Indian Railways: बिना लोकोमोटिव के कैसे चलती है वंदे भारत ट्रेन, जानें

Jul 20, 2023, 23:55 IST

Indian Railways: भारतीय रेलवे विभिन्न ट्रेनों का संचालन करता है। ट्रेनों के संचालन के लिए रेलवे की ओर से विभिन्न प्रकार के शक्तिशाली लोकोमोटिव का इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, भारती की प्रीमियम ट्रेनों में शामिल वंदे भारत एक्सप्रेस बिना लोकोमोटिव के चलती है। ऐसे में बिना लोकोमोटिव के चलना अपने आप में सवाल खड़ा करता है। कैसे होता है इस ट्रेन का संचालन, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

वंदे भारत ट्रेन
वंदे भारत ट्रेन

Indian Railways: भारतीय रेलवे में 12 हजार से अधिक लोकोमोटिव हैं। इसके अलावा 74 हजार से अधिक यात्री कोच के साथ प्रतिदिन 13 हजार से अधिक यात्री ट्रेनों का संचालन किया जाता है। इन सब आंकड़ों के साथ भारतीय रेलवे एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। हालांकि, भारतीय रेलवे ट्रेनों के संचालन के लिए हर ट्रेन में लोकोमोटिव का इस्तेमाल नहीं करता है। इसी में शामिल है देश की प्रीमियम ट्रेनों में शामिल वंदे भारत ट्रेन, जिसका संचालन बिना किसी लोकोमोटिव के किया जाता है। अन्य ट्रेनों की तुलना में आपको इस ट्रेन के आगे किसी भी प्रकार का डीजल या इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव देखने को नहीं मिलेगा। ऐसे में फिर कैसे चलती है वंदे भारत ट्रेन, जानें। 



वंदे भारत एक्सप्रेस को पूर्व में ट्रेन-18 नाम से जाना जाता था, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2019 में फरवरी में किया था। यह ट्रेन सबसे पहले नई दिल्ली से वाराणसी के बीच दौड़ी थी। वहीं, चेयर कार इस ट्रेन की गिनती भारत में प्रीमियम ट्रेनों में होती है। अपने पहले ट्रायल रन के दौरान इस ट्रेन ने 183 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार को पकड़ने में सफलता हासिल की थी। हालांकि, रेलवे में अन्य ट्रेनों का ट्रैफिक व अधिक रफ्तार के न झेल पाने की क्षमता वाले ट्रैक की वजह से इस ट्रेन को कम रफ्तार पर चलाया जाता है। सबसे तेज ट्रेन नई दिल्ली से भोपाल रूट पर चलती है, जिसकी रफ्तार 160 किलोमीटर प्रतिघंटा है। वहीं, बाकी रूटों पर इसकी अधिकतम रफ्तार 110 से 130 तक तय है। 

 

बिना लोकोमोटिव कैसे चलती है वंदे भारत

दरअसल, वंदे भारत एक्सप्रेस का संचालन Mainline Multiple Electric Unit(MEMU) के तहत किया जाता है। इस तकनीक में ट्रेन में लोकोमोटिव की आवश्यकता नहीं पड़ती है, बल्कि यात्री कोच में ही ट्रैक्शन मोटर को फिट किया जाता है। ट्रैक्शन मोटर ही वही मोटर होती है, जो पहियों को चलाने में मदद करती है। वंदे भारत में कोच के ऊपर लगा पेंटोग्राफ DC करंट लेकर इसे कोच के नीचे लगे ट्रांसफॉर्मर में भेजता है। ट्रांसफॉर्मर की मदद से इस करंट को AC करंट में बदला जाता है, जिसके बाद इसे एक निश्चित वोल्ट में ट्रैक्शन मोटर को भेजा जाता है, जिसके बाद ट्रैक्शन मोटर की मदद से ट्रेन का संचालन किया जाता है। 

 

12000 हॉर्स पावर की मिलती है शक्ति

एक 16 कोच वाली वंदे भारत ट्रेन में 8 कोच में ट्रैक्शन मोटर को फिट किया जाता है। इन कोच के नीचे लगी बोगी में ही ट्रैक्शन मोटर को फिट किया जाता है, जिससे कोच को खींचने में मदद मिलती है। 


 

यूक्रेन को दिया था 1 लाख पहिये बनाने का ऑर्डर

आपको बता दें कि भारत सरकार ने वंदे भारत की सफलता के बाद इसके अधिक मैनुफैक्चरिंग पर जोर देते हुए इसका उत्पादन बड़ाने का निर्णय लिया था। इसके तहत यूक्रेन को ट्रेन के पहिये बनाने के लिए 1,00,000 पहियों का ऑर्डर दिया था, लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई के कारण इस ऑर्डर की आपूर्ति नहीं हो सकी। ऐसे में भारत ने अन्य देशों से संपर्क साधा था। वहीं, देश में इसके पहियों के निर्माण के लिए सार्वजनिक उपक्रम की कंपनी SAIL को जोड़ा गया है। बंगलुरू स्थित रेल पहिया कारखाना में साल के 80,000 पहियों को बनाया जाएगा। 



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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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