भारत के उत्तर में जब भी प्रमुख राज्यों की बात होती है, तो इसमें उत्तर प्रदेश राज्य का नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है। भारत का यह राज्य देश के सबसे बड़े राज्यों में शामिल है। यह देश का चौथा सबसे बड़ा राज्य है, जबकि जनसंख्या के मामले में यह पहले स्थान पर आता है।
साल 2011 में यहां की जनसंख्या 19 करोड़ 98 लाख 12 हजार 341 दर्ज की गई थी। हालांकि, वर्तमान में यह आंकड़ा 24 करोड़ को पार कर गया है। राज्य के प्रत्येक जिले की अपनी विशेषता है, जिससे राज्य को विशेष पहचान मिलती है।
आपने प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि यूपी का कौन-सा जिला संतों के शहर के रूप में भी जाना जाता है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
कैसे बना उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश को 1836 से उत्तर-पश्चिम प्रांत के नाम से जाना जाता था। बाद में 1877 में इसका नाम उत्तर-पश्चिम आगरा एवं अवध प्रांत हो गया। वहीं, 1902 में यह संयुक्त प्रांत आगरा एवं अवध नाम से जाना गया।
ब्रिटिश ने एक बार फिर से इसके नाम में परिवर्तन किया और यह 1937 से केवल संयुक्त प्रांत नाम से जाना गया। देश आजाद हुआ और 1950 में इसका नाम संयुक्त प्रांत से बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया।
उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे छोटा जिला
उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिले की बात करें, तो यह लखीमपुर खीरी है। यह जिला कुल 7680 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वहीं, सबसे छोटा जिला हापुड़ है, जो कि 660 वर्ग किलोमीटर में है। इस जिले को पापड़ का शहर और स्टील सिटी के रूप में भी जाना जाता है।
उत्तर प्रदेश में कुल जिले और मंडल
उत्तर प्रदेश पूरे भारत में सबसे अधिक जिले वाल राज्य है। यहां कुल 75 जिले हैं और ये जिले कुल 18 मंडलों में आते हैं। ये सभी मंडल कुल चार संभागों का हिस्सा हैं, जिनमें पूर्वांचल, मध्यांचल, पश्चिमांचल और बुंदेलखंड शामिल है।
प्रदेश में कुल 75 नगर पंचायत, 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायत, 826 सामुदायिक विकास खंड, 17 नगर निगम और 28 विशेष विकास प्राधिकरण मौजूद हैं।
किस जिले को कहा जाता है संतों का शहर
अब सवाल है कि किस जिले को संतों के शहर के रूप में भी पहचान मिली हुई है, तो आपको बता दें कि यूपी में बस्ती जिले को संतों के शहर के रूप में भी जाना जाता है।
क्यों कहा जाता है संतों का शहर
बस्ती जिले को लेकर यह माना जाता है कि यह काफी पुराने समय से ही कई संतों, तपस्वियों और आध्यात्मिक गुरुओं की साधना स्थली रही है। इस क्षेत्र में मौजूद शांत और प्राकृतिक वातावरण ने संतों को अपनी ओर आकर्षित किया, जिससे इस जगह को अध्यात्मिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में पहचान मिली।
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