भारत का अनोखा गांव जहां नाम से नहीं ट्यून से पुकारे जाते हैं लोग, जानें

Feb 28, 2023, 15:48 IST

भारत विविधताओं का देश है, जहां कुछ किलोमीटर की दूरी पर ही भाषा और संस्कृति बदल जाती है। क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसा गांव भी, जहां लोग एक दूसरे को नाम से नहीं बल्कि ट्यून से बुलाते हैं। कहां है यह गांव और क्या है वजह, जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

ट्यून वाला गांव
ट्यून वाला गांव

भारत एक ऐसा देश है, जहां उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक पहुंचने पर आपको अलग-अलग तरह की संस्कृति और भाषा देखने को मिल जाएंगी। यही वजह है कि भारत को विविधताओं का देश कहा जाता है। यहां के समृद्ध इतिहास के पीछे यहां की संस्कृति का भी जुड़ाव है। इतिहास को देखें, तो अपनी अलग-अलग संस्कृति, भाषा और अन्य सामाजिक कारणों की वजह से भारत के अलग-अलग राज्य बने। क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसा भी गांव है, जहां लोग एक दूसरे को नाम से नहीं, बल्कि ट्यून से बुलाते हैं। यह सुनने में थोड़ा अजीब हो सकता है, लेकिन ऐसा सच है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से भारत के इस अनोखे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं। जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें। 



भारत का व्हिसलिंग गांव 

भारत में मेघालय राज्य में यह अनूठा गांव है, जिसे भारत के व्हिसलिंग गांव के नाम से भी जाना जाता है। यह गांव कोंगथोंग है, जो कि शिलांग से कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। 

 

नाम नहीं ट्यून से पुकारे जाते हैं लोग 

इस गांव में रहने वाले बच्चे या बड़े, एक दूसरे को किसी नाम से नहीं, बल्कि ट्यून के माध्यम से पुकारते हैं। इसके लिए हर एक शख्स को अपनी-अपनी ट्यून पता है। जब भी किसी बच्चे या बुजुर्ग को पुकारना होता है, तो वहां ट्यून का इस्तेमाल कर पुकारा जाता है। 

 

छोटी और बड़ी ट्यून का होता है इस्तेमाल 

गांव में लोग एक दूसरे को बुलाने के लिए छोटी और बड़ी ट्यून का इस्तेमाल करते हैं। इसके लिए लोगों ने अलग-अलग ट्यून बना रखी है। व्यक्ति को निक नेम के साथ पुकारने के लिए छोटी ट्यून और पूरे नाम के साथ पुकारने के लिए बड़ी ट्यून का इस्तेमाल होता है। 



कुल 700 ट्यून का होता है इस्तेमाल 

मेघालय के इस गांव में करीब 700 लोगों की आबादी है। ऐसे में प्रत्येक शख्स की अलग ट्यून होने के कारण यहां पर 700 के करीब ट्यूनों का इस्तेमाल किया जाता है। दिनभर अलग-अलग ट्यून गाने की वजह से यहां पर संगीत का माहौल भी बना रहता है। वहीं, इस गांव को देखने के लिए देश से नहीं बल्कि विदेश से भी लोग पहुंचते हैं। 

 

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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