जानिये दुनिया के किस देश में महंगाई दर सबसे अधिक है?

Sep 19, 2018, 13:00 IST

मुद्रास्फीति बाजार की वह अवस्था होती है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें "लगातार" बढ़ती जातीं हैं. ऐसी ही स्थिति दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला में है जहाँ पर महंगाई की दर  इस साल के अंत तक 10 लाख प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. इस लेख में हमने इस समस्या के कारणों और महंगाई के कुछ रोचक उदाहरणों को बताया है.

Inflation in Venezuela
Inflation in Venezuela

भारत में एक गाना आया था “महंगाई डायन खाए जात है”. यह गाना आजकल के परिपेक्ष्य में दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला के लिए बिलकुल ही सटीक बैठता है. इस देश में पिछले एक साल में महंगाई की दर 6,000% बढ़ी है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार अगर बजट घाटे को पूरा करने के लिए वहां की सरकार नोट (करेंसी) छापना जारी रखती है तो यहाँ पर इस वर्ष के अंत तक मुद्रा स्फीति 10 लाख प्रतिशत तक पहुंच जाएगी.

आइये इस लेख में यह जानते हैं कि आखिर इस देश में इतनी अधिक महंगाई किन कारणों से हुई है.

मुद्रास्फीति किसे कहते हैं?

मुद्रास्फीति बाजार की वह अवस्था होती है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें "लगातार" बढ़ती जातीं हैं. अर्थात कम चीजों को खरीदने के लिए अधिक मुद्रा खर्च करनी पड़ती है. इसलिए मुद्रा स्फीति में देश की मुद्रा की वैल्यू में कमी आती है जबकि वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में वृद्धि होती रहती है.

वेनेजुएला की आर्थिक स्थिति ख़राब होने का मुख्य कारण

वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था पिछले एक दशक से कठिन समय से गुजर रही है. यहाँ की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से तेल के निर्यात पर निर्भर है. वेनेजुएला के कुल निर्यात में 96% हिस्सेदारी अकेले तेल की है.

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वर्ष 2014 के बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत घटने के बाद तेलों का उत्पादन करने वाले देशों के संगठन ओपेक (ऑर्गनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज़) के सभी देशों की अर्थव्यवस्था में गिरावट देखी जा रही है. लेकिन वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था ज्यादा ख़राब इसलिए हो रही है क्योंकि देश में कमजोर सरकारी तंत्र भ्रष्टाचार और का बोलबाला है.

चार साल पहले तेल की कीमत पिछले 30 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई थी. वित्तीय संकट की वजह से वेनेजुएला सरकार लगातार नोट छापती रही जिससे वहां की अर्थव्यवस्था में वेनेजुएला की मुद्रा “बोलिवर” की पूर्ती लगातार बढती रही इस कारण वहां पर हाइपर मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा हो गई और बोलिवर की कीमत लगातार घटती रही. अब हालात इस सीमा तक ख़राब हो गये हैं कि वहां पर मुद्रा स्फीति की दर इस वर्ष के अंत तक 10 लाख प्रतिशत तक पहुँचने का अनुमान लगाया जा रहा है. ध्यान रहे कि यदि मुद्रा स्फीति की दर भारत में 8% पहुँच जाती है तो विरोधी पार्टियाँ सडकों पर धरना प्रदर्शन करने लगतीं हैं.

वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने अपना बचाव करते हुए कहा है कि तेल की कीमतें कम रखना पशिचमी देशों की उनके खिलाफ साजिश है. ज्ञातव्य है कि यूरोपीय संघ, अमेरिका और कनाडा ने मानवाधिकारों का हनन करने के लिए वेनेजुएला पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हुए है. इन प्रतिबंधों ने भी वेनेजुएला के हालातों को बद्तर किया है.

