कर्फ्यू और CrPC की धारा 144 में क्या अंतर होता है?

Feb 21, 2019, 13:18 IST

क्या आप जानते हैं कि कर्फ्यू क्या होता है, कब लगाया जाता है और क्या ये धारा 144 CrPC के एक समान होता है. जब धारा 144 लागू होती है तो क्या कर्फ्यू भी लगता है या नहीं. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि धारा 144 क्या है और कर्फ्यू और धारा 144 में मुख्य तौर पर क्या अंतर होता है?

Difference between Curfew and CrPC Section 144
Difference between Curfew and CrPC Section 144

अकसर आम जिंदगी में कर्फ्यू शब्द सुनने को मिल ही जाता है. कही पर कुछ दंगे होने के बाद उस क्षेत्र कर्फ्यू लगा दिया जाता है. वहीं कभी ये भी सुनने को आता है की उस इलाके में CrPC की धारा 144 लगा दी गई है. आखिर कर्फ्यू और धारा 144 क्या होती है. क्या दोनों एक समान हैं या दोनों में कुछ अंतर भी होता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

जब लोगों का एक समूह सार्वजनिक शांति भंग करने के इरादे से इकट्ठा होता है, तो ऐसे समूह को गैर-कानूनी समूह के रूप में जाना जाता है. ऐसी प्रक्रियाओं को रोकने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 144 और कर्फ्यू जैसे प्रावधानों का उपयोग किया जाता है.

CrPC की धारा 144 क्या है?

किसी भी क्षेत्र या शहर में दंगा, लूटपाट, आगजनी या शहर के हालात बिगड़ने के कारण CrPC की धारा 144 लगाई जाती है. यह जिला मजिस्ट्रेट की ओर से जारी किया गया एक नोटिफिकेशन होता है. इसके लागू होने पर किसी स्थान पर 5 से अधिक लोग इकट्ठे नहीं हो सकते हैं. उस स्थान पर हथियारों के लाने और ले जाने पर भी रोक होती है. इसका उल्लंघन करने पर गिरफ्तार भी किया जा सकता है. धारा 144 लागू होने के बाद पुलिस जब किसी भी प्रकार की गैरकानूनी समूह को रोकती है तो वह भी दंडनीय अपराध माना जाता है. ऐसे लोगों को दंगों को बढ़ावा देने के लिए भी बुक किया जा सकता है. धारा 144 अधिकारियों को इंटरनेट का उपयोग करने पर रोक लगाने का भी अधिकार देती है.

वहीं कर्फ्यू क्या होता है?

दूसरी ओर कर्फ्यू के आदेश, किसी भी स्थान या शहर ‌के हालात ज्यादा बिगड़ने पर दिए जाते हैं. इसमें लोगों को एक विशेष समय या अवधि के लिए घर में ही रहना होता है. ऐसा माना जाता है कि यह किसी भी प्रकार की हिंसक स्थिति को संभालने में काफी मददगार साबित हो सकता है. वहीं हम आपको बता दें कि कर्फ्यू का आदेश एक विशिष्ट समूह के लिए या फिर आम जनता के लिए हो सकता है. यह पुलिस की पूर्व स्वीकृति के बिना किसी भी बाहरी गतिविधि को प्रतिबंधित करता है. केवल आवश्यक सेवाओं की अनुमति होती है, जैसे रोज मर्रा की जरूरतों के लिए कुछ समय तक बाजार का खुलना लेकिन स्कूलों को बंद रहने का आदेश दिया जाता है. कर्फ्यू लगाने से पहले धारा 144 लगाई जाती है और एक तय समय सीमा में आपको अपने घर पहुंचना होता है. कर्फ्यू भी जिला मजिस्ट्रेट की ओर से जारी किया गया एक आदेश ही होता है. इस समय यातायात पर पूर्ण रूप से भी प्रतिबंध होता है. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि कर्फ्यू धारा 144 का बढ़ा हुआ रुप है.

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क्या धारा 144 का मतलब कर्फ्यू होता है?

नहीं, देखा जाए तो धारा 144 आमतौर पर निषेधात्मक है. यह सार्वजनिक तौर पर एकत्रित होने पर रोक लगाती है.

दूसरी ओर कर्फ्यू, लोगों को एक विशेष समय के लिए घर के अंदर रहने का आदेश देता है. इसलिए, अधिकारी कुछ निश्चित समय के लिए कर्फ्यू लगा सकते हैं. समय इसमें काफी महत्वपूर्ण होता है. हालाँकि, यदि आवश्यकता हो तो अधिकारी कर्फ्यू की अवधि को बढ़ा भी सकते हैं.

सबसे महत्वपूर्ण बात, यदि आप कर्फ्यू के दौरान बाहर निकलना चाहते हैं, तो आपको स्थानीय पुलिस से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है.

कर्फ्यू के दौरान प्रतिबंध

- बिना किसी सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति अनशन, प्रदर्शन नहीं कर सकता है.

- सिर्फ परीक्षार्थियों, विवाह समारोह, शव यात्रा व धार्मिक उत्सव पर निषेधाज्ञा लागू नहीं की जाती है.

- कोई भी व्यक्ति लाठी, डंडा, स्टिक या किसी भी प्रकार का घातक अस्त्र, आग्नेयास्त्र लेकर नहीं चल सकता है.

- जिन शस्त्रों को लेकर लाइसेंस मिला हो वो भी कार्यालय में लेकर प्रवेश नहीं कर सकते हैं.

- बिना अनुमति जुलूस निकालने या चक्काजाम करने पर भी रोक होती है.

- बिना अनुमति तेज़ आवाज़ में पटाखे बजाने या बेचने पर भी रोक होती है.

- यहां तक कि किसी समुदाय-सम्प्रदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाले उत्तेजनात्मक भाषण या विज्ञापन पर भी रोक होती है.

- बिना अनुमति के लाउडस्पीकर, डीजे इत्यादि का प्रयोग करने पर भी प्रतिबंध होता है.

- परीक्षा केंद्र से दो सौ गज की दूरी पर पांच या उससे ज्यादा लोग इकट्टे नहीं हो सकते हैं.

- शादी-बारातों में भी शौकिया तौर पर शस्त्रों के प्रदर्शन करने पर भी रोक होती है.

तो अब आप जान गए होंगे कि कर्फ्यू और CrPC की धारा 144 में मुख्य तौर पर क्या अंतर होता है.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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