सुप्रीम कोर्ट में जजों की सीनियोरिटी कैसे तय होती है?

Nov 20, 2018, 15:33 IST

सुप्रीम कोर्ट की स्थापना 26 जनवरी 1950 में हुई थी. मुख्य न्यायधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. परन्तु क्या आप जानते हैं कि यह कैसे तय होता है कि सुप्रीम कोर्ट में सीनियर जज कौन होगा? इसका फैसला कैसे किया जाता है? सरकार किस आधार पर जज को पहले अपॉइंटमेंट वारंट जारी करती है? इत्यादि आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

Criteria to decide the seniority of the Supreme Court Judges
Criteria to decide the seniority of the Supreme Court Judges

सुप्रीम कोर्ट को उच्चतम न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय भी कहते है. भारत की यह शीर्ष अदालत है. इसकी स्थापना 26 जनवरी 1950 में हुई थी. सुप्रीम कोर्ट, अपील करने का अंतिम न्यायालय, नागरिकों के मूल अधिकारों का रक्षक, राष्ट्रपति का परामर्शदाता और संविधान का संरक्षक है. भारत की न्यायव्यवस्था के शीर्ष पर सुप्रीम कोर्ट आता है.

हम आपको बता दें कि संविधान के अनुसार इसमें एक मुख्य न्यायाधीश और अधिक से अधिक सात न्यायाधीश होते हैं. संसद कानून द्वारा न्यायाधीशों की संख्या में परिवर्तन किया जा सकता है. मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. राष्ट्रपति अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति मुख्य न्यायाधीश से परामर्श जरुर लेता है. परन्तु यह कैसे तय होता है कि सुप्रीम कोर्ट में सीनियर जज कौन होगा? इसका फैसला कैसे किया जाता है? सरकार कैसे तय करती है कि किस जज को पहले अपॉइंटमेंट वारंट जारी करेगी? इत्यादि आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में जज की सीनियोरिटी कैसे तय होती है?

जब सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति होती है तभी तय हो जाता है कि सीनियर जज कौन होगा. सुप्रीम कोर्ट में जो व्यक्ति जज बनने के लिए पहले शपथ ले लेता है, तो बाद में शपथ लेने वाले जज से वो सीनियर हो जाता है. क्या आप जानते हैं कि किसी भी जज के अपॉइंटमेंट का वारंट सरकार के द्वारा जारी होता है. जिसका अपॉइंटमेंट का वारंट पहले जारी होता है, वह पहले शपथ लेता है और सीनियर हो जाता है. मेमोरैंडम ऑफ प्रोसीजर के अनुसार सीनियॉरिटी का फैसला करने के लिए कोई लिखित व्यवस्था नहीं की गई है. ऐसे में जिस क्रम में जजों के नाम का अपॉइंटमेंट वारंट जारी होता है उसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जजों को शपथ भी दिलाते हैं.

जैसे कि उदाहरण के तौर पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा और रिटायर हो चुके जस्टिस जे चेलमेश्वर का अपॉइंटमेंट वारंट एक ही दिन जारी किया गया था. परन्तु जस्टिस मिश्रा जी का वारंट नंबर जे चेलमेश्वर से वरिष्ठ या पहले था तो उन्होंने पहले शपथ ग्रहण की थी, जिससे वे चेलमेश्वर से सीनियर हो गए थे.

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अब सवाल यह उठता है कि सरकार कैसे तय करती है कि किस जज को पहले अपॉइंटमेंट वारंट जारी करना है?

ये निर्भर करता है कॉलेजियम पर. सरकार कॉलेजियम में देखती है कि किसका नाम पहले जज बनने के लिए भेजा है. सरकार कॉलेजियम के द्वारा भेजे गए नाम को उसे वापिस भी लौटा सकती है. लेकिन अगर कॉलेजियम वापस से वही नाम भेज देती है तो सरकार को उस जस्टिस के नाम अपॉइंटमेंट वारंट जारी करना पड़ता है. इस नियम का जिक्र मेमोरैंडम ऑफ प्रोसीजर में भी किया गया है. भारतीय संविधान का आर्टिकल 124 (2) के अनुसार, "सर्वोच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति अपने पूर्ण अधिकारों के अंतर्गत करता है और इसके लिए वह आवश्यकतानुसार सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों से भी बातचीत कर सकता है. भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के में भी वह सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के चाहे जितने न्यायाधीशों की सलाह ले सकता है."

65 वर्श कि आयु तक सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश इस आर्टिकल के अनुसार अपने पद पर बने रहते हैं. कोई निश्चित उम्र या एक्सपीरियंस इनकी नियुक्ति के लिए जरुरी नहीं है. साथ ही चीफ जस्टिस के अलावा अन्य सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति चीफ जस्टिस से सलाह ले सकते हैं.

क्या आप जानते हैं कि कॉलेजियम किस प्रकार से तय करती है कि सुप्रीम कोर्ट में किस जज की नियुक्ति होनी चाहिये?

जिस प्रकार से कॉलेजियम जजों की नियुक्ति के बारे में तय करती है वो सब्जेक्टिव मेथड होता है और ये सारा उसके सदस्यों के विवेक पर निर्भर करता है. कौन सा जज कितना सीनियर है सिर्फ कॉलेजियम ये ही नही देखता है बल्कि मेरिट के मामले में किस जज को वरीयता दी जा सकती है- ये भी देखता है. ऑल इंडिया हाई कोर्ट में जजेस की लिस्ट में कौनसा जज कितना सीनियर है, साथ ही ये भी देखा जाता है कि क्या सुप्रीम कोर्ट में सभी राज्यों के जजों को सही प्रतिनिधित्व मिल रहा है या नहीं?

तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि सुप्रीम कोर्ट में जज की सीनियोरिटी कैसे तय होती है, किस आधार पर सरकार जज को अपॉइंटमेंट वार्रेंट भेजती है इत्यादि.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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