"पूरब में काम करो नीति": अर्थ और उद्देश्य

Jun 1, 2018, 16:06 IST

भारत की "पूरब की ओर देखो नीति" वर्ष 1991 में पूर्व प्रधानमन्त्री श्री नरसिम्हा राव द्वारा शुरू की गयी थी. इस नीति का मुख्य लक्ष्य भारत के व्यापार की दिशा पश्चिमी और भारत के पडोसी देशों से हटाकर उभरते हुए दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों की ओर करना था. केंद्र की एनडीए सरकार ने नवंबर 2014 में म्यांमार में आयोजित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में “पूरब की ओर देखो” की नीति को “पूरब में काम करो नीति” के रूप में आगे बढ़ाया है.

Act East Policy India
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भारत की "पूरब की ओर देखो नीति" वर्ष 1991 में पूर्व प्रधानमन्त्री श्री नरसिम्हा राव द्वारा शुरू की गयी थी. इस नीति का मुख्य लक्ष्य भारत के व्यापार की दिशा पश्चिमी और भारत के पडोसी देशों से हटाकर उभरते हुए दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों की ओर करना था. केंद्र की एनडीए सरकार ने नवंबर 2014 में म्यांमार में आयोजित पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में “पूरब की ओर देखो” की नीति को “पूरब में काम करो नीति” के रूप में आगे बढ़ाया है.

9th east asia summit

"पूरब की ओर देखो नीति" और "पूरब की ओर काम करो नीति" के बीच महत्वपूर्ण अंतर इस प्रकार है:-

"पूर्व की ओर देखो नीति" का ध्यान दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ केवल आर्थिक एकीकरण में वृद्धि करना था और क्षेत्र केवल दक्षिण पूर्व एशिया तक ही सीमित था. दूसरी ओर "पूरब की ओर काम करो नीति" का ध्यान आर्थिक एकीकरण के साथ-साथ सुरक्षा एकीकरण भी है और इसका संकेन्द्रण दक्षिण पूर्व एशिया के साथ-साथ पूर्वी-एशिया में भी बढ़या गया है.

"पूरब की ओर काम करो नीति" के उद्देश्य हैं;
1. भारत और एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बीच क्षेत्रीय, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों के माध्यम से आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों और सामरिक संबंध विकसित करना.

2. भारत के उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्यों और इसके पड़ोसी राज्यों के बीच मधुर सम्बन्ध विकसित करना.

3. भारत के पारंपरिक व्यापार भागीदारों के स्थान पर उभरते हुए दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के अलावा प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ व्यापार संबंधों को ज्यादा वरीयता देना.

4. आसियान क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकना. वर्ष 2016-17 में भारत और आसियान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 71.6 अरब डॉलर तक पहुंच गया जो शुरुआती '90 के दशक में केवल 2 अरब डॉलर था. इसके विपरीत, 2016 में चीन और आसियान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 452.31 अरब डॉलर रहा था. आकडे बताते हैं कि भारत का व्यापार आसियान क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है.

india asean trade relations 2018

5. विशेषज्ञों का कहना है कि "पूरब की ओर काम करो नीति" के तहत आसियान देशों के साथ सम्बन्ध सफल बनाने के लिए सरकार 3C (संस्कृति, कनेक्टिविटी और वाणिज्य) के विकास पर जोर दे रही है.

"पूरब की ओर काम करो नीति" की सफलता सुनिश्चित करने के लिए और पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों की आसियान क्षेत्र के साथ कनेक्टिविटी को विकसित कर रही है.
एनडीए सरकार लोगों से लोगों के बीच संपर्क, व्यापार, संस्कृति और भौतिक आधारभूत संरचना (हवाई अड्डे, सड़क, बिजली, दूरसंचार आदि) को विकास करने पर जोर दे रही है. भारत और आसियान के बीच कुछ प्रमुख परियोजनाओं में बॉर्डर हाट्स (Border Haats) और रि-तिद्दीम रोड प्रोजेक्ट इत्यादि शामिल हैं.

