सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 19 जून 2016 को क्लस्टर बम बनाने वाली कंपनियों में निवेश के लिए "हॉल ऑफ शेम" यानी बदनामों की सूची में शामिल किया गया है.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
कुल 158 बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों ने क्लस्टर बम बनाने वाली कंपनियों में अरबों डॉलर का निवेश किया है. एसबीआई इस सूची में एकमात्र भारतीय संस्थान है.
सूची में वैश्विक दिग्गज कंपनियां मसलन जे पी मॉर्गन, बार्कलेज, बैंक ऑफ अमेरिका और क्रेडिट सुइस शामिल हैं.
इन संस्थानों ने जून 2012 से अप्रैल 2016 के बीच क्लस्टर बम बनाने वाली सात कंपनियों में 28 अरब डॉलर का निवेश किया है. नीदरलैंड के अभियान समूह पैक्स की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.
अमेरिका तथा भारत में इस तरह की वाणिज्यिक परियोजनाओं में वित्तपोषण पर कोई रोक नहीं है.
क्लस्टर युद्धक सामग्री (सीसीएम) पर संधि में क्लस्टर जंगी सामान के इस्तेमाल, उत्पादन, भंडारण और स्थानांतरण पर रोक है. इस संधि पर 94 देशों ने 2008 में दस्तखत किए थे. यह संधि 1 अगस्त 2010 से लागू हुई.
इस सूची में ज्यादातर वे देश शामिल हैं जिन्होंने संधि पर दस्तखत नहीं किए हैं. एसबीआई को इस सूची में अमेरिकी कंपनी आर्बिटल एटीके के वित्तपोषण के लिए शामिल किया गया है.
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