Maha Kumbh 2025: क्या होता है अखाड़ा और कौन से हैं भारत के प्रमुख अखाड़े, यहां जानें

Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में 13 जनवरी से महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। इसमें अलग-अलग अखाड़ों के संत पहुंच रहे हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि ये अखाड़े क्या होते हैं और इन्हें क्यों ये नाम दिया गया है। इस लेख में हम इस बारे में जानेंगे। 

Dec 18, 2024, 22:32 IST
महाकुंभ 2025
महाकुंभ 2025

Maha Kumbh 2025: महाकुंभ का मेला भारत के सबसे प्रमुख और सबसे बड़े मेलों में शामिल है। इस बार 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक  उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में महाकुंभ का आयोजन किया जा रहा है। इसमें देश-दुनिया से श्रद्धालु पहुंचेंगे।

साथ ही, भारत के अलग-अलग राज्यों से हमें साधु और संत भी देखन को मिलेंगे। आपने अखाड़ों को बारे में सुना और पढ़ा होगा, जिनका संबंध कुश्ती से होता है। हालांकि, इन मेले में पहुंचने वाले साधु संत अलग-अलग अखाड़ों से होते हैं। कुंभ के मेले में इन अखाड़ों का सांस्कृतिक, सामाजिक और अध्यात्मिक महत्त्व होता है। ऐसे में यहां यह सवाल है कि आखिर इस अखाड़े का क्या मतलब होता है। इस लेख में हम भारत के प्रमुख अखाड़े और उनसे जुड़े इतिहास के बारे में जानेंगे।

क्या होता है अखाड़ा 

कुंभ के मेले में अखाड़ों का संबंध का साधु संतों से होता है। यहां साधु-संतों के समूह को अखाड़ा कहा जाता है, जो कि अलग-अलग अखाड़ों में शामिल होते हैं। इन अखाड़ों का अपना सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्त्व है, जिनसे अलग-अलग साधु संत संबंध रखते हैं। साधु-संत यहां त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं। यही वजह है कि कुंभ के मेले में हमें अधिक संख्या में साधु-संत देखने को मिलते हैं।

भारत में कितने हैं प्रमुख अखाड़े

अब सवाल है कि भारत में प्रमुख अखाड़े कौन-से हैं, तो आपको बता दें कि भारत में कुल 13 प्रमुख अखाड़े हैं, जो कि उदासीन, शैव और वैष्णव पंथ के संन्यासियों के हैं। इसमें 7 अखाड़े शैव संन्यासी संप्रदाय के हैं, तो बैरागी वैष्णव संप्रदाय के तीन अखाड़े हैं। वहीं, शेष तीन अखाड़े उदासीन संप्रदाय के हैं। इन अखाड़ों का इतिहास सदियों पुराना बताया जाता है, जो कि भारत की संस्कृति में स्वर्ण की तरह हैं। बड़े-बड़े धार्मिक अनुष्ठानों में इन अखाड़ों की महत्ता देखने को मिलती है। 

किसने तैयार किये थे अखाड़े

हिंदू मान्यताओं पर गौर करें, तो आदि शंकराचार्य द्वारा कुछ ऐसे संगठन तैयार किए गए थे, जो शस्त्र विद्या का ज्ञान जानते थे। उन्होंने इन संगठनों को हिंदू धर्म की रक्षा के लिए तैयार किया और इन्हें अखाड़ों का नाम दिया। ऐसे में इन अखाड़ों में शामिल साधु-संत हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों की रक्षा करने के साथ धार्मिक स्थलों की भी रक्षा करते हैं। साथ ही, उनके द्वारा परंपराओं का भी संरक्षण किया जाता है, जिससे आने वाले पीढ़ी भारतीय संस्कृति और इसके संस्कार को जान सके। आपने कुछ जगहों पर नागा साधुओं के बारे में भी पढ़ा और सुना होगा, जो कि अखाड़ों से जुड़े होते हैं और धार्मिक रक्षक होते हैं। ऐसे में इन अखाड़ों का महत्त्व और भी बढ़ जाता है। 

यदि आप भी इस बार महाकुंभ जाने की तैयारी कर रहे हैं, तो आप महाकुंभ में पहुंच भारत की संस्कृति और परंपराओं से रूबरू हो सकते हैं। इसी तरह सामान्य अध्ययन का लेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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