चोल प्रशासन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों की सूची

850 ईस्वी से 1200 ईस्वी के बीच दक्षिण भारत में चोल एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरे थेl इस दौरान तुंगभद्रा से आगे तक शासन करने वाले राष्ट्रकूटों और बाद में उनके उत्तराधिकारी कल्याणी के चालुक्यों के साथ उनका संघर्ष जारी रहाl चोल वंश की स्थापना विजयालय ने की थी जो पहले पल्लवों का सामंत थाl इस लेख में हम चोल प्रशासन स्थानों की सूची का विवरण दे रहे हैl

Apr 14, 2017, 10:17 IST

850 ईस्वी से 1200 ईस्वी के बीच दक्षिण भारत में चोल एक प्रमुख शक्ति के रूप में उभरे थेl इस दौरान तुंगभद्रा से आगे तक शासन करने वाले राष्ट्रकूटों और बाद में उनके उत्तराधिकारी कल्याणी के चालुक्यों के साथ उनका संघर्ष जारी रहाl चोल वंश की स्थापना विजयालय ने की थी जो पहले पल्लवों का सामंत थाl इस लेख में हम चोल प्रशासन स्थानों की सूची का विवरण दे रहे हैl

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चोल प्रशासन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थानों की सूची

चोल प्रशासन से जुड़े स्थान

इन स्थानों का महत्व

तंजावुर (तंजौर)

यह चोल साम्राज्य की राजधानी थी, जहां राजराज प्रथम ने बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया थाl

वेल्लूर

यहाँ परान्तक प्रथम ने पांड्यों और श्रीलंका की संयुक्त सेना को हराया थाl

अनुराधापुरा

चोलों के शासन के दौरान यह श्रीलंका की राजधानी थी जिसे राजराज प्रथम ने नष्ट कर दिया थाl

पोलन्नरुवा

राजराज प्रथम ने इस श्रीलंकाई शहर को अपने साम्राज्य में मिला लिया थाl

अन्नाई मंगलम

यह वह गांव था जहां एक शैलेन्द्र शासक को चूड़ामणि विहार बनाने की अनुमति दी गई थीl

गंगईकोंडचोलपुरम

कावेरीपट्टनम के निकट स्थित इस शहर की स्थापना राजेंद्र प्रथम द्वारा अपने उत्तर भारत के सफल अभियान की समाप्ति के बाद किया गया थाl

चिदंबरम

चोल राजाओं का यहाँ राज्याभिषेक होता थाl

उत्तरमेरूर

चोल प्रशासन से संबंधित 10वीं शताब्दी के दो शिलालेख यहां से मिले हैंl

नागापट्टनम

कोरोमंडल तट पर स्थित नागापट्टम में शैलेंद्र शासकों ने राजराज प्रथम के समय में विहार का निर्माण किया थाl

मुमादी चोलमंडलम

राजराज प्रथम ने जीते गए श्रीलंकाई प्रांतों को एक नया प्रांत बनाकर उसे यह नाम दिया थाl

शुरुआत में चोलों को राष्ट्रकूटों के खिलाफ अपनी स्थिति को बरकरार रखने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन 10वीं सदी के अंत तक विजयालय के उत्तराधिकारियों जैसे आदित्य प्रथम चोल के नेतृत्व में चोलों की शक्ति में तेजी से बढ़ोतरी हुईl उसने कांची के पल्लवों का अस्तित्व मिटा दियाl इस अवधि में राजनीति या समाज में किसी भी उल्लेखनीय घटना का वर्णन नहीं किया गया है, हालांकि उद्योग, व्यापार और कला अपनी सामान्य गति से आगे बढ़ रही थीl

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