काकोरी ट्रेन षड्यंत्र से जुड़े 10 महत्त्वपूर्ण तथ्य, यहां पढ़ें

हर साल हम स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। लेकिन, इस दिवस का उत्सव एक दिन में नहीं मनाया जाता, इसके लिए संघर्ष की एक लंबी प्रक्रिया है और उनमें से एक है काकोरी ट्रेन षडयंत्र। आइये काकोरी रेल षडयंत्र के बारे में 10 महत्वपूर्ण तथ्य देखें।    

May 25, 2024, 11:42 IST
काकोरी षड्यंत्र मामला
काकोरी षड्यंत्र मामला

काकोरी रेल षडयंत्र एक राजनीतिक डकैती थी और यह घटना 9 अगस्त 1925 को लखनऊ से केवल 16 किमी दूर एक छोटे से शहर करोड़ी में घटित हुई थी।

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काकोरी ट्रेन षडयंत्र के बारे में 10 महत्वपूर्ण तथ्य

-काकोरी की घटना की साजिश इसलिए रची गई, क्योंकि उन्हें ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ क्रांतिकारी कार्रवाई के लिए धन की आवश्यकता थी।

-यह डकैती क्रांतिकारी संगठन द्वारा आयोजित की गई थी, हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) का गठन राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में किया गया था और इसका समर्थन अशफाकउल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, चंद्रशेखर आज़ाद, सचिंद्र बख्शी, केशव चक्रवर्ती, मन्मथनाथ गुप्ता, मुरारी लाल गुप्ता (मुरारी लाल खन्ना), मुकुंदी लाल (मुकुंदी लाल गुप्ता) और बनवारी लाल ने किया था।

-यह षड्यंत्र ब्रिटिश सरकार के खजाने को लूटने के लिए था, जिसमें लगभग 8,000 रुपये थे।

-यद्यपि, यह षडयंत्र अंग्रेजों के लिए था, लेकिन दुर्भाग्यवश एक यात्री की आकस्मिक गोली लगने से मौत हो गई थी।

-डकैती में जर्मन निर्मित माउजर पिस्तौल का इस्तेमाल किया गया था।

 -घटना के बाद, अंग्रेजों ने गहन तलाशी अभियान शुरू किया और हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन के 40 सदस्यों पर डकैती और हत्या का मामला दर्ज किया गया।

-राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी और असफाकउल्ला खान पर डकैती और हत्या सहित विभिन्न अपराधों के आरोप लगाए गए थे।

-काकोरी कांड के अंतिम फैसले के बाद : राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र नाथ लाहिड़ी और अशफाकउल्ला खान को मौत की सजा दी गई और बाकी को काला पानी (पोर्ट ब्लेयर सेलुलर जेल) और 14, 10, 7, 5 और 4 साल की सामान्य कारावास की सजा दी गई।

-फरवरी 1931 में ब्रिटिश पुलिस के साथ मुठभेड़ में चंद्रशेखर आजाद मारे गए।

-मौत की सजा पाए चार लोगों राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी और असफाकउल्लाह खान को बचाने के कई प्रयास किए गए। मदन मोहन मालवीय ने पहल की और तत्कालीन वायसराय एवं भारत के गवर्नर जनरल एडवर्ड फ्रेडरिक लिंडले वुड को केन्द्रीय विधानमंडल के 78 सदस्यों के हस्ताक्षरों के साथ एक ज्ञापन भेजा, लेकिन ब्रिटिश सरकार पहले ही उन्हें फांसी देने का निर्णय ले चुकी थी। इसलिए, दया याचिका कई बार ठुकरा दी गई। और अंततः राम प्रसाद बिस्मिल, ठाकुर रोशन सिंह, राजेंद्र लाहिड़ी और असफाकउल्ला खान को दिसंबर 1927 में फांसी दे दी गई।

हालांकि, ब्रिटिश भारतीय सरकार ने 'काकोरी षड्यंत्र' के मुख्य साजिशकर्ताओं को फांसी दे दी थी। लेकिन, इस मामले ने स्वतंत्रता संग्राम को और प्रज्वलित किया  और सैकड़ों-हजारों अन्य लोगों को स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने के लिए प्रेरित किया।

पढ़ेंः ब्रिटिश के खिलाफ स्वतंत्रता सेनानियों के प्रमुख षड्यंत्रों की सूची, पढ़ें

 

 

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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