चांद को लेकर दुनिया की ओर से कई मिशन लांच किए गए हैं। इस लिस्ट में भारत भी शामिल है, जो कि Chandrayaan-3 के माध्यम से चांद की सतह पर अपने कदम रख रहा है।
भारत के साथ-साथ यह मिशन पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस मिशन के माध्यम से भारत चांद के सबसे दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले देशों की सूची में पहला देश बनने की ओर अग्रसर है।
अभी तक किसी भी देश ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी पहुंच नहीं बनाई है। हालांकि, चांद पर पहुंचना आसान नहीं था। क्योंकि, यहां तक पहुंचने से पहले दुनिया ने कई बार असफलताओं का सामना किया था।
इससे पहले कई मिशन फेल हुए थे, जिनके बाद पहली बार दुनिया के किसी देश का स्पेसक्राफ्ट यहां पहली बार पहुंचा था। इस लेख के माध्यम से हम आपको दुनिया के चांद पर पहुंचने की कहानी को बताएंगे।
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17 अगस्त, 1958 का लांच हुआ था पहला मिशन
चांद पर पहुंचने को लेकर सबसे पहले 17 अगस्त, 1958 को पहला मिशन लांच किया गया था, जो कि पायनीर-0 नाम से जाना जाता है। यह मिशन संयुक्त राज्य अमेरिका की एयरफोर्स द्वारा लांच किया गया था।
हालांकि, टर्बोपंप गियरबॉक्स में खराबी होने की वजह से यह कुछ किलोमीटर की दूरी पर जाकर फट गया था।
कितनी बार फेल हो गई थी दुनिया
दुनिया के किसी भी देश के लिए चांद पर पहुंचना इतना आसान नहीं था। क्योंकि, उस समय तकनीक और संसाधन की कमी की वजह से चांद की सतह पर पहुंचना असंभव को संभव करने जैसा था।
ऐसे में दुनिया के अलग-अलग देशों की ओर से कई बार प्रयास किए और बार-बार में इसमें असफलात मिली। आपको बता दें कि चांद पर पहुंचने से पहले दुनिया के अलग-अलग देशों की स्पेस एजेंसियों को कुल 10 बार असफलता का मुंह देखना पड़ा था, जिसके बाद पहली बार कोई स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह पर पहुंचा था।
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चांद पर कब हुई थी पहली लैंडिंग
यह बात हम सभी जानते हैं कि चांद पर पहुंचने वाले पहली व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग थे। हालांकि, क्या आपको पता है कि चांद पर पहुंचने वाला पहला देश कौन-सा था।
यदि नहीं, तो आपको बता दें कि चांद पर सबसे पहले अपना स्पेसक्राफ्ट उतारने वाला पहले देश सोवियत यूनियन था। USSR ने Luna-2 मिशन के तहत 14 सितंबर, 1959 में चांद की सतह पर पहला स्पेसक्राफ्ट उतारा था।
क्या हुआ था हासिल
NASA की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मिशन के तहत दुनिया को यह पता चला था कि चांद की सतह पर मैग्नेटिक फील्ड नहीं है।
इसके साथ ही वहां पर रेडियेशन बेल्ट को लेकर भी कोई जानकारी नहीं मिली थी। इस मिशन को SS-6 लांच व्हीकल से लांच किया गया था और इसका कुल वजन 390.2 किलोग्राम था।
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