IPC और CrPC में क्या अंतर होता है?

Mar 26, 2020, 11:38 IST

क्या आप IPC और CrPC के बारे में जानते हैं, किन प्रक्रियाओं के तहत अपराधी को गिरफ्तार किया जाता है, किस अपराध के लिए क्या सजा होती है, अपराधी को जेल में कितने समय के लिए रखा जाता है, जज के सामने कब पेश किया जाता है, इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से IPC और CrPC के बीच क्या अंतर होता है के बारे में अध्ययन करते हैं.

What is the difference between IPC and CrPC?
What is the difference between IPC and CrPC?

आजकल, समाचार पत्रों, चैनलों और अन्य सोशल मिडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इत्यादि में देश विदेश हर जगह आपराधिक गतिविधियों के बारे में पढ़ने और सुनने को मिलता है जैसे बलात्कार, हत्या, चोरी, डकैती, इत्यादि. इसमें कोई संदेह नहीं है कि पीड़ितों को न्याय प्रदान करने और अपराधियों को दंडित करने के लिए हर देश ने कुछ कानून लागू किए हैं.

भारत के नागरिक के रूप में, देश के कानून के बारे में जानना ही महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि उनसे अच्छी तरह अवगत होना भी अनिवार्य है. किस-किस प्रकार के कानून को किन अपराधों में लागू किया जाता है, अपराधी को क्या सजा दी जाती है और क्यों, ये सब जानना जरुरी है. उससे भी पहले अपराध क्या होता है वगेरा भी पता होना अनिवार्य है. तो आइये अध्ययन करते हैं भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code,IPC) और दण्ड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure,CrPC) क्या होती है और इनमें क्या अंतर होता है.

IPC क्या है?

भारतीय दंड संहिता को Indian Penal Code, भारतीय दंड विधान और उर्दू में ताज इरात-ए-हिन्द भी कहते हैं जो कि 1860 में बना था. आपने फिल्मों में देखा होगा कि कोर्ट में जज जब सजा सुनाते हैं तो कहते हैं कि ताज इरात-ए-हिन्द दफा 302 के तहत मौत की सजा दी जाती है. ये और कुछ नहीं बल्कि भारतीय दंड संहिता ही होती है और दफा का मतलब धारा या Section से होता है.

ये धारा या Section लगातार संख्याओं को कहते हैं. IPC में कुल मिलाकर 511 धाराएं ( Sections) और 23 chapters हैं यानी 23 अध्याओं में बटा हुआ है. क्या आप जानते हैं कि 1834 में पहला विधि आयोग (first law of commission) बनाया गया था. इसके चेयरपर्सन लॉर्ड मैकॉले थे. इन्हीं की अध्यक्षता में IPC का ड्राफ्ट तैयार किया गया था. 6 अक्टूबर 1860 में यह कानून संसद में पास हुआ और 1862 में यह पूरी तरह से लागू किया गया  था. यहीं आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विश्व का सबसे बड़ा दांडिक संग्रह यानी IPC से बड़ा देश में और कोई भी दांडिक कानून नहीं है इसलिए इसको मुख्य क्रिमिनल कोड भी कहते हैं.

IPC को लागू करने का मुख्य उद्देश्य था कि सम्पूर्ण भारत में एक ही तरह का कानून को लागू किया जा सके ताकि अलग-अलग क्षेत्रीय कानूनों की जगह एक ही कोड हो. IPC कानून अपराधों के बारे में बताता है और उनमें से प्रत्येक के लिए क्या सजा होगी और जुर्माने की भी जानकारी देता है.

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CrPC क्या है?

