कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन(KMRC) ने हाल ही में हुगली नदी में पानी के नीचे मेट्रो का ट्रॉयल रन किया है, जिसके बाद कोलकाता मेट्रो देश की पहली पानी के नीचे चलने वाली मेट्रो बन गई है। हालांकि, कोलकाता मेट्रो के लिए यह करना आसान नहीं था। मेट्रो के इंजनीनियरों ने दिन-रात मेहनत कर पानी के नीचे 520 मीटर लंबी सुरंग को बनाया, जिसमें सुरक्षा का ध्यान रखते हुए मेट्रो का ट्रॉयल रन किया गया है। आने वाले समय में लोग जल्द ही हावड़ा से एसप्लेंडे तक की यात्रा कम समय में कर सकेंगे। इस लेख के माध्यम से हम मेट्रो की इस परियोजना के बारे में जानेंगे।
क्या है परियोजना
कोलकाता मेट्रो के ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर के 16.6 किलोमीटर लंबे स्ट्रेच में 520 मीटर का यह रास्ता हुगली नदी से होकर गुजरा है। इस परियोजना के माध्यम से सेक्टर पांच से हावड़ा की दूरी को कम किया जा सकेगा, जिससे यात्रियों के समय की बचत करने में मदद मिलेगी।
नदी से कितने नीचे है टनल
कोलकाता मेट्रो की ओर से हुगली नदी से 33 मीटर नीचे की गहराई में सुरंग बनाई गई है। वहीं, टनल को इस तरह से बनाया गया है कि टनल में किसी भी जगह से पानी न घुस सके। इसके लिए 1.4 मीटर चौड़ी कंक्रीट से बनी रिंग और हाइड्रोफिलिक गैसकिट के माध्यम से टनल को तैयार किया गया है। यह एक प्रकार रबड़ मटिरियल होता है, जो कि पानी के रिसाव को रोकने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। यह पानी के संपर्क में आने से फैल जाता है। वहीं, इस मटिरियल की खास बात यह है कि यह अपने मूल रूप से 800 फीसदी तक फैल सकता है।
सुरक्षा का रखा गया है ध्यान
इस टनल को बनाने में कोलकाता मेट्रो की ओर से सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है। इसके लिए मेट्रो की ओर से टनल में किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति में यात्रियों को निकालने के लिए रास्ता भी बनाया गया है, जिससे यात्री सुरक्षित रूप से टनल से बाहर आ सकते हैं।
45 सेकेंड में पूरा करेगी सफर
इस नदी में बनी टनल में कोलकाता मेट्रो 45 सेकेंड का सफर करेगी, जिसमें 520 मीटर लंबी टनल को क्रॉस किया जाएगा। पहली बार किया गया ट्रायल रन हावड़ा से एस्प्लेंडे रोड तक किया गया है। वहीं, इस लाइन पर बना हावड़ा मेट्रो स्टेशन सबसे गहराई वाला स्टेशन बन गया है।
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