केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामलों की फिर से जांच के लिए 12 फरवरी 2015 को तीन सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. नव-गठित एसआईटी को ताजा सबूतों की जांच करने का अधिकार दिया गया.
तीन सदस्यीय एसआईटी की अध्यक्षता वर्ष 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी प्रमोद अस्थाना करेंगे. एसआईटी के अन्य दो सदस्यों में सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश राकेश कपूर और दिल्ली पुलिस के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त कुमार ज्ञानेश हैं.
एसआईटी छह महीने में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा और 1984 दंगों से जुड़े सभी गंभीर मामलों में सबूतों की दोबारा जांच करेगी. एसआईटी का गठन सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी.पी. माथुर के नेतृत्व में गठित एक समिति की सिफारिशों के बाद किया गया. सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीपी माथुर की अध्यक्षता में माथुर समिति ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामलों की दोबार जांच के लिए 23 दिसंबर 2014 को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया. समिति ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को जनवरी 2015 में सौंपी रिपोर्ट में दंगों की नए सिरे से जांच की सिफारिश की.
विदित हो कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अपने सरकारी आवास पर उनके सुरक्षा गार्ड द्वारा हत्या कर दी गई. उनकी हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे. इन दंगों में 3325 लोग (2733 में दिल्ली में और बाकी उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में मारे गए थे) मारे गए थे.
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