स्टील और स्टेनलेस स्टील दोनों ही धातुएं हैं और विश्व में प्रयुक्त होने वाली सामान्य सामग्रियां हैं। इनका व्यापक रूप से वाणिज्यिक और उपभोक्ता अनुप्रयोगों में उपयोग किया जाता है। स्टील और स्टेनलेस स्टील के बीच ताकत, लचीलापन, कठोरता व लागत आदि के मामले में गुण अलग-अलग होते हैं। इसके अलावा मुख्य अंतर उन घटकों में है, जो स्टील को उपयोगी बनाने के लिए इसमें जोड़े जाते हैं। इस लेख में स्टील और स्टेनलेस स्टील के बीच अंतर को लेकर जानकारी दी गई है।
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स्टील और स्टेनलेस स्टील के बीच अंतर
-स्टील का निर्माण कार्बन में लोहा मिलाकर किया जाता है, जिससे लोहा कठोर हो जाता है। इसे सादा कार्बन स्टील या माइल्ड स्टील के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें कम गलनांक के साथ कार्बन की मात्रा अधिक होती है। दूसरी ओर स्टेनलेस स्टील में क्रोमियम की मात्रा अधिक होती है, जो स्टील की सतह पर एक अदृश्य परत बना देती है, जो उसे दाग लगने से बचाती है।
-जब स्टील से स्टेनलेस स्टील तैयार किया जाता है, तो उसमें क्रोमियम, निकल, नाइट्रोजन और मोलिब्डेनम मिलाया जाता है। स्टेनलेस स्टील संक्षारण प्रतिरोधी होता है तथा स्टील पर दाग और जंग लगने का खतरा रहता है। स्टेनलेस स्टील पर आसानी से जंग नहीं लगता और यह खराब नहीं होता है।
-स्टील और स्टेनलेस स्टील की मजबूती: स्टील, स्टेनलेस स्टील की तुलना में थोड़ा अधिक मजबूत होता है, क्योंकि इसमें कार्बन की मात्रा कम होती है। इसके अलावा, कठोरता के मामले में यह स्टील से भी कमजोर है।
-चुंबकीय गुण: आमतौर पर स्टेनलेस स्टील गैर-चुंबकीय होता है यानी स्टेनलेस स्टील की 300 श्रृंखला में क्रोमियम और निकल होता है, जो इसे गैर-चुंबकीय बनाता है लेकिन स्टेनलेस स्टील की 400 श्रृंखला में केवल क्रोमियम होता है, जो इसे चुंबकीय बनाता है, जबकि स्टील चुंबकीय होता है।
-दिखावट: कार्बन स्टील साधारण होता है, तथा उस पर मैट फिनिश होती है, जबकि स्टेनलेस स्टील चमकदार होता है। स्टेनलेस स्टील पर क्रोमियम की कोटिंग उसे प्राकृतिक अवस्था में ही आकर्षक बना देती है, तथा उसे पेंट करने की आवश्यकता भी नहीं होती।
-स्टेनलेस स्टील की तुलना में कार्बन स्टील अधिक लचीला, टिकाऊ होता है और इसमें ऊष्मा वितरण भी उचित होता है।
-स्टील की तुलना में स्टेनलेस स्टील की तापीय चालकता कम होती है।
-कार्बन स्टील कठोर एवं मजबूत होता है। इसके चुंबकीय गुणों के कारण इनका उपयोग मोटरों और विद्युत उपकरणों में बड़े पैमाने पर किया जाता है और स्टेनलेस स्टील की तुलना में कार्बन स्टील में वेल्डिंग आसानी से की जा सकती है। स्टेनलेस स्टील का उपयोग कटलरी और घड़ी के रैप में किया जाता है।
-वजन: हल्के स्टील का वजन स्टेनलेस स्टील से कम होता है। कठोर बनाने के गुणों के कारण स्टेनलेस स्टील का वजन अधिक होता है तथा इसकी अधिभोग क्षमता कम होती है, क्योंकि विनिर्माण प्रक्रिया में इसे संभालना कठिन होता है।
-आमतौर पर हल्के स्टील का उपयोग किया जाता है और इसकी कीमत स्टेनलेस स्टील की तुलना में कम होती है।
उपरोक्त लेख से हमने स्टील और स्टेनलेस स्टील, उनके गुण, बनावट, संरचना आदि के बारे में सीखा।
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