Indian Railways: पीले रंग के बोर्ड पर क्यों लिखा होता है रेलवे स्टेशन का नाम, जानें

May 11, 2023, 19:04 IST

Indian Railways:  एशिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क यानि भारतीय रेलवे की दुनिया में अपनी अलग पहचान है। प्रतिदिन 13 हजार से अधिक यात्री ट्रेनों का संचालन करने वाला भारतीय रेलवे पीले रंग के बोर्ड पर ही क्यों रेलवे स्टेशनों का नाम लिखता है। जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

स्टेशन बोर्ड पर क्यों होता है पीले रंग का इस्तेमाल
स्टेशन बोर्ड पर क्यों होता है पीले रंग का इस्तेमाल

Indian Railways: भारतीय रेलवे देश में यातायात का प्रमुख साधन है। रेलवे में 7,000 से अधिक रेलवे स्टेशन हैं। इसके साथ ही 13 हजार से अधिक यात्री ट्रेनों का संचालन किया जाता है, जिनके माध्यम से प्रतिदिन बड़ी संख्या में यात्री सफर कर अपनी मंजिलों तक पहुंचते हैं। इन सभी आंकड़ों के साथ भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा और एशिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। जब भी आप ट्रेन में सफर करते होंगे, तो आपने रेलवे स्टेशन के अंतिम और शुरुआत में एक पीले बोर्ड पर रेलवे स्टेशन का नाम लिखा देखा होगा। हालांकि, क्या आपको पता है कि आखिर क्यों पीले बोर्ड पर ही रेलवे स्टेशन का नाम लिखा होता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम रेलवे से जुड़े इस तथ्य को जानेंगे। 

 

रेलवे में अलग-अलग स्टेशन

भारतीय रेलवे में 7,000 से अधिक बड़े-छोटे रेलवे स्टेशन हैं। इनमें टर्मिलन, जंक्शन व हॉल्ट स्टेशन शामिल हैं। इन स्टेशनों को यात्रियों की संख्या और अलग-अलग रेलवे जोन में चलने वाली ट्रेनों के माध्यम से बनाया गया है। इनमें से बड़े स्टेशन जंक्शन स्टेशन हैं, जहां से रेलवे के अलग-अलग जोन में ट्रेनों का संचालन होता है। वहीं, टर्मिनल स्टेशन पर रेलवे लाइन आगे नहीं जाती है, जबकि हॉल्ट स्टेशन लोकल ट्रेनों के लिए होते हैं। साथ ही कई बार इन स्टेशनों पर एक्सप्रेस ट्रेनों को भी रोका जाता है। सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन की बात करें, तो इस सूची में नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, हावड़ा और गोरखपुर आदि रेलवे स्टेशनों का नाम आता है। इसमें भी हावड़ा रेलवे स्टेशन पर सबसे अधिक 23 प्लेटफॉर्म और 26 लाइनें हैं। 



क्यों होता है पीले रंग का इस्तेमाल

विज्ञान के मुताबिक, पीले रंग के वेवलैंथ 570 से 590 नैनोमीटर होती है। ऐसे में यह रंग दूर से ही नजर आता है। वहीं, इस रंग पर काला रंग अधिक स्पष्ट होता है। वहीं, लोकोपायलट इस रंग की मदद से दूर से ही पहचान लेते हैं कि आगे रेलवे स्टेशन है। इसके साथ ही यात्रियों को स्टेशन का नाम पढ़ने में कोई परेशानी नहीं होती है। इस वजह से किसी भी रेलवे प्लेटफॉर्म का नाम देने के लिए इन दोनों रंगों का इस्तेमाल किया जाता है। आपको यह भी बता दें कि लाल रंग सबसे कम फैलता है, ऐसे में रेलवे द्वारा इस रंग का इस्तेमाल स्टेशन के लिए फिर भी नहीं किया जाता है, क्योंकि रेलवे में लाल रंग खतरे का रंग होता है। इसलिए इस रंग का इस्तेमाल सिर्फ ट्रेन को रोकने के लिए होता है। यदि स्टेशन का नाम लाल रंग में होगा, तो इससे दूर से देखने में लोकोपायलट को दुविधा हो सकती है। 

 

वर्तमान में बदला है बोर्ड का स्वरूप

भारतीय रेलवे पुराने समय में रेलवे स्टेशन का नाम दर्शाने के लिए लकड़ी के बोर्ड का इस्तेमाल करता था, जिसे रेलवे की पटरियों में इस्तेमाल आने वाले लोहे के स्लीपर की मदद से खड़ा किया जाता था। हालांकि, बारिश व धूप की वजह से कुछ वर्षों में बोर्ड गल जाते थे, जिससे रेलवे को नए बोर्ड बनाने पड़ते थे। ऐसे में कुछ समय बाद इनकी जगह कंक्रीट के बने बोर्ड ने ले ली। हालांकि, वर्तमान समय में इनका भी स्वरूप बदला है और अब नए बोर्ड की जगह एल्यूम्यूनियम के बोर्ड ने ले ली है, जो कि कई सालों तक बिना जंग के सुरक्षित रहते हैं। इन बोर्ड पर अब रंग करने के बजाय रेडियम की एक परत चढ़ाई जाती है, जिससे रात में भी बोर्ड आसानी से दिख जाते हैं। 

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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