CrPC को Code of Criminal Procedure और हिन्दी में दण्ड प्रक्रिया संहिता कहते है. यह कानून सन् 1973 में पारित हुआ और 1 अप्रैल 1974 से लागू हुआ था. किसी भी प्रकार के अपराध होने के बाद दो तरह की प्रक्रियाएं होती हैं जिसे पुलिस किसी अपराधी की जांच करने के लिए अपनाती है. एक प्रक्रिया पीड़ित के संबंध में और दूसरी आरोपी के संबंध में होती है. इन्हीं प्रक्रियाओं के बारे में CrPC में बताया गया है. दण्ड प्रक्रिया संहिता को मशीनरी के रूप में भी वर्णित किया जा सकता है जो मुख्य आपराधिक कानून (IPC) के लिए एक तंत्र प्रदान करता है. प्रक्रियाओं का विवरण इस प्रकार है:

- अपराध की जांच (Investigation of crime)

- संदिग्धों के प्रति बरताव (Treatment of the suspects)

- साक्ष्य संग्रह प्रक्रिया (Evidence collection process)

- यह निर्धारित करना कि अपराधी दोषी है या नहीं

आइये कुछ उदाहरणों की मदद से IPC और CrPC के बारे में अध्ययन करते हैं.

क्या आपने कभी किसी वाहन को चलाते वक्त या सड़क पर चलते वक्त ध्यान दिया है कि सड़क पर लिखा होता है कि वाहन को इतनी स्पीड से ज्यादा न चलाएं. नेशनल हाईवे पर भी वाहन को चलाने की स्पीड के बारे में सड़क पर लिखा होता है जैसे 90km/hr या 100 km/hr कुछ भी हो सकता है. अगर आप इस स्पीड लिमिट को तोड़ते है या इससे ज्यादा तेज़ वाहन चलाते हैं तो आप कानून तोड़ रहे हैं. यहीं आपको बता दें कि IPC का 279 सेक्शन कहता है कि rash driving या उपेक्षा पूर्ण वाहन चलाने के लिए दण्ड का प्रावधान है यानी it is a punishable offence और इसमें 6 महीने का कारावास या 6 महीने की सजा हो सकती है.

IPC और CrPC में क्या अंतर होता है?

कानून को दो हिस्से या सेगमेंट में बांटा गया है:

1. मौलिक विधि (Substantive law)

2. प्रक्रिया विधि (Procedural Law)

मौलिक विधि और प्रक्रिया विधि को फिर से बांटा गया है: सिविल कानून (Civil law) और दाण्डिक कानून (Criminal Law). उर्दू में सिविल कानून को दीवानी विधि और दाण्डिक कानून को फौजदारी विधि कहा जाता है. IPC, मौलिक विधि (Substantive law) है और CrPC प्रक्रिया विधि (Procedural Law) है.

IPC और CrPC कानून क्या कहते हैं? IPC अपराध की परिभाषा करती है और दण्ड का प्रावधान बताती है यानी it defines offences and provides punishment for it. यह विभिन्न अपराधों और उनकी सजा को सूचीबद्ध करता है. वहीं CrPC आपराधिक मामले के लिए किए गए प्रक्रियाओं के बारे में बताती है. इसका उद्देश्य आपराधिक प्रक्रिया से संबंधित कानून को मजबूत करना है.

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क्या आप जानते हैं कि अपराध क्या होता है? आइये इसको उदाहरण से समझते हैं. मानलीजिये सड़क पर 5 लोगों ने किसी आदमी को रोका और डरा धमका के उससे घड़ी, पैसे और चैन इत्यादि समान ले लिया और अखबार में खबर छपती है कि पांच लोगों ने एक आदमी को सरे आम लूटा. तो क्या ये लूट है? इसी प्रकार एक और उदाहरण देखिये कि दो लोग किसी भी बैंक में रात में घुसते है और 2 करोड़ रूपये ताला तोड़कर निकाल लेते हैं और अखबार में छपता है कि दो लोगों ने बैंक में डकैती डाली. तो क्या ये डकैती है? हम आपको बता दें कि ये दोनों खबर गलत छपीं हैं न तो वह लूट थी और न ही डकैती. अब ये जानने के लिए कि फिर ये कौन से अपराध हुए इसके लिए IPC में दिए गए अध्याओं को अध्ययन करना होगा.

