उत्तर प्रदेश में प्रयागराज की धरती पर इस समय महाकुंभ जैसे महापर्व का आयोजन चल रहा है। मेले में करोड़ों श्रद्धालु आस्था की डुबकी के लिए पहुंच रहे हैं। सबसे अधिक श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर जुट रहे हैं।
मान्यताओं के मुताबिक, महाकुंभ के दौरान पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से पाप दूर होते हैं। ऐसे में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस लेख के माध्यम से हम प्रयागराज में बहने वाली नदियों के बारे में जानेंगे।
गंगा नदी
गंगा नदी पूरे उत्तर प्रदेश की सबसे प्रमुख नदी है, जो कि बिजनौर से राज्य में प्रवेश करती है। यह प्रदेश के कुल 28 जिलों से बहती हुई निकलती है, जिनमें हापुड़, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया जैसे जिले आते हैं।
यमुना नदी
यमुना नदी प्रदेश की दूसरी प्रमुख नदी है। हिमालय की गोद से निकलने के बाद यमुना नदी सहारनपुर जिले से उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। यह वह जगह है, जब यमुना नदी मैदान में उतरती है। यमुना नदी सहारनपुर, शामली, गौतमबुद्ध नगर, मथुरा और आगरा होते हुए प्रयागराज तक पहुंचती है। यहां पहुंचने पर यह नदी आगरा के किले के नीचे गंगा नदी से मिल जाती है।
सरस्वती नदी
सरस्वती नदी का प्रवाह नहीं देखा जा सकता है। हालांकि, मान्यताओं के मुताबिक, इस नदी का प्रवाह धरती के नीचे बताया जाता है। नदी को लेकर मान्यता है कि सरस्वती नदी धरती के नीचे बहते हुए प्रयागराज में गंगा और यमुना में मिल जाती है। यही वह जगह है, जहां तीन नदियों के संगम से त्रिवेणी संगम बनता है।
तमसा नदी
तमसा नदी को हम टोंस नदी के रूप में भी जानते हैं। यह गंगा की सहायक नदी है, जो कि प्रयागराज से कुछ दूरी पर बहती है। उत्तरखंड से निकलने के बाद यह नदी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बहती है। ऐसे में इस प्रकार प्रयागराज में चार नदियों का प्रवाह होता है।
कृषि से लेकर पीने के लिए उपयोगी
प्रयागराज में बहने वाली ये नदियां कृषि व पीने के पानी के लिए उपयोगी हैं। क्योंकि, इन नदियों के माध्यम से यहां की आबादी को पानी आपूर्ति की जाती है।
नदियों का है पर्यावरणीय महत्त्व
प्रयागराज में बहने वाली इन नदियों का पर्यावरणीय महत्त्व भी है। क्योंकि, इन नदियों से यहां की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को नई मजबूती मिलती है।
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