वैसे तो हम सभी ने मानव अधिकारों के बारे में पढ़ा या सुना होगा लेकिन बच्चों के अधिकारों के बारे में लोग कम ही बात करते हैं क्योंकि लोग ये सोचते हैं कि ये तो बच्चे हैं इनके क्या अधिकार हो सकते हैं; लेकिन इस लेख में हमने बच्चों के अधिकारों के बारे में बताया है ताकि बड़े लोग बच्चों के अधिकारों की क़द्र कर सकें l बच्चों के अधिकारों से संबंधित घोषणा पत्र अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकारों के कानून में सबसे अधिक स्पष्ट व वृहद हैं। इसके 54 अनुच्छेदों में बच्चों को पहली बार आर्थिक,सामाजिक एवम राजनीतिक अधिकार एक साथ दिए गए हैं।
1. बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006
भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006, को 1 नवंबर 2007 से लागू किया गया थाl
यूनिसेफ द्वारा 18 साल की उम्र से पहले लड़कियों की शादी को बाल विवाह के रूप में परिभाषित किया गया है और इसे मानवीय अधिकारों का उल्लंघन माना गया हैl इस अधिनियम का उद्देश्य बाल विवाह के आयोजन पर रोक लगाना हैl बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 को, बाल विवाह प्रतिबंध अधिनियम-1929 के स्थान पर लाया गया थाl
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बच्चे की परिभाषा:
वह पुरूष जिसकी उम्र 21 वर्ष और वह महिला जिसकी उम्र 18 वर्ष से कम है, उसे बच्चे की श्रेणी में रखा गया हैl
2. भारत में बच्चों से संबंधित सबसे अधिक वाद-विवाद वाला अधिनियम “बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 हैl इस अधिनियम में इस बात का उल्लेख किया गया है कि बच्चे कहाँ और कैसे काम कर सकते हैं और कहाँ वे काम नहीं कर सकते हैंl
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3. शिक्षा का अधिकार
68वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 के द्वारा भारतीय संविधान में अनुच्छेद 21-ए को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया है,जिसके तहत 6-14 वर्ष के आयु वर्ग के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था की गई है।
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4. बाल तस्करी: यूनिसेफ के अनुसार 18 साल से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को किसी देश के भीतर या बाहर शोषण के उद्देश्य से भर्ती, परिवहन, स्थानांतरित या आश्रय प्रदान किया जाता है तो यह बाल तस्करी के अपराध के अंतर्गत आता हैl
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5. किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000: किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2000 भारत में किशोरों के न्याय के लिए प्राथमिक कानूनी ढांचा हैl इस अधिनियम को 2006 और 2010 में संशोधित किया गया हैl 2015 में जन भावना को देखते हुए भारतीय संसद के दोनों सदनों द्वारा इस बिल में संशोधन किया गया और किशोर की अधिकतम उम्र को घटाकर 16 वर्ष कर दिया गयाl
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6. बाल यौन उत्पीड़न अधिनियम, 2012: भारत में 53% बच्चे किसी-न-किसी रूप में बाल यौन शोषण का सामना करते हैंl अतः भारत में इस अधिनियम को पुरूष और महिला दोनों के लिए लागू किया गया हैl पोर्नोग्राफ़ी के संबंध में, यह कानून बच्चों के सामने या बच्चों को शामिल करने वाली पोर्नोग्राफ़िक सामग्री को देखने या संग्रह करने को अपराध मानता हैl यह अधिनियम बाल यौन दुर्व्यवहार को दंडनीय बनाता हैl
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किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि,
बच्चे मन के सच्चे, सारे जग की आँख के तारे,
ये वो नन्हे फूल हैं जो भगवन को लगते प्यारे !!
इस लिए ये हम सभी लोगों का यह परम कर्तब्य है कि हम बच्चों का बचपन छीनने की कोशिश ना करें और उनके अधिकारों का सम्मान करें ताकि देश के भविष्य को उज्जवल किया जा सके l
क्या आप पेट्रोल पम्प पर अपने अधिकारों के बारे में जानते हैं?
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