जानिये भारतीय रेलवे कोच और इंजन का निर्माण कहां होता है?

Sep 12, 2018, 16:23 IST

भारतीय रेलवे एशिया में पहले स्थान और विश्व में दूसरे स्थान पर है. सबसे ज्यादा हमारे देश की आबादी इसी के माध्यम से एक जगह से दूसरी जगह यात्रा करती है. परन्तु क्या आप जानते हैं कि भारत में रेलवे के कोच और इंजन कहां बनाए जाते हैं, कैसे बनाए जाते हैं, इनका निर्माण कब किया गया था, इन कोचों और इंजनों की क्या खासियत है इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

Indian Railway Coach Factory
Indian Railway Coach Factory

भारत में रेल का आरंभ 1853 में अंग्रेजों द्वारा अपनी प्रशासनिक सुविधा के लिए शुरू किया गया था परन्तु आज यह भारत के ज्यादातर हिस्सों को कवर करती है और एशिया में पहले स्थान और विश्व में दूसरे स्थान पर है. रेल भारत में परिवहन का मुख्य साधन है.

पहले रेल के इंजन विदेशों से, विशेषकर इंग्लैंड से ही मंगाए जाते रहे. 1921 में जमशेदपुर में रेल इंजन बनाने के लिए सरकारी प्रोत्साहन से पेनिसुलर लोकोमोटिव कंपनी खोली गई परन्तु 1924 में आर्थिक संरक्षण के अभाव से इसको बंद करना पड़ा था. सन 1945 में भारत सरकार ने पेनिसुलर लोकोमोटिव कंपनी को टाटा लोकोमोटिव एंड इंजीनियरिंग कंपनी (TELCO), जमशेदपुर के हवाले कर  दिया और उसे रेल इंजन तथा बॉयलर बनाने का काम सौंपा. क्या आप जानते हैं कि रेल कोच कारखाना जो कि कपूरथला में हैं की स्थापना सन 1986 में हुई थी. यह भारतीय रेल का दूसरा रेल कोच कारखाना है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं कि भारत में रेल कोच और इंजन का निर्माण कहां होता है.

भारत में रेल कोच कहां बनते हैं

1. इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF), चेन्नई: यह स्वतंत्र भारत का पहला उच्च आधुनिकीकृत कोच कारखाना है, जहां आधुनिक तकनीकों से कोच का उत्पादन किया जाता है. यह भारत में तमिलनाडु राज्य के चेन्नई में स्थित है. 1952 में, भारत में, पेराम्बुर में स्थापित किए जाने वाला यह पहला कारखाना था.

इस कारखाने ने न केवल रेलवे का आधुनिकीकरण किया बल्कि भारतीय रेलवे के लिए पहले सफल निर्यात का मार्ग भी रखा. इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में 170 से अधिक तरह के कोचों का निर्माण किया जा चुका है, जिनमें प्रथम और द्वितीय श्रेणी के कोच, पेंट्री और रसोई कार, सामान और ब्रेक वैन, स्व-चालित कोच, इलेक्ट्रिक, डीजल और मेनलाइन इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (एमईएमयू), मेट्रो कोच और डीजल इलेक्ट्रिक टावर कारों, दुर्घटना राहत चिकित्सा वैन, निरीक्षण कार, ईंधन परीक्षण कार, ट्रैक रिकॉर्डिंग कारों और लक्जरी कोच शामिल हैं.  

2. रेल कोच कारखाना, कपूरथला

सन् 1986 में रेल कोच कारखाना, कपूरथला की स्थापना हुई थी. क्या आप जानते हैं कि भारतीय रेल का यह दूसरा रेल कोच कारखाना है. यह पंजाब के भारतीय राज्य में कपूरथला में रेल कोच फैक्ट्री जलंधर-फिरोजपुर लाइन पर स्थित है.


