पांच नई भाषाओं को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा, भारत में अब कितनी शास्त्रीय भाषाएं, देखें सूची

5 New Classical Languages: नरेंद्र मोदी सरकार ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा दिया है, जिससे भारत में शास्त्रीय भाषाओं की संख्या बढ़कर 11 हो गई है. इन भाषाओं का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है, और शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से इनके संरक्षण, अध्ययन और शोध को बढ़ावा मिलेगा. यहां सभी शास्त्रीय भाषाओं की पूरी सूची देखें. 

Oct 4, 2024, 16:18 IST
5 New Classical Languages: नरेंद्र मोदी सरकार ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा दिया है.
5 New Classical Languages: नरेंद्र मोदी सरकार ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा दिया है.

5 New Classical Languages: पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले केन्द्रीय कैबिनेट ने मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को 'शास्त्रीय भाषा' (Classical languages) का दर्जा देकर एक बड़ा फैसला लिया है. इसके साथ ही अब भारत में शास्त्रीय भाषाओं की संख्या बढ़कर 11 हो गई है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस मौके पर कहा कि पीएम मोदी ने हमेशा भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता दी है और यह कदम उसी दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.

बता दें साल 2013 में तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार ने मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, जिसे अब मंजूरी मिल गई है. यह फैसला महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से ठीक पहले आया है, जिसे एक राजनीतिक कदम भी माना जा रहा है.  

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पांच नई शास्त्रीय भाषा:

इससे पहले तमिल, संस्कृत, तेलुगु, कन्नड, मलयालम और उड़िया को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था.  अब मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली को इस श्रेणी में शामिल किया गया है. इसके साथ ही महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों की भाषाओं को विशेष मान्यता मिली है. 

भारत में कुल कितनी शास्त्रीय भाषा:

यहाँ भारत की सभी शास्त्रीय भाषाओं की सूची एक तालिका के रूप में प्रस्तुत की गई है, जिसे आप देख सकते है- 

क्रम संख्या

भाषा

वर्ष

1

तमिल

2004

2

संस्कृत

2005

3

तेलुगु

2008

4

कन्नड़

2008

5

मलयालम

2013

6

उड़िया

2014

7

मराठी

2024

8

पाली

2024

9

प्राकृत

2024

10

असमिया

2024

11

बंगाली

2024

साल 2004 में शुरू हुई थी पहल:

केंद्र सरकार ने 2004 में "शास्त्रीय भाषा" की श्रेणी बनाई थी, और सबसे पहले तमिल को यह दर्जा मिला. इसके बाद संस्कृत, तेलुगु, कन्नड, मलयालम और उड़िया को क्रमशः शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता मिली थी. 

क्या होते हैं शास्त्रीय भाषा के मानदंड:

शास्त्रीय भाषा के मानदंडो के अनुसार, भाषा का 1500 से 2000 पुराना रिकॉर्ड होना चाहिए. साथ ही भाषा का प्राचीन साहित्य / ग्रंथो का संग्रह होना चाहिए.

साहित्यिक धरोहर का संरक्षण:

शास्त्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त होने के बाद प्राचीन साहित्यिक धरोहर जैसे ग्रंथों, कविताओं, नाटकों आदि का डिजिटलीकरण और संरक्षण किया जाता है. इससे आने वाली पीढ़ियाँ उस धरोहर को समझ और सराह सकती हैं.

शास्त्रीय भाषा का दर्जा मिलने से उस भाषा और उसकी सांस्कृतिक विरासत के प्रति समाज में जागरूकता और सम्मान दोनों बढ़ता है, साथ ही उस भाषा के दीर्घकालिक संरक्षण और विकास को भी गति मिलती है.

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Bagesh Yadav
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