महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि में क्या होता है अंतर, जानें

महाशिवरात्रि पूरे वर्ष में मनाई जाने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण शिवरात्रि है, जबकि सावन शिवरात्रि सिर्फ सावन महीने में पड़ती है। सावन मास में शिव पूजा के विशेष महत्त्व के कारण इसे अधिक पवित्र माना जाता है। दोनों ही पर्वों पर श्रद्धालु शिव जी की पूजा व्रत और अभिषेक करते हैं।

Feb 25, 2025, 14:02 IST
महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि में क्या होता है अंतर
महाशिवरात्रि और सावन शिवरात्रि में क्या होता है अंतर

महाशिवरात्रि का पर्व इस बार 26 फरवरी को मनाया जा रहा है। भगवान शिव से जुड़ा यह पर्व हिंदू पांचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सुबह 8 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगा। यह पर्व 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं, इस पर्व पर शिव पूजन का विशेष महत्त्व है, जो कि 26 फरवरी की रात होगी। 

क्या है महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि का पर्व आमतौर पर फाल्गुन मास में मनाया जाता है। इस दिन शिव पूजा का विशेष महत्त्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस दिन श्रद्धालु दिनभर उपवास कर रात्रि में जागरण करते हैं और भगवान शिव को जल, बेलपत्र, दूध व धतूरा आदि अर्पण कर अराधना करते हैं।  

क्या है सावन शिवरात्रि

सावन शिवरात्रि का पर्व सिर्फ सावन के महीन में ही मनाया जाता है। यह अमूमन अगस्त में होती है, जो कि श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है। इस दिन भी भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्त्व है। हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, सावन माह शिव जी को अधिक प्रिय है। ऐसे में इस माह की शिवरात्रि का अधिक महत्त्व बढ़ जाता है। इस शिवरात्रि को कांवड़ यात्रा से भी जोड़कर देखा जाता है।

 

विशेषता

महाशिवरात्रि

सावन शिवरात्रि

महत्त्व

यह भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह का शुभ दिन माना जाता है।

यह श्रावण मास में आने वाली शिवरात्रि होती है, जो शिव जी की विशेष पूजा के लिए होती है।

तारीख

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है।

श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है।

धार्मिक मान्यता

मान्यता है कि इस दिन शिव-पार्वती का विवाह हुआ था और शिव तांडव नृत्य करते हैं।

सावन का महीना शिव जी को अति प्रिय है, इस कारण इस दिन शिव आराधना का विशेष महत्त्व होता है।

उपवास और पूजा

भक्त पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात में जागरण कर शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, धतूरा आदि चढ़ाते हैं।

इस दिन भी उपवास रखा जाता है, लेकिन यह विशेष रूप से सावन में आने के कारण अधिक पवित्र माना जाता है।

अनुष्ठान

रात्रि में चार प्रहर की पूजा की जाती है और भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है।

यह विशेष रूप से श्रावण मास की सोमवारी व्रत और कांवड़ यात्रा से जुड़ा होता है।

विशेषता

इसे वर्षभर में सबसे महत्त्वपूर्ण शिवरात्रि माना जाता है।

सावन में शिव जी की पूजा अधिक फलदायी मानी जाती है, इसलिए इस शिवरात्रि का भी विशेष महत्त्व होता है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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