उत्तर प्रदेश भारत का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जो कि 240,928 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह पूरे भारत का 7.33 फीसदी हिस्सा है। वहीं, भारत का यह राज्य अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक परंपराओं के लिए भी जाना जाता है। इसमें यहां के पुराने भवन और हवेलियां भी शामिल हैं। इस कड़ी में यहां एक जिला ऐसा भी है, जिसे हवेलियों का शहर भी कहा जाता है। कौन-सा है यह जिला, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
उत्तर प्रदेश का परिचय
उत्तर प्रदेश को पूर्व में संयुक्त प्रांत नाम से जाना जाता था। यह नाम अंग्रेजों द्वारा दिया गया था, जो कि उत्तर-पश्चिम प्रांत को आगरा और अवध सूबे में मिलाकर दिया गया था। हालांकि, इससे पहले यहां जौनपुर शहर हुआ था, जिसे शर्कियों ने 14वीं शताब्दी में बसाया था। यह शर्की शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। बाद में यहां मुगलों ने अवध सूबा बसाया, जिसकी कमान नवाबों के हाथों में थी।
उत्तर प्रदेश में हवेलियों का शहर
अब हम यह जान लेते हैं कि यूपी में हवेलियों का शहर कौन-सा है। आपको बता दें कि यह गाजीपुर जिला है। इस जिले को इसके मूल नाम के अलावा हवेलियों के शहर के रूप में भी जाना जाता है।
क्यों कहा जाता है हवेलियों का शहर
गाजीपुर में मुगल काल से ही हवेलियों का दौर रहा है। यहां हिंदू, इस्लामिक और यूरोपीय वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है। यहां की हवेलियों में नक्काशी, ऊंची खिड़कियां और बारहदरी यानि कि 12 दरवाजों वाला हॉल विशेष होता है। यहां नक्काशीदार हवेलियों का निर्माण अफीम और इत्र के व्यापारियों द्वारा करवाया गया था।
विशेष तहखाने के लिए जानी जाती थीं हवेलियां
गाजीपुर की हवेलियां विशेष रूप से अपने तहखानों के लिए जानी जाती थीं। यहां इत्र और अफीम के व्यापारी इत्र, अफीम और अन्य कीमती सामानों को हवेलियों के विशेष तहखाने में रखा करते थे। इन हवेलियों का निर्माण लाखौरी ईटों से किया जाता था। वहीं, इन हवेलियों के बड़े झरोखे, बड़े आंगन और ऊंची दीवारें इनकी प्रमुख पहचान है। यहां एक 300 साल पुरानी हवेली है, जो कि अपनी स्थापत्य कला के साथ-साथ अपनी तिजोरी के लिए भी जानी जाती है।
बहादुरगंज का किला है प्रमुख
गाजीपुर में बहादुरगंज का किला भी प्रमुख है। यहां मौजूद कस्बे को गाजीपुर के गर्वनर शेख अब्दुल्लाह द्वारा 1742 में सरयू नदी के तट पर बसाया गया था। उन्होंने यहां किला बनवाने के साथ-साथ कई हवेलियों का भी निर्माण करवाया था। आज भी इनके अवशेष देखे जा सकते हैं। वहीं, युसूफपुर और मोहम्मदाबाद विशेष रूप से राजनीतिक और ऐतिहासिक रूप से प्रभावशाली परिवारों का गढ़ रहा है। यहां 1500 ईस्वी शताब्दी में बसे परिवारों की हवेलियां और दरबार मौजूद हैं।
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