हरियाणा राज्य भारत के प्रमुख राज्यों में शामिल है, जो कि कृषि के क्षेत्र में समृद्ध राज्यों में से एक है। यह राज्य न सिर्फ अपनी विविधता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां के प्रत्येक जिले की विशेषताएं इसे अन्य राज्यों से अलग बनाती हैं।
आपने प्रदेश के अलग-अलग जिलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। यहां के हर जिले में आपको लहलहाती फसलें देखने को मिल जाएंगी, जिनके पीछे किसानों की मेहनत होती है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि हरियाणा के झज्जर जिले का नाम किस किसान के नाम पर है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
हरियाणा में कुल जिले और मंडल
हरियाणा राज्य का गठन 1 नवंबर, 1966 को हुआ था। यह राज्य देश का 20वां सबसे बड़ा राज्य है, जो कि देश के करीब दो डेढ़ फीसदी हिस्से पर है। इस राज्य में कुल 22 जिले हैं, जो कि 6 मंडलों में आते हैं। इन मंडलों में कुल 73 उपमंडल हैं। वहीं, यहां कुल 93 तहसील हैं। साथ ही, यहां कुल 10 नगर निगम, 10 लोक सभा और 5 राज्य सभा सीटों के साथ-साथ 90 विधानसभा सीटें भी हैं।
हरियाणा का सबसे बड़ा और सबसे छोटा जिला
हरियाणा के सबसे बड़े जिले की बात करें, तो यह सिरसा जिला है। वहीं, सबसे छोटा जिला फरीदाबाद है। यह जिला जनसंख्या के हिसाब से भी सबसे छोटा जिला है।
हरियाणा के चार दिशाओं के चार जिले
हरियाणा के सबसे पूर्वी जिले की बात करें, तो यह यमुनानगर है। वहीं, सबसे उत्तरी जिला पंचकूला है। सबसे पश्चिमी जिले की बात करें, तो यह सिरसा है और सबसे दक्षिणी जिला नूंह है।
किस किसान के नाम पर है झज्जर जिले का नाम
अब सवाल है कि आखिर किस किसान के नाम पर हरियाणा के झज्जर जिले का नाम है, तो आपको बता दें कि यह किसान छज्जू के नाम पर झज्जर जिले का नाम पड़ा है।
कौन था किसान छज्जू
हरियाणा सरकार की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, 1191 ईस्वी के दौरान जब मोहम्मद गोरी और राजा पृथ्वी राज के बीच युद्ध हुआ तब तक झज्जर का क्षेत्र विकास नहीं हुआ था और वहां सिर्फ जंगल था। पूर्वी हिस्से में मालोकन नाम से एक शहर था, जहां जाट रहते थे और युद्ध के कारण यह क्षेत्र सबसे खराब प्रभावित क्षेत्रों में से एक था। वहां रहने वाले अधिकांश लोग युद्ध के बाद विभिन्न स्थानों पर स्थानांतरित हो गए। छज्जू जाट जो गांव के निवासी थे, ने अपील की ताकि गांव का पुनर्वास किया जाएं।
हालांकि, गोरी ने इस अपील को खारिज कर दिया था। उन्होंने आदेश दिया कि गांव को कहीं और पुनर्वास किया जाना चाहिए। इसलिए, मलकान के जाट झज्जर शहर में रहने आए। इसे स्थापित करने के बाद झज्जर शहर को कई शासकों जैसे मुगल शासकों, मुस्लिम शासकों और अंग्रेजों के हाथों में बहुत से राजनीतिक अशांति से गुजरना पड़ा, जबकि कई लोग कहते हैं कि शहर ने संस्थापक यानी छज्जू से इसका नाम लिया, जिसे बाद में झज्जर में बदल दिया गया।
कई अन्य लोगों का यह भी विचार है कि यह झारनगर नाम से प्राकृतिक फव्वारे से लिया गया था। यह 15 जुलाई 1997 तक रोहतक जिले का हिस्सा था, जिसे बाद में इससे अलग किया गया।’
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