वेनेजुएला में महंगाई की स्थिति

भारत में सबसे बड़ा नोट 2000 रूपये का है हालाँकि रिज़र्व बैंक चाहे तो 10 हजार रूपये तक का नोट छाप सकती है. वेनेजुएला में सबसे बड़ा नोट एक लाख बोलिवर के बराबर का है और अब यह नोट भी बेअसर होने जा रहा है क्योंकि महंगाई इतनी ज्यादा है कि इस नोट से भी जरुरत का सामान नहीं खरीदा जा सकता है. इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने फैसला किया है कि करेंसी से 5 शून्य को हटा दिया जाएगा. इसका मतलब 1 लाख बोलिवर की कीमत 1 बोलिवर के बराबर हो जाएगी.

वेनेजुएला में अप्रैल महीने में महंगाई 234% की नई ऊंचाई पर पहुंच गई थी. इसका मतलब है कि वहां हर 17वें दिन कीमतें दोगुनी हो रही है. जून 2018 में सालाना महंगाई दर 46,000% तक आ गई थी जबकि वेनेजुएला में न्यूनतम मजदूरी 1 अमेरिकी डॉलर प्रति माह के करीब है.

आईएमएफ का अनुमान है कि वेनेजुएला की हालत पहले विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी और हाल के दशकों में जिम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था जैसी है. जिम्बाब्वे में भी हालात इतने ख़राब हो गये थे कि वहां की सरकार ने जिम्बाब्वे डॉलर की जगह अन्य देशों की मुद्रा जैसे अमरीकी डॉलर और ब्रिटिश पौण्ड का इस्तेमाल शुरू कर दिया था.

वेनेजुएला में लोग विनिमय सिस्टम (Barter syatem) को अपनाने लगे हैं यहाँ पर नाई बाल काटने के बदले में अंडे और केले ले रहे हैं. कैब सर्विस लेने के लिए सिगरेट का डब्बा देना पड़ रहा है. रेस्त्रां खाना खिलाने के बदले पेपर नैपकिन ले रहे हैं.

महंगाई के कुछ भयानक उदाहरण;

1. वेनेजुएला में एक यूनिवर्सिटी प्रोफेसर को अपना पुराना जूता मरम्मत करवाने के लिए चार महीने की सैलरी के बराबर 20 अरब बोलिवर (करीब 4 लाख रुपये) देने पड़े.

2. मई 2018 में 13 लाख के न्यूनतम मासिक वेतन से सिर्फ दो लीटर दूध, चार केन ट्यूना और एक ब्रेड मिल रहा था.

3. ढाई किलो चिकन के लिए करीब डेढ़ करोड़ बोलिवर खर्च करना पड़ता है.

4. एक किलो टमाटर के लिए पचास लाख बोलिवर खर्च करने पड़ते हैं.

5. टॉयलेट पेपर के एक रोल के लिए 26 लाख बोलिवर कीमत देनी होती है.

6. 35 लाख का सैनिटरी पैड का एक पैकेट. यानी खरीदने जाना हो तो नोटों के बंडल से पूरा बोरा भर कर ले जाना होगा. बच्चों के डायपर का तो और भी बुरा हाल है. डायपर के एक पैकेट के लिए आठ लाख बोलिवार की कीमत चुकानी पड़ रही है.

7. एक किलो चीनी के बदले 25 लाख बोलिवर खर्च करने होते हैं.

8. चीज या पनीर खाना काफी महंगा पड़ सकता है. एक किलो पनीर चाहिए तो 75 लाख बोलिवर देने  पड़ रहे हैं.

inflation venezuela example

9. एक अमेरिकी डॉलर का मूल्य ढाई लाख बोलिवर के बराबर है.

वेनेजुएला में महंगाई के बारे में ऊपर लिखे गये उदाहरण इस बात के संकेत हैं कि इस देश में चारों तरफ अव्यवस्था का माहौल है. देश में आवश्यक वस्तुओं जैसे दवाइयों, दूध, अनाज, और बिजली इत्यादि के घोर आभाव है. कम्पनियाँ लोगों को सैलरी नहीं दे पा रहीं हैं इसलिए लोगों को निकाला जा रहा है इसके फलस्वरूप अपराध में तेजी से इजाफा हो रहा है. लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि वेनेजुएला की सरकार जल्दी ही कुछ कड़े फैसले लेगी और वहां के हालात रहने लायक हो जायेंगे.

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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