हाल ही में किसानों ने अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच किया है। इस कड़ी में किसान दिल्ली-नोएडा बॉर्डर तक पहुंच गए हैं और एमएसपी समेत अन्य मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं। यह पहली बार नहीं है, जब किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाई है, बल्कि इतिहास में कई बार किसानों ने अपनी मांगों को लेकर आवाज बुलंद की है।
इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि भारत का पहला किसान आंदोलन कब, क्यों और कहां हुआ था, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
कब हुआ था पहला किसान आंदोलन
भारत में पहला किसानों का आंदोलन साल 1917 का माना जाता है। इस आंदोलन में किसानों ने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की थी।
क्यों और कहां हुआ था पहला किसान आंदोलन
पहला किसान आंदोलन चंपारण सत्याग्रह को कहा जाता है। दरअसल, उस समय किसानों को अपनी भूमि के 15 फीसदी हिस्से पर नील की खेती करनी होती थी। किसानों को इसके लिए ब्रिटिश सरकार मजबूर करती थी और उन्हें इसके बदले कुछ नहीं मिलता था। इससे किसानों को काफी नुकसान होता था। ऐसे में बिहार के चंपारण जिले में महात्मा गांधी के नेतृत्व में ब्रिटिश के खिलाफ यह आंदोलन किया गया था।
क्या थी आंदोलन की पृष्ठभूमि
महात्मा गांधी साल 1916 में लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने पहुंचे थे। यहां उनकी मुलाकात चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ल से हुई थी। राजकुमार शुक्ल ने गांधी को अपने यहां की स्थिति का विवरण दिया और उनसे चंपारण आने का आग्रह किया। हालांकि, उस समय शुक्ल की बात को इतनी तवज्जों नहीं दी गई, लेकिन शुक्ल द्वारा बार-बार आग्रह करने के बाद गांधी चंपारण पहुंचने के लिए राजी हुए।
किसानों के आगे ब्रिटिश को झुकना पड़ा
15 अप्रैल 1917 को गांधी पहली बार चंपारण पहुंचे और उन्होंने यहां शांतीपूर्ण आंदोलन शुरू किया। इसमें स्थानीय किसानों ने उनका भरपूर सहयोग किया। साथ ही, किसानों के बयानों को कलमबद्ध किया गया। उस समय इस आंदोलन की अखबारों में भी खूब चर्चा हुई, जिससे इस आंदोलन को धार मिली। ऐसे में धीरे-धीरे ब्रिटिश सरकार किसानों के आगे झुक गई और अंत में 135 सालों से चली आ रही नील की खेती भी बंद हो गई।
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