोबिलिटी के ही पास रहेगा. आपको बता दें कि स्टार9 मोबिलिटी एक समूह है जिसमें बिग चार्टर प्राइवेट लिमिटेड, महाराजा एविएशन प्राइवेट लिमिटेड तथा अल्मास ग्लोबल ऑपरच्युनिटी फंड एसपीसी शामिल हैं.

तीन कंपनियों ने बोली लगाई

पवन हंस की 51 प्रतिशत हिस्सेदारी की बिक्री के लिए आरक्षित मूल्य 199.92 करोड़ रुपये तय किया गया था. सरकार को पवन हंस की बिक्री के लिए तीन कंपनियों से बोलियां मिली थी. इनमें से स्टार9 मोबिलिटी 211.14 करोड़ रुपये की बोली के साथ सबसे बड़ी बोलीकर्ता के रूप में सामने आई है. बाकी दो बोलियां 181.05 करोड़ रुपये और 153.15 करोड़ रुपये की थी.

सरकार की दूसरी बड़ी बिक्री

वित्त मंत्रालय के अनुसार, उचित विचार-विमर्श के बाद, मेसर्स स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड की वित्तीय बोली को सरकार ने स्वीकार कर लिया है. बता दें यह विनिवेश बीते 12 महीनों में सरकार की दूसरी बड़ी बिक्री है. सरकार ने इससे पहले इस साल जनवरी में एयर इंडियन की हिस्सेदारी टाटा ग्रुप को बेची थी.

पवन हंस में केंद्र सरकार की हिस्सेदारी

पवन हंस में केंद्र और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) का संयुक्त उपक्रम (जेवी) है. इसमें सरकार की 51 प्रतिशत और ओएनजीसी के पास 49 प्रतिशत हिस्सेदारी थी.

ओएनजीसी ने इससे पहले कहा था कि सरकार अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए जिसे चुनेगी, ओएनसीजी उसी बोलीकर्ता को समान कीमत एवं समान शर्तों पर अपनी हिस्सेदारी बेचने के लिए तैयार है.

सालों से घाटे में पवन हंस?

तीन दशक से भी पुरानी कंपनी पवन हंस को साल 2018-19 में 69 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. वहीं उसके ठीक दूसरे साल 19-20 में लगभग 28 करोड़ रुपये का नुकसान कंपनी को उठाना पड़ा. सरकार ने घाटे की वजह से साल 2018 पवन हंस से अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया था.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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