उत्तर प्रदेश विविध संस्कृति और अनूठी परंपराओं वाला राज्य है। यहां का समृद्ध इतिहास इसे अन्य राज्यों से अलग बनाता है। प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत, एतिहासिक स्थल, धार्मिक व सामाजिक भवन, खान-पान का देशी तड़का और अपनेपन का अहसास राज्यों को विशेष दर्जा देने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं।
यही वजह है कि हर साल यहां बड़ी संख्या में देशी-विदेशी सैलानी पर्यटन के लिए पहुंचते हैं और इस राज्य को और भी करीब से जानते हैं। यूं, तो प्रदेश के हर जिले की अपनी खासियत है, लेकिन इसके साथ-साथ यहां के जिले अपने यहां मिलने वाले उत्पादों के लिए भी मशहूर हैं। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश का एक जिला ऐसा भी है, जिसे घुंघरू का शहर भी कहा जाता है। क्या है इस शहर के पहचान के पीछे की कहानी, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
उत्तर प्रदेश में कुल जिले
उत्तर प्रदेश का कुल एरिया 240,928 वर्ग किलोमीटर है, जो कि पूरे भारत का 7.33 फीसदी हिस्सा है। यह सबसे अधिक जिले वाला राज्य है, जहां कुल 75 जिले 18 मंडलों में आते हैं। साल 2011 में प्रदेश की जनसंख्या 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी, जो कि पूरे भारत की करीब 16.5 फीसदी थी। उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा जिला लखीमपुर खीरी है, जो कि 7680 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वहीं, सबसे छोटा जिला हापुड़ है।
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कौन-सा जिला है घुंघरू का शहर
उत्तर प्रदेश में घुंघरू के शहर की बात करें, तो एटा जिले के जलेसर को घुंघरू के शहर के रूप में भी जाना जाता है।
क्यों कहा जाता है घुंघरू का शहर
अब सवाल है कि आखिर क्या वजह है, जो एटा के जलेसर को घुंघरू का शहर कहा जाता है, तो आपको बता दें कि जलेसर में प्रमुख रूप से घुंघरू को तैयार किया जाता है। इसके लिए मिट्टी, पाउडर और पीतल को मिलाया जाता है, जिससे घुंघरू तैयार होते हैं।
यहां तैयार होने वाले घुंघरुओं की अलग-अलग राज्यो में मांग होती है। प्रदेश सरकार ने यहां के घुंघरू को एक जिला-एक उत्पाद में शामिल किया है, जिससे जिले को विशेष पहचान मिली है। यही वजह है कि इस शहर को हम घुंघरू के शहर के रूप में भी जानते हैं।
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