दिल्ली में सबसे पुरानी जिला न्यायालयों की बात करें, तो इसमें तीस हजारी कोर्ट का नाम भी टॉप में आता है। यह कोर्ट तीस हजारी इलाके में मौजूद है। यदि आप दिल्ली-एनसीआर में रहते हैं, तो आपने जरूर इस नाम के बारे में सुना होगा।
वहीं, कुछ लोग तो यहां से गुजरे भी होंगे। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर इस नाम के पीछे की क्या कहानी है, जिससे इस इलाके का नाम तीस हजारी हो गया। क्या कहता है इतिहास, इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में विस्तार से जानेंगे।
नाम के पीछे जुड़ी हैं दो कहानियां
तीस हजारी नाम के पीछे दो कहानियां जुड़ी हुई बताई जाती हैं। इसमें एक कहानी सिख सैनिकों के डेरा डालने को लेकर है, तो दूसरी कहानी मुगल शासक द्वारा बनाए गए बाग को लेकर है। इन दोनों कहानियों के अलग-अलग मायने हैं।
नामे के पीछे की पहली कहानी
ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर कभी 30 हजार पेड़ों वाला एक बाग हुआ करता था। इतिहासकार स्टीफन पी ब्लेक की किताब ‘शाहजहांनाबाद-द सॉवरिन सिटी इन मुगल इंडिया 1639-1739’ में इस बाग का जिक्र भी मिलता है।
उन्होंने लिखा है कि मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा काबुल दरवाजे के बाहर एक बाग बनवाया गया था, जिसे तीस हजारी बाग कहा जाता था। इस बाग में अधिकांश नीम के पेड़ हुआ करते थे। साथ ही, रंग-बिरंगे फूल भी यहां बाग की शोभा बढ़ाते थे।
नाम के पीछे की दूसरी कहानी
ऐसा कहा जाता है कि साल 1783 में सिख सैन्य अधिकारी बघेल सिंह धालीवाल के नेतृत्व में यहां सिख फौजियों ने डेरा डाला था, जिनकी संख्या 30 हजार थी। हालांकि, कुछ लोगों का मत है कि सिख फौजियों की संख्या सिर्फ 4 से 5 हजार थी, लेकिन उनके अस्तबल में घोड़ों की संख्या 30 हजार थी। इस वजह से इसे तीस हजारी नाम दिया गया। सिखों की मांग की थी कि दिल्ली में सिख धर्म से जुड़ी जगहों की पहचान कर वहं गरुद्वारा बनाने दिया जाए।
कभी हुआ करती थी रामलीला
आज इस जगह पर सेंट स्टीफंस अस्पताल भी बना हुआ है। वहीं, एक समय था, जब यहां हर साल रामलीला का आयोजन किया जाता था। लेकिन, समय के साथ यहां बदलाव हुआ और यहां तीस हजारी कोर्ट भी बन गई। रामलीला को अजमेरी गेट के पास स्थानांतिरत कर दिया गया।
दिल्ली मेट्रो का सबसे पुराना स्टेशन
आपको बता दें कि जब दिल्ली में 2002 में पहली मेट्रो चली, तो वह तीस हजारी से लेकर शाहदरा के बीच चली थी। ऐसे में यह दिल्ली मेट्रो का सबसे पुराना मेट्रो स्टेशन भी है।
पढ़ेंःभारत का कौन-सा जिला कहलाता है ‘लहसुन का शहर’, जानें क्या है नाम
Comments
All Comments (0)
Join the conversation