उत्तर प्रदेश के प्रमुख अभयारण्य, देखें लिस्ट

Sep 30, 2023, 11:00 IST

वन्यजीव अभयारण्य एक प्राकृतिक स्थान है, जो वन्यजीव प्रजातियों को अवैध शिकार से सुरक्षा प्रदान करता है। यह एक संरक्षित और भौगोलिक क्षेत्र होता है, जिसके भीतर वन्यजीव सुरक्षित होते हैं। इस लेख में हम उत्तर प्रदेश में वन्यजीव अभयारण्यों की सूची दे रहे हैं, जो यूपीएससी-प्रीलिम्स, एसएससी, राज्य सेवाओं, एनडीए, सीडीएस और रेलवे आदि जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए बहुत उपयोगी है।

यूपी के वन्यजीव अभयारण्य
यूपी के वन्यजीव अभयारण्य

वन्यजीव अभयारण्य एक प्राकृतिक स्थान है, जो वन्यजीव प्रजातियों को अवैध शिकार से सुरक्षा प्रदान करता है। यह एक संरक्षित और भौगोलिक क्षेत्र होता है, जिसके भीतर वन्यजीव सुरक्षित होते हैं। यह IUCN श्रेणी IV संरक्षित क्षेत्रों द्वारा स्थापित किया गया है। भारत में 500 से अधिक वन्यजीव अभयारण्य हैं, जिन्हें वन्यजीव अभयारण्य श्रेणी IV संरक्षित क्षेत्र कहा जाता है।

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उत्तर प्रदेश में वन्यजीव अभयारण्य

-बखिरा अभयारण्य

स्थान: संत कबीर नगर जिला

इसकी स्थापना 1980 में हुई थी। ग्रे -हेडेड स्वैम्फेन (पोर्फिरियो पोलियोसेफालस), जिसे इंडियन पर्पल मूरहेन या पर्पल स्वैम्प-हेन भी कहा जाता है, इस अभयारण्य में पाए जाने वाले सुंदर आम जल पक्षियों में से एक है।

-चंद्र प्रभा वन्यजीव अभयारण्य

स्थान: चंदौली जिला

यह सुंदर पिकनिक स्थलों, घने जंगलों और राजदरी और देवदारी जैसे सुंदर झरनों से समृद्ध है और इसकी स्थापना मई 1957 में हुई थी। यह पक्षियों की लगभग 150 प्रजातियों का घर है। काले हिरण, चीतल, सांभर, नीलगाय, जंगली सूअर, साही और चिंकारा के साथ-साथ सरीसृप प्रजातियों में घड़ियाल और अजगर भी यहां पाए जाते हैं।

-हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य

स्थान: अमरोहा, बिजनौर, गाजियाबाद, मेरठ और मुजफ्फरनगर जिला

इसकी स्थापना 1986 में हुई थी और इसका नाम प्राचीन शहर हस्तिनापुर के नाम पर रखा गया था। यहां पक्षियों की 350 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं, जैसे पेंटेड स्टॉर्क, ब्लैक एंड व्हाइट नेक्ड स्टॉर्क, सारस क्रेन, साथ ही रात्रि शिकारी पक्षी, जिनमें भारतीय सींग वाले उल्लू से लेकर जंगल उल्लू, रंगीन कठफोड़वा, बारबेट, किंगफिशर व मिनीवेट शामिल हैं। 

-कछुआ अभयारण्य

स्थान: वाराणसी जिला

यह अभयारण्य कछुओं, गंगा डॉल्फिन और अन्य जलीय जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है।

-कैमूर अभयारण्य

स्थान: मिर्जापुर और सोनभद्र जिला

इसकी स्थापना 1982 में हुई थी। यह अभयारण्य तेंदुआ, काला हिरण, चीतल, चिंकारा, रटेल, मोर, मृग, नीला बैल, जंगली बिल्ली, कराकल और बिज्जू के लिए प्रसिद्ध है।

-कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य

स्थान: बहराइच जिला

इसकी स्थापना 1975 में हुई थी। इसे 'प्रोजेक्ट टाइगर' के दायरे में लाया गया और किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य और दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के साथ मिलकर 1987 में दुधवा टाइगर रिजर्व का निर्माण हुआ। यह घड़ियाल, बाघ, गैंडा, गंगा डॉल्फिन, दलदली हिरण, हिस्पिड खरगोश, बंगाल फ्लोरिकन, सफेद पीठ वाले और लंबे चोंच वाले गिद्धों सहित कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है।

 

 

-किशनपुर वन्यजीव अभयारण्य

स्थान: लखीमपुर खीरी जिला

इसकी स्थापना 1972 में हुई थी। यह बाघ, तेंदुआ, दलदली हिरण, हॉग हिरण, बार्किंग हिरण, बंगाल फ्लोरिकन और लेसर फ्लोरिकन जैसी कई प्रजातियों का घर है।

-लाख बहोसी अभयारण्य

स्थान: कन्नौज जिला

यह भारत के बड़े पक्षी अभयारण्यों में से एक है, जो 80 वर्ग किमी में फैला है। यह विभिन्न प्रवासी पक्षियों का घर है। यहां सियार, नीला बैल, नेवला, फिशिंग कैट और बंदर भी पाए जाते हैं।

-महावीर स्वामी अभयारण्य

स्थान: ललितपुर जिला

यह तेंदुआ, नीलगाय, जंगली सूअर, सांभर, काला हिरण, नीला बैल, भालू, सियार, लंगूर और बंदरों का घर है।

-राष्ट्रीय चंबल वन्यजीव अभयारण्य

स्थान: आगरा और इटावा जिला

लुप्तप्राय घड़ियाल , लाल मुकुट वाले वाले कछुए और लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फ़िन की सुरक्षा के लिए यह उत्तरी भारत में त्रि-राज्य संरक्षित क्षेत्र है ।

