राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद यह 'उम्मीद विधेयक 2025' के नाम से कानून बन गया है, जो वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन कर गैर-मुस्लिम और महिलाओं को वक्फ बोर्ड में शामिल करने, संपत्ति विवादों में न्यायिक हस्तक्षेप की अनुमति देने और वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता बढ़ाने जैसे अहम बदलाव पेश करता है. सरकार इसे समावेशी और उत्तरदायी प्रणाली की दिशा में कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इसे धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर प्रहार मान रहा है.
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर संसद में तीखी राजनीतिक बहस देखने को मिली, जहां विपक्ष ने इसे अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप बताते हुए विरोध जताया, जबकि सरकार ने इसे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला कदम बताया. यह विधेयक लोकसभा में 288 बनाम 232 के अंतर से पारित हुआ और अगले ही दिन राज्यसभा में भी सत्ता पक्ष के विरोध के बावजूद पास हो गया.
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‘उम्मीद विधेयक 2025’ (वक्फ संशोधन विधेयक 2024) हाईलाइट्स:
विधेयक का नाम | यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट एंपावरमेंट, एफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट विधेयक (उम्मीद) 2025 |
लोकसभा में पारित | 3 अप्रैल 2025 — वोटिंग में 288 पक्ष में, 232 विपक्ष में |
राज्यसभा में पारित | 4 अप्रैल 2025 — तीखी बहस के बीच पारित |
राष्ट्रपति की मंजूरी | 5 अप्रैल 2025 (देर रात) |
अब क्या है | यह विधेयक अब कानून बन चुका है |
मुख्य उद्देश्य | वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और न्यायिक निगरानी सुनिश्चित करना |
महत्वपूर्ण संशोधन | - गैर-मुस्लिम और महिलाओं को वक्फ बोर्ड में शामिल करने का प्रावधान - वक्फ संपत्तियों पर मनमाना दावा नहीं किया जा सकेगा - संपत्ति विवाद की स्थिति में कोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी - केवल पिछले 5 वर्षों से इस्लाम का पालन करने वाला व्यक्ति ही वक्फ को संपत्ति दान कर सकेगा |
विपक्ष की आपत्ति | धार्मिक स्वतंत्रता में दखल, अल्पसंख्यक अधिकारों पर प्रभाव |
सरकार का पक्ष | पारदर्शी वक्फ प्रबंधन, सभी समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित करना |
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 महत्वपूर्ण बदलाव
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के तहत कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जो वक्फ प्रबंधन को अधिक समावेशी और पारदर्शी बनाने की दिशा में उठाए गए कदम हैं:
- अब वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की भी नियुक्ति की जा सकेगी, हालांकि बोर्ड में एक इस्लामी धर्मविशेषज्ञ का होना अनिवार्य रहेगा.
- वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद में कम से कम दो महिला सदस्यों की मौजूदगी अनिवार्य की गई है.
- किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति घोषित करने से पहले उसका सत्यापन जरूरी होगा, ताकि विवादों से बचा जा सके.
- जिलाधिकारी को वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण कर उनका स्वामित्व सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है.
- निर्णय प्रक्रिया में अब गैर-मुस्लिम, पसमांदा, पिछड़े मुस्लिम और महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी.
- कोई भी व्यक्ति यदि वक्फ बोर्ड को संपत्ति दान करता है, तो वह कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम धर्म का अनुयायी होना चाहिए.
ये प्रावधान वक्फ संस्थानों में पारदर्शिता, समावेश और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से किए गए हैं.
सत्यापन के बाद संपत्ति की स्थिति स्पष्ट
Waqf Board Naya Kanoon: वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के तहत महिलाओं के अधिकारों और संपत्ति प्रबंधन को लेकर कई अहम बदलाव किए गए हैं:
- महिलाओं को संपत्ति में अधिकार: परिवार वक्फ (वक्फ-अल-औलाद) के तहत अब मुस्लिम महिलाओं को भी संपत्ति में उत्तराधिकार मिलेगा. उन्हें पैतृक और ससुराल दोनों प्रकार की संपत्तियों में हिस्सा मिलेगा. विशेष रूप से विधवा, तलाकशुदा और अनाथ महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति में उनका कानूनी हक सुनिश्चित किया गया है.
- सत्यापन के बाद संपत्ति की स्थिति स्पष्ट: जो संपत्तियां वक्फ के रूप में वैध रूप से दर्ज हैं, यदि उनका सत्यापन सही पाया गया, तो वे वक्फ की ही रहेंगी. बशर्ते कि वे विवादित या सरकारी संपत्ति की श्रेणी में न आती हों.
- कानूनी जटिलताओं में कमी: वक्फ संपत्तियों पर अब परिसीमा अधिनियम 1963 लागू होगा, जिससे वर्षों तक चलने वाले अदालती विवादों में कमी आएगी.
- पूरे गांव या मनमानी घोषणाओं पर रोक: अब किसी पूरे गांव को वक्फ संपत्ति घोषित नहीं किया जा सकेगा, और न ही केवल दावा करने मात्र से किसी संपत्ति को वक्फ संपत्ति माना जाएगा.
- आय पर निगरानी और जवाबदेही: जिन वक्फ संस्थाओं की वार्षिक आय ₹1 लाख से अधिक है, उन्हें हर साल ऑडिट करवाना अनिवार्य होगा, जिससे पारदर्शिता और वित्तीय जवाबदेही सुनिश्चित हो सकेगी.
वक्फ कानूनों की वैश्विक तुलना
— पीआईबी हिंदी (@PIBHindi) April 5, 2025
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 भारत में वक्फ प्रशासन के प्रति एक प्रगतिशील बदलाव का प्रतीक है, जो पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता पर बढ़ते जोर को दर्शाता है।
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वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 क्या है?
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025, वक्फ अधिनियम 1995 में बदलाव कर पारदर्शिता, जवाबदेही और समावेशिता को बढ़ावा देता है. इसमें गैर-मुस्लिम और महिलाओं को वक्फ बोर्ड में शामिल करने, संपत्ति विवादों में न्यायिक हस्तक्षेप की अनुमति देने और वक्फ प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाने के प्रावधान शामिल हैं.
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