बदलते वक्त के साथ आज परिवहन के क्षेत्र में मोटर कार से लेकर मोटर बाइक तक मौजूद है। हालांकि, कभी सिर्फ साइकिल को ही भारत की सड़कों की शान कहा जाता था। इसे एक शाही सवारी माना जाता था। एक समय ऐसा भी था, जब हर घर में साइकिल तक नहीं होती थी, बल्कि मोहल्ले के कुछ घरों में ही इस शाही सवारी को देखा जाता था।
समय बदला और लोगों तक साइकिल की पहुंच बढ़ी। धीरे-धीरे हर घर में साइकिल पहुंच गई, लेकिन अब वह समय भी आ गया है कि घरों से साइकिल की सवारी गायब हो गई है और इनकी जगह मोटर साइकिल या कारों ने ले ली है। भारत में एक शहर तो ऐसा भी है, जिसे साइकिल का शहर भी कहा जाता है। कौन-सा है यह शहर, जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
भारत में कुल कितने शहर हैं
भारत में कुल शहरों की बात करें, तो यहां कुल 797 शहर हैं। इनमें से 752 शहर राज्यों में हैं, तो बाकी केंद्र शासित प्रदेशों में हैं। कुछ लेखों में आपको कुल शहरों की संख्या 780 से लेकर 813 तक देखने को मिलेगी।
किस शहर को कहा जाता है साइकिल का शहर
अब सवाल है कि भारत में किस शहर को साइकिल का शहर भी कहा जाता है, तो आपको बता दें कि पंजाब के लुधियाना को साइकिल का शहर भी कहा जाता है।
क्यों कहा जाता है साइकिल का शहर
लुधियाना को भारत में साइकिल निर्माण का केंद्र बिंदु कहा जाता है। यह अकेला शहर पूरे भारत की करीब 80 फीसदी साइकिलों का निर्माण करता है। ऐसे में हम कह सकते हैं कि भारत में बनने वाली हर 5 साइकिल में से एक साइकिल लुधियाना में तैयार होती है।
लुधियाना में कब से बन रही हैं साइकिलें
भारत के विभाजन के बाद लाहौर व इसके आस-पास के इलाकों में साइकिल पार्ट्स का काम कर रहे कारीगर व उद्योगपति लुधियाना में आकर बसे और इससे साइकिल उद्योग की शुरुआत हुई। यहां साइकिल का पहला कारखाना 1950 में मनमोहन सिंह मारटन द्वारा प्रभात नाम से लगाया गया था। इसके बाद कई अन्य साइकिल कंपनियों ने भी यहां उद्योग स्थापित किया।
1960 तक बना भारत की साइकिल राजधानी
लुधियाना में एक दशक में ही बड़े पैमाने पर साइकिल का निर्माण होने लगा था। यहां बनने वाली साइकिल व उनके पुर्जों को विदेशों तक निर्यात किया जाने लगा था। ऐसे में 1960 तक यह शहर भारत की साइकिल राजधानी कहलाने लगा था।
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