भारत-जापान संबंध:
पिछले कुछ सालों से भारत-जापान संबंध अच्छे दौर से गुज़र रहे हैं और इसका सबूत यह है कि जापान कई बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं में भारत की मदद कर रहा है. जैसे दिल्ली मेट्रो निगम और प्रस्तावित अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना इत्यादि.

हालांकि, भारत और जापान के बीच के व्यापारिक निर्यात 2012-13 और 2016-17 के बीच पांच वर्षों में से चार वर्षों में घट गया है. नतीजतन, जापान के साथ भारत का व्यापार घाटा जो कि 2013-14 में 2.7 अरब डॉलर था वह 2016-17 में बढ़कर 5.9 अरब डॉलर हो गया है.

2016-17 में, भारत की ओर से जापान में किया जाने वाला निर्यात 17.5% घट गया जबकि भारत के आयात में केवल 1% की कमी आयी है. इस प्रकार 2013-14 से 2016-17 के बीच भारत की ओर से जापान में किया जाने वाला निर्यात 6.81 डॉलर अरब से आधा घटकर 3.85 अरब डॉलर पर आ गया है. हालाँकि आंकड़ों में यह कमी अल्पकालीन हो सकती है. भारत और जापान के बीच व्यापार आंकड़े इस प्रकार हैं;

india japan trade relations 2018

आसियान-भारत कार्य योजना (ASEAN-India Plan of Action) 2016-20 को अगस्त 2015 में अपना लिया गया है. इसमें राजनीतिक सुरक्षा, आर्थिक और सामाजिक-सांस्कृतिक सदभाव के तीन स्तंभों की पहचान की हुई है अर्थात इन देशों के बीच इन्ही तीन मुद्दों पर ठोस रणनीति बनाने और आपसी सहयोग के माध्यम से कठिन मुद्दों को सुलझाने पर जोर दिया जायेगा.

भारत आसियान व्यापार:
वर्ष 2014-15 में भारत और आसियान के बीच व्यापार 76.52 अरब अमरीकी डॉलर और 2016-17 में 71 अरब अमेरिकी डॉलर का व्यापार था. भारत अपने कुल व्यापार का 10% आसियान के साथ करता है.
आसियान एक बहुत ही मजबूत आर्थिक ब्लॉक है, इसकी कुल जनसँख्या 644 मिलियन, सभी देशों की कुल संपत्ति 2.7 ट्रिलियन डॉलर और औसत प्रति व्यक्ति आय $4,200 है. यदि भारत और आसियान को संयुक्त रूप से देखा जाये तो इनकी अर्थव्यवस्था का कुल आकार 5 ट्रिलियन डॉलर हो जायेगा जो कि अमेरिका और चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी.

"पूरब की ओर काम करो नीति" का फायदा उठाने के लिए भारत ने जापान, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर और दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों (आसियान), कोरिया गणराज्य (ROK) के साथ रणनीतिक साझेदारी के लिए अपने संबंधों को उच्च वरीयता दी है. यही कारण है कि ऑस्ट्रेलिया भारत को गैर परमाणु कार्यों के लिए यूरेनियम देने पर राजी हो गया है.

भारत, आसियान, आसियान एशियान क्षेत्रीय फोरम (ARF) और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS), के अलावा भी क्षेत्रीय मंच जैसे हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA), बंगाल की खाड़ी तकनीकी और आर्थिक सहयोग पहल (BIMSTEC), एशिया सहयोग वार्ता (ACD) और मेकांग गंगा सहयोग (MGC) में भी बहुत सक्रीय रहा है.

उपर्युक्त तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत का “पूरब की ओर देखो नीति" से पूरब में काम करो नीति" की तरफ जाना समय की जरुरत के हिसाब से बढाया गया कदम है.यदि आगे आने वाले समय में सबकुछ योजना में मुताबिक चलता रहता है तो निकट भविष्य में इस नीति के सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे.

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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