भारतीय नौसेना (India Navy) को प्रोजेक्ट 75 के तहत चौथी पनडुब्बी वेला (Vela) की सौगात मिली है. प्रोजेट 75 में स्कॉर्पीन क्लास की 6 पनडुब्बी शामिल हैं. ये सभी पनडुब्बी मेड इन इंडिया हैं. अब तक जितनी भी पनडुब्बी इस प्रोजेक्ट के तहत बनी हैं, उन्हें मझगांव डॉक शिप बिल्डर्स लिमिटेड (MDL) मुंबई में बनाया गया है.
मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने परियोजना पी-75 के अंतर्गत बनायी जा रही चौथी स्कॉर्पीन पनडुब्बी नौसेना को सौप दी है. इस परियोजना के तहत फ्रांस की मदद से 23000 करोड़ की लागत से एमडीएल मुंबई में छह पनडुब्बी बना रही है. अब तक भारतीय नौसेना में कलवरी, खंडेरी, करंज और अभी वेला पनडुब्बी शामिल हो चुकी है.
4th submarine of Project – 75, Yard 11878, which includes construction of six submarines of Scorpene design, constructed at #MazagonDockShipbuildersLimited, Mumbai under collaboration with M/s Naval Group, France was delivered to the Indian Navy, today. https://t.co/FnwVcH4Kp0 pic.twitter.com/eKsfeEte4o
— A. Bharat Bhushan Babu (@SpokespersonMoD) November 9, 2021
वेला पनडुब्बी की खासियत
• वेला डीजल इलेक्ट्रिक युद्धक पनडुब्बी है जो समुद्र की गहराई में सरहद की हिफाजत करेगी और दुश्मनों पर नजर रखेगी. यह पनडुब्बी को 'मेक इन इंडिया' के तहत तैयार किया गया है. यह आधुनिक फीचर्स की वजह से दुश्मन को ढूंढकर उस पर सटीक निशाना लगा सकती है.
• यह आधुनिक खासियत की वजह से दुश्मन को ढूंढकर उस पर सटीक निशाना लगा सकती है. आइएनएस वेला स्टेल्थ और एयर इंडिपेंडेंट प्रापल्शन सहित कई तरह की तकनीकों से लैस है, जिससे इसका पता लगाना दुश्मनों के लिए आसान नहीं होगा.
• आइएनएस वेला टारपीडो और ट्यूब लान्च्ड एंटी-शिप मिसाइल से हमला करने में सक्षम है. वेला पनडुब्बी युद्ध की स्थिति में हर तरह की अड़चनों से सुरक्षित और बड़ी आसानी से दुश्मनों को चकमा देकर बाहर निकल सकती है.
• वेला की खासियत यह है कि यह किसी भी रडार की पकड़ में नहीं आएगी. इसके अतिरिक्त इससे जमीन पर भी आसानी से हमला किया जा सकता है. इस पनडुब्बी का उपयोग हर तरह के वारफेयर, ऐंटी-सबमरीन वारफेयर और इंटेलिजेंस के काम में भी किया जा सकता है.
वेला पनडुब्बी को बनाने की शुरुआत
वेला पनडुब्बी को बनाने की शुरुआत 06 मई 2019 को हुई थी. इसके बाद इसके बंदरगाह और समुद्र के अंदर जुड़े ट्रायल, जिनमें हथियार और सेंसर का ट्रायल शामिल था. इनमें से तीन पनडुब्बी पहले ही भारतीय नौसेना की सेवा कर रही हैं. ये पनडुब्बी भारत के आत्मनिर्भर भारत प्रोजेक्ट का हिस्सा है.
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