IPC के अनुसार अगर पांच लोग कहीं मिलकर लूट करते हैं तो वह डकैती होती है यानी उन पांच लोगो ने जो उस आदमी को रोक कर उससे उसका सामान लिया तो वह डकैती थी और दूसरे में जो दो लोग बैंक में घुसे थे IPC के अनुसार दो लोग कभी भी डकैती नहीं कर सकते हैं. डकैती करने के लिए कम से कम पांच लोगों का होना जरूरी है. किसी को डराना और धमकाना ये डकैती के दौरान किया जाता है. बैंक में दो लोगों ने रात में पैसे निकाले इसके लिए उन्होंने किसी को न तो डराया और ना ही धमकाया इसलिए ये डकैती न हो के चोरी है. अगर दिन में ये दो लोग गार्ड या लोगों को डराकर बंदूक की नोक पर पैसे ले जाते तो ये लूट होती और अगर पांच लोग होते तो डकैती होती. इन सब चीजों के बारे में या यू कहे कि इन सबकी परिभाषाएं IPC में मिलती हैं.

अगर कोई चोरी करता है तो IPC के section 379 के तहत 3 साल का कारावास और जुर्माना हो सकता है. लेकिन अगर किसी घर में या बिल्डिंग में या किसी परिसर में चोरी होती है तो IPC की धारा 380 के तहत 7 साल का कारावास हो सकता है. अब अपराध क्या होता है, क्या सजा होगी उस अपराध की के बारे में आप जान गए होंगे लेकिन इसके लिए क्या प्रक्रिया होगी यानी अपराधी कैसे गिरफ्तार किया जाएगा, सबूत इकट्ठा करना, जमानत कैसे दी जाएगी, जमानत के लिए एप्लीकेशन कहा दी जाएगी, आरोपी के अपराध या निर्दोषता को निर्धारित करना, पुलिस के क्या कार्य हैं, वकील और मजिस्ट्रेट के क्या कार्य हैं, गिरफ्तारी के तरीके कैसे होंगे, गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति जेल में कितने दिन रखा जाएगा, मजिस्ट्रेट के सामने उसको कब उपस्थित करना होगा, इत्यादि तरह की सारी बातें प्रक्रिया के अंतर्गत आती हैं और CrPC में मिलेंगी. संक्षेप में, यह जांच, परीक्षण, जमानत, पूछताछ, गिरफ्तारी आदि के लिए CrPC पूरी प्रक्रिया का वर्णन करता है.

तुलना का आधार

भारतीय दंड संहिता (IPC)

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)

अर्थ

भारतीय दण्ड संहिता या IPC देश में लागू सभी आपराधिक गतिविधियों को कवर करने और उनके लिए सजा, गिरफ्तारी से जुड़े कानूनों का प्रावधान अर्थात मूल आपराधिक कानून को संदर्भित करती है.

भारत में दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC) आपराधिक कानून प्रक्रिया को विनियमित लागू करने के लिए एक प्रक्रिया है, जिसे आपराधिक मामले के दौरान पालन किया जाना चाहिए.

प्रकार

मौलिक विधि (Substantive law)

प्रक्रिया विधि (Procedural Law)

उद्देश्य

IPC को लागू करने का मुख्य उद्देश्य था कि पूरे भारत में एक तरह का पीनल कोड लागू किया जा सके ताकि अलग-अलग क्षेत्रीय कानूनों की जगह एक ही कोड हो सके.

दण्ड प्रक्रिया से संबंधित कानून को मजबूत करने के लिए.

कार्य

यह विभिन्न अपराधों और उनकी सजा को सूचीबद्ध करता है.

यह आपराधिक मामले में विभिन्न प्रकार की ली गई प्रक्रियों के बारे में  बताता है.

तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा की IPC आपराधिक अपराध को दंड के साथ परिभाषित करता है और CrPC सिविल प्रक्रिया संहिता भारतीय साक्ष्य अधिनियम आदि प्रक्रिया विधि है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपराधिक कानून प्रक्रिया प्राथमिक आपराधिक कानून के लिए एक मानार्थ कानून है.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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