भारत को एथलेटिक्स में पहला स्वर्ण पदक दिलाने वाले सूबेदार नीरज चोपड़ा ने 87.58 मीटर का भाला फेंकते हुए ओलंपिक में इतिहास रच दिया। वह ओलंपिक के साथ-साथ कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। लेकिन क्या आप नीरज द्वारा फेंके गए भाले की कीमत, वज़न, तकनीक और प्रशिक्षण खर्च आदि के बारे में जानते हैं जिसने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया?
नीरज चोपड़ा के प्रशिक्षण का खर्च
भारत सरकार ने नीरज चोपड़ा की प्रैक्टिस, ट्रेनिंग, ट्रीटमेंट और अन्य सुविधाओं पर तकरीबन 7 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। उन पर पिछले पांच वर्षों से टार्गेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) के तहत स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) ने 52.65 लाख रुपये खर्च किए हैं। वहीं, (एनुअल कैलेंडर फॉर ट्रेनिंग एंड कॉम्पिटिशन) ACTC के तहत 1.29 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए हैं।
साल 2016 में उन्होंने IAAF वर्ल्ड U20 चैंपियनशिप में अंडर-20 वर्ल्ड रिकॉर्ड तोड़ दिया था और भारत के स्टार एथलीट के रूप में उभरे थे। वह उसी साल रियो ओलंपिक में भाग ले सकते थे, लेकिन क्वालिफिकेशन की डेडलाइन निकल जाने के कारण उन्हें पांच वर्षों का इंतजार करना पड़ा।
नीरज चोपड़ा की विदेश में ट्रेनिंग और प्रतियोगिताओं पर 48,539,639 रुपये, कोच की तनख्वाह पर 12,224,880 रुपये और चार भालों पर 4,35,000 रुपये खर्च किए गए, जो कुल मिलाकर 61,199,518 रुपये हैं।
नीरज चोपड़ा के भाले की कीमत
गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने जिस भाले का इस्तेमाल कर इतिहास के सुनहरे पन्नों पर अपना नाम दर्ज कराया है उसकी कीमत तकरीबन 1.10 लाख है। स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) के मुताबिक नीरज चोपड़ा के पास ऐसे 4 भाले हैं, जिनसे वो लगातार प्रैक्टिस कर रहे थे। इन चारों की कुल कीमत तकरीबन 4.35 लाख है।
भाले का वज़न
ओलंपिक गेम्स के नियमानुसार, पुरुष भाला फेंक प्रतियोगिता में भाले की लंबाई 2.6 से 2.7 मीटर के बीच होती है और इसका वज़न 800 ग्राम होता है। वहीं, महिला भाला फेंक प्रतियोगिता में भाले की लंबाई 2.2 से 2.3 मीटर होती है और उसका वज़न 600 ग्राम होता है।
कितने दिनों तक की ट्रेनिंग?
नीरज चोपड़ा ने पिछले 5 वर्षों में 1617 दिनों की कड़ी ट्रेनिंग की थी, जिसमें 450 दिनों की यूरोप में हुई ट्रेनिंग भी शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने एनआईएस पटियाला, पंजाब में ट्रेनिंग ली थी। इस ट्रेनिंग के दौरान उन्हें 177 भाले दिए गए थे और एक जैवलिन थ्रो मशीन भी उपलब्ध कराई गई थी। इसे खरीदने में 74.28 लाख रुपये खर्च हुए थे।
इसके अलावा साल 2018 में भारत सरकार ने खेलो इंडिया योजना की शुरुआत की थी, जिसमें अखिल भारत स्तरीय स्पोर्ट छात्रवृत्ति योजना भी शामिल है। इस योजना के तहत चुनिंदा खेलों में हर साल 1,000 प्रतिभावान युवा खिलाड़ियों को सालाना तौर पर 5 लाख रुपये की छात्रवृत्ति 8 साल तक लगातार मिलेगी। इसके साथ ही केंद्र सरकार ने 2019-20 में खेलों को बढ़ावा देने के लिए 1989.30 करोड़ रुपए का बजट तय किया था।
जानें भारत ने 1900 से लेकर अब तक ओलंपिक में कितने पदक जीते हैं?
Comments
All Comments (0)
Join the conversation