यहां पर विभिन्न प्रकार के 30,000 से अधिक यात्री कोचों का निर्माण हुआ है जिनमें सेल्फ प्रोपेल्ड यात्री वाहन शामिल हैं जो भारतीय रेलवे कोच के निर्माण की कुल आबादी का 50% से अधिक है. प्रति वर्ष यहां पर लगभग 1500 कोचों का निर्माण किया जाता है. रेल कोच फैक्ट्री ने राजधानी, शताब्दी, डबल डेकर और अन्य ट्रेनों जैसे उच्च गति वाले ट्रेनों के लिए डिब्बों के तकरीबन 23 विभिन्न प्रकारों का उत्पादन किया है.

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3. आधुनिक कोच फैक्ट्री, रायबरेली

आधुनिक कोच फैक्ट्री, रायबरेली उत्तर प्रदेश के रायबरेली के पास लालगंज में भारतीय रेलवे की रेल कोच विनिर्माण इकाई है. भारत में यह अपनी तरह का पहला और दक्षिण एशिया में अपनी तरह का सबसे अच्छा रेलवे कारखाना है. भारत में यह तीसरी फैक्ट्री है जो रेल डिब्बों का उत्पादन करती है.

इसे 7 नवंबर, 2012 को IRCON  द्वारा बनाया गया था. हम आपको बता दें कि मानव श्रम के न्यूनतम उपयोग के साथ यह पूरी तरह से आधुनिकीकृत है. अधिकांश काम उच्च कार्यकारी और आधुनिकीकृत मशीनरी और सॉफ्टवेयर के माध्यम से होते हैं जिन्हें विशेष रूप से इस काम के लिए डिज़ाइन किया गया है. इस कारखाने में तोशिबा द्वारा निर्मित अत्यधिक आधुनिकीकृत कंप्यूटर प्रोग्राम और सॉफ्टवेयर का उपयोग किया गया है. इस कारखाने का उपयोग केवल LHB कोचों के निर्माण के लिए किया जा रहा है.

आइये अब अध्ययन करते हैं कि भारत में रेलवे इंजन कहां बनते हैं?


4. भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL)

Source: www.
glibs.in.com

भारत सरकार द्वारा स्वामित्व और स्थापित भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL), नई दिल्ली, भारत में स्थित एक इंजीनियरिंग और विनिर्माण क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी है. 1964 में स्थापित, BHEL भारत का सबसे बड़ा बिजली संयंत्र उपकरण निर्माता है. कंपनी ने भारतीय रेलवे को हजारों इलेक्ट्रिक इंजनों, डीई लोकोमोटिव्स, इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट, ट्रैक रखरखाव मशीनों की आपूर्ति की है. BHEL ने ही WAG7 विद्युत लोको का निर्माण भी किया है.

5. चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (CLW), चित्तरंजन

Source: www.employmentcareer.co.in.com


चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स भारत में आसनसोल के चितरंजन में स्थित एक राज्य के स्वामित्व वाली विद्युत लोकोमोटिव निर्माता फैक्ट्री है. यह दुनिया के सबसे बड़े लोकोमोटिव निर्माताओं में से एक है. चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स ने कई प्रकार के लोकोमोटिव या इंजनों की आपूर्ति की है जैसे WAP-7, WAP-5, WAG-9, WAG-7, WAP-4.

WAP-
7: 6350 hp, 25 kV AC, ब्रॉड गेज (B.G.), यात्री लोकोमोटिव, 140 किमी/घंटा, 3-चरण प्रौद्योगिकी.WAP-5: 5400 hp, 25 kV AC, ब्रॉड गेज (B.G.), यात्री लोकोमोटिव, 160 किमी/घंटा/200 किमी/घंटा, 3-चरण प्रौद्योगिकी.WAG-9: 6350 hp, 25 kV AC, ब्रॉड गेज (B.G.), फ्रीट लोकोमोटिव, 100 किमी/घंटा, 3-चरण प्रौद्योगिकी.WAG-7: 5000 hp, 25 kV AC, ब्रॉड गेज (B.G.), 1.676 मीटर, फ्रीट लोकोमोटिव, 120 किमी/घंटा, टैप परिवर्तक/डीसी ट्रैक्शन मोटर तकनीक.WAP-4: 5350 hp, 25 kV AC, ब्रॉड गेज (B.G.), 1.676 मीटर, यात्री लोकोमोटिव, ऑपरेटिंग गति 140 किमी/घंटा, टैप परिवर्तक/डीसी ट्रैक्शन मोटर प्रौद्योगिकी.

3-चरण ट्रैक्शन मोटर के उत्पादन के साथ, CLW ने अत्याधुनिक, 3-चरण प्रौद्योगिकी के युग में प्रवेश किया है. Hitachi ट्रैक्शन मोटर CLW में उत्पादन के तहत पारंपरिक इलेक्ट्रिक इंजनों के प्रकार WAG-7 और WAP-4 में सबसे महत्वपूर्ण उपकरणों में से एक है. यहां पर Hitachi TM का उत्पादन अब पूरी तरह से स्थिर हो गया है.

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6.
डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (DLW), वाराणसी

भारत के वाराणसी में डीजल लोकोमोटिव वर्क्स (DLW) भारतीय रेलवे के स्वामित्व वाली एक उत्पादन इकाई है, जो डीजल-इलेक्ट्रिक इंजन और उसके स्पेयर पार्ट्स बनाती है. 1961 में स्थापित, DLW ने तीन साल बाद 3 जनवरी 1964 को अपना पहला लोकोमोटिव लॉन्च किया था. यह भारत में सबसे बड़ा डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव निर्माता कंपनी है. हम आपको बता दें कि DLW लोकोमोटिव में 2,600 हॉर्स पावर (1,900 किलोवाट) से 5,500 हॉर्स पावर (4,100 किलोवाट) तक बिजली का उत्पादन होता है. यह भारतीय रेलवे में इलेक्ट्रो-मोटेव डीजल्स (GM-EMD) से लाइसेंस के तहत EMD GT46MAC और EMD GT46PAC इंजनों का उत्पादन कर रही है. जून 2015 तक इसके कुछ EMD लोकोमोटिव उत्पाद WDP4, WDP4D, WDG4D, WDG5 इत्यादि हैं.

क्या आप जानते हैं कि डीजल के बेड़े पैमाने पर रखरखाव के लिए उच्च परिशुद्धता घटकों की आवश्यकता के संदर्भ में, वर्ष 1979 में पटियाला में डीजल घटक कार्य स्थापित करने के लिए एक निर्णय लिया गया था. डीजल कंपोनेंट वर्क्स (DCW), पटियाला का फाउंडेशन स्टोन 24 अक्टूबर, 1981 को हुआ था और 1986 में इसका उत्पादन शुरू हुआ था. डीजल लोकोमोटिव के आधुनिकीकरण को इंगित करने के लिए DCW का नाम जुलाई 2003 में डीजल लोको आधुनिकीकरण वर्क्स (DMW) में बदल दिया गया था.

7. गोल्डन रॉक रेलवे वर्कशॉप, तिरुचिरापल्ली

गोल्डन रॉक रेलवे वर्कशॉप भरते में तमिलनाडु राज्य के तिरुचिरापल्ली के पोनमलाई (गोल्डन रॉक) में स्थित है. यह भारतीय रेलवे के दक्षिणी क्षेत्र में सेवा करने वाली तीन मैकेनिकल रेलवे वर्कशॉप में से एक है. यह रिपेयरिंग वर्कशॉप मूल रूप से एक "मैकेनिकल वर्कशॉप" है जो भारतीय रेल के मैकेनिकल विभाग के नियंत्रण में आती है.

8.
इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव फैक्टरी, मधेपुरा

Source: www.
madhepura.nic.in.com

स्थानीय राजधानी पटना के 284 किमी पूर्वोत्तर मधेपुरा में 250 एकड़ भूमि पर फैला हुआ लोकोमोटिव कारखाना अग्रणी फ्रांस की अलस्टॉम कंपनी के साथ एक भारतीय रेलवे का संयुक्त उद्यम है. बिहार के मधेपुरा में यह पहला हाई पावर इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव 28 फरवरी, 2018 को शुरू हुआ था. 12,000 HP (हॉर्सपावