75th Indian Independence Day 2022: क्या है स्वतंत्रता दिवस का इतिहास, इसका महत्व और भारत में इसे कैसे मनाया जाता है?

Aug 12, 2022, 17:51 IST

75th Indian Independence Day 2022: एक लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से आज़ादी मिली थी। इस उपलक्ष्य में ही हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन सभी नेताओं को सम्मानित किया जाता है जिनका भारत को आज़ादी दिलाने में योगदान रहा है। इस वर्ष भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। और इस ख़ास साल को और भी यादगार बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा ‘ आज़ादी का अमृत महोत्सव’ प्रोग्राम की शुरुआत की गयी है।

 Independence Day 2022
Independence Day 2022

इस साल भारत में 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाएगा। एक लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्ति मिली थी। हर साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उन सभी व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है जिनका भारत के आज़ाद होने में योगदान रहा है। स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत के प्रधान मंत्री लाल किले में तिरंगा फहराते हैं, और राष्ट्र को एक भाषण देते हैं। स्कूलों और संगठनों से जुड़े विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित किए जाते हैं।

इस अवसर को यादगार बनाने के लिए भारत सरकार ने आज़ादी का अमृत महोत्सव प्रोग्राम लॉन्च किया है। साथ ही सरकार ने इस वर्ष एक नई वेबसाइट और मोबाइल ऐप लॉन्च की है जिससे दुनिया के किसी भी कोने में बैठे भारतीय 75वें स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम का हिस्सा बन सकते हैं । इस साल की थीम ‘Freedom Struggle, Ideas, Resolve, Actions & Achievements' रखी गई है।

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भारतीय स्वतंत्रता दिवस: इतिहास

वर्ष 1757 में भारत में ब्रिटिश शासन की शुरुआत हुई, जिसके बाद प्लासी के युद्ध में इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी की जीत हुई और देश पर नियंत्रण प्राप्त किया गया। ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में लगभग 100 वर्षों तक हुकूमत की और फिर ब्रिटिश ताज ने 1857-58 में इसे इंडियन म्यूटिनी के माध्यम से बदल दिया। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत की गई जिसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया था। गांधी जी ने अहिंसा और  असहयोग आंदोलन की पद्धति की वकालत की थी जिसने बाद में सविनय अवज्ञा आंदोलन का रूप ले लिया।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रितानी हुकूमत को भारी मात्रा में वित्तीय नुकसान उठाना पड़ा, जिसके बाद सन् 1946 में ब्रिटिश सरकार ने भारत पर अपना शासन समाप्त करने पर विचार किया। 1947 की शुरुआत में ब्रिटिश सरकार ने ऐलान किया कि वे जून 1948 तक सभी भारतीयों को सारी पावर हस्तांतरित कर देंगे। 

जून 1947 में पंडित जवाहर लाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना, अबुल कलाम आज़ाद, बी आर अम्बेडकर जैसे कई नेता भारत के विभाजन के लिए सहमत हुए। विभिन्न धार्मिक समूहों के लाखों लोगों ने निवास करने के लिए स्थान ढूंढना शुरू कर दिया। विभाजन के दौरान 250,000 से 500,000 लोग मारे गए। 15 अगस्त, 1947 को आधी रात को भारत को स्वतंत्रता मिली और जवाहर लाल नेहरू के भाषण "भाग्य के साथ प्रयास" द्वारा संपन्न हुई।

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 क्या है?

20 फरवरी, 1947 को ब्रिटिश प्रधान मंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की कि भारत में ब्रिटिश शासन 30 जून, 1948 तक समाप्त हो जाएगा, जिसके बाद शक्तियों को जिम्मेदार भारतीय हाथों में सौंप दिया जाएगा। इस घोषणा के बाद मुस्लिम लीग द्वारा आंदोलन किया गया और देश के विभाजन की मांग की गई। फिर, 3 जून, 1947 को, ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि 1946 में गठित भारतीय संविधान सभा द्वारा बनाया गया है और वे देश के उन हिस्सों पर लागू नहीं हो सकता जो इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं।

3 जून, 1947 को, लॉर्ड माउंटबेटन, भारत के वाइसराय ने विभाजन योजना को सामने रखा, जिसे माउंटबेटन योजना के नाम से जाना जाता है। कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने योजना को स्वीकार कर लिया। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को लागू करने वाली योजना को तत्काल प्रभाव दिया गया।

14-15 अगस्त, 1947 की मध्यरात्रि को, ब्रिटिश शासन समाप्त हो गया, और भारत और पाकिस्तान के दो नए स्वतंत्र डोमिनियन को सत्ता हस्तांतरित कर दी गई। लॉर्ड माउंटबेटन भारत के नए डोमिनियन के पहले गवर्नर-जनरल बने। जवाहर लाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। 1946 में स्थापित संविधान सभा भारतीय प्रभुत्व की संसद बन गई।

भारतीय स्वतंत्रता दिवस: समारोह

आपको बता दें कि 2022 में भारत अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। हर साल सेना, नौसेना और वायु सेना की लाल किले में परेड होती है। इतना ही नहीं स्कूल के बच्चे रंगीन कपड़े पहनाकर अभिनय करते हैं। भारत के प्रधान मंत्री हर साल झंडा फहराते हैं और लाल किले की प्राचीर से भाषण देते हैं। दिल्ली में विभिन्न स्कूलों और संगठनों द्वारा कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं लेकिन इस साल चल रही महामारी के कारण ऐसा संभव नहीं है।

स्वतंत्रता दिवस पर लोग पतंग उड़ाते हैं जो भारत की स्वतंत्र भावना का प्रतीक है। दिल्ली में लाल किला भी एक महत्वपूर्ण प्रतीक है क्योंकि 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भारत के ध्वज का अनावरण किया था। कई लोग दिल्ली शहर में ध्वजारोहण समारोह में भाग लेते हैं जो देखने के लिए एक सुंदर अनुभव है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कुछ लोग देशभक्ति सिनेमा देखते हैं, कुछ लोग टीवी पर लाल किले में चल रहे समारोह का प्रसारण देखते हैं, तो वहीं कुछ लोग एक दूसरे को मिठाई खिला कर स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं। वैसे इस बार आज़ादी का उत्सव मनाने के लिए ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ की शुरुआत की गयी है। आजादी का अमृत महोत्सव भारत की सामाजिक-सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक सफलता को सराहने और संजोने की एक कोशिश है ।

क्या है ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव ?

‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’, भारत सरकार की एक अनोखी पहल है। इसकी शुरुआत स्वतंत्रता दिवस के ठीक 75 सप्ताह पहले, 15 मार्च 2021 को की गयी थी। इस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी साबरमती आश्रम से निकली पदयात्रा को हरी झंडी दिखा कर आयोजन का आगाज़ किया था। 

‘ फ्रीडम स्ट्रगल, आईडिया, रिजॉल्व, एक्शन और अचीवमेंट’ की थीम के साथ शुरू किए गए इस प्रोग्राम का उद्देश्य नागरिक में क्रांतिवीरों के प्रति आदर और आपसी सद्भाव बढ़ाना है। इस उद्देश्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए ही भारतीय नागरिक सांस्कृतिक मंत्रालय की तरफ से ‘हर घर तिरंगा’ कैंपेन की शुरुआत भी की गयी है। प्रधानमंत्री ने मन की बात के एक एपिसोड में खुद भी लोगों से घरो में, और सोशल मीडिया प्रोफाइल पर 2 अगस्त से 15 अगस्त तक तिरंगा झंडा लगाने का आग्रह किया है। साथ ही harghartiranga.com पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर तिरंगे झंडे के साथ अपने फोटो अपलोड कर सर्टिफिकेट डाउनलोड कर सकते हैं।

वैसे आज़ादी के इस त्योहार को और भी ख़ास बनाने के लिए पहली बार 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण के बाद स्वदेशी तोप से सलामी देने का भी प्रबंध किया गया है। 

भारत में स्वतंत्रता दिवस विभिन्न तरीकों से और पूरे देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाता है। देश के विकास और देशवासियों की कुशलता की कामना के साथ आप सभी पाठकों स्वतंत्रता दिवस की बहुत सारी शुभकामनाएं !

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