-नवाबगंज पक्षी अभयारण्य

स्थान: उन्नाव जिला

यह अभयारण्य प्रवासी पक्षियों की 250 प्रजातियों जैसे ग्रेलैग गूज, पिनटेल, कॉटन टील, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, गैडवॉल, शॉवेलर, कूट, मल्लार्ड, सारस क्रेन, पेंटेड स्टॉर्क, मोर, सफेद आइबिस, डबचिक व व्हिसलिंग टील को संरक्षण प्रदान करता है।

यहां बिल सारस, सफेद गर्दन वाला सारस, तीतर-पूंछ वाला जकाना, कांस्य पंखों वाला जकाना, बैंगनी मूरहेन, लैपविंग, टर्न, गिद्ध, कबूतर, कोबरा, वाइपर, करैत, रैटस्नेक और जल सांप भी पाए जाते हैं ।

-ओखला अभयारण्य

स्थान: गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर जिला

इसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत 1990 में संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था।  यह अभयारण्य भारतीय उपमहाद्वीप में दर्ज 1200 से 1300 पक्षी प्रजातियों में से 30% की मेजबानी करता है।

-पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य

स्थान: गोंडा जिला

23 मई 1990 को इसे पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया। यह एंजियोस्पर्म की 212 प्रजातियों का घर है, जो 152 जेनेरा और 57 परिवारों से संबंधित हैं और टेरिडोफाइट्स की तीन 3 प्रजातियां, जो 3 जेनेरा और 3 परिवारों से संबंधित हैं।

-पटना पक्षी अभयारण्य

स्थान: एटा जिला

इसकी स्थापना 1991 में हुई थी। यहां प्रवासी और निवासी पक्षियों की 106 से अधिक प्रजातियां हैं।

-रानीपुर अभयारण्य

स्थान: बांदा और चित्रकूट जिला

इसकी स्थापना 1977 में हुई थी। यह बाघ, तेंदुआ, स्लॉथ भालू, सांभर, ब्लैकबक, मोर, स्पर फाउल, जंगल फाउल, पेंटेड पार्ट्रिज, फिशिंग कैट और चिंकारा का घर है

-समन अभयारण्य

स्थान: मैनपुरी जिला

इसकी स्थापना 1990 में हुई थी। यह विभिन्न जानवरों जैसे सियार, नेवला, खरगोश और विभिन्न स्थानीय और प्रवासी पक्षियों का घर है।

-समसपुर अभयारण्य

स्थान: रायबरेली जिला

इसकी स्थापना 1987 में हुई थी। ग्रेलैग गूज, पिंटेल, कॉमन टील, यूरेशियन विजियन, नॉर्दर्न शॉवेलर, रूडी शेल्डक (सुरखाब), नॉब-बिल्ड डक, लेसर व्हिसलिंग-डक, इंडियन स्पॉट-बिल्ड डक, यूरेशियन स्पून-बिल, किंगफिशर, गिद्ध प्रवासी पक्षी हैं, जो यहां आते हैं । 

-सांडी पक्षी अभयारण्य

स्थान: हरदोई जिला

इसकी स्थापना 1990 में स्थानीय निवासियों और प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक आवास और जलीय वनस्पति की रक्षा के लिए की गई थी।

-सोहागी बरवा अभयारण्य

स्थान: महाराजगंज जिला

यह उत्तर प्रदेश में बाघों के आवासों में से एक है। यहां बाघ, तेंदुआ, चीतल, भालू, जंगली बिल्ली, जंगली सूअर और अजगर पाए जाते हैं।

-सुहेलवा अभ्यारण्य

स्थान: बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती जिला

यह उत्तर प्रदेश के सबसे पुराने जंगलों में से एक में स्थित है और इसे 1998 में वन्यजीव अभयारण्य का दर्जा दिया गया था। यहां बंगाल टाइगर, भारतीय तेंदुआ, स्लॉथ भालू, मृग और हिरण जैसे स्तनधारी पाए जाते हैं। अन्य जानवरों में लोमड़ी, लकड़बग्घा, भारतीय हाथी और जंगली बिल्ली भी यहां पाए जाते हैं।

-सूर सरोवर अभयारण्य

स्थान: आगरा जिला

इसे कीठम झील अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। यह प्रवासी और निवासी पक्षियों की 106 से अधिक प्रजातियों का घर है। यह अभयारण्य कीठम झील में रहने वाले जलीय पक्षियों के लिए भी प्रसिद्ध है।

लिटिल गेरब्स, कॉर्मोरेंट्स, डार्टर, ग्रे हेरॉन, पर्पल हेरॉन, पैडी बर्ड, कैटल इग्रेट्स, लार्ज इग्रेट्स, स्मॉलर इग्रेट्स, लिटिल इग्रेट्स, नाइट हेरॉन, इंडियन रीफ हेरॉन, ब्लैक नेक्ड स्टॉर्क, व्हाइट आइबिस, स्पॉन बिल, ग्रेइंग गूज़, बार हेडेड गूज़, लेसर व्हिसलिंग टील, रूडी शेल्डक, पिंटेल, कॉमन टील, स्पॉट बिल्ड डक, गैडवॉल, विजियन, शॉवेलर और कॉम्ब डक यहां देखने को मिल जाएंगे।

-सुरहा ताल अभयारण्य

स्थान: बलिया जिला

यह विभिन्न प्रकार के प्रवासी और देशी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। इसे 1991 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था।

-विजय सागर अभयारण्य

स्थान: महोबा जिला

इसकी स्थापना 1990 में हुई थी। सियार, नेवला, जंगली बिल्ली और विभिन्न स्थानीय और प्रवासी पक्षी यहां पाए जाते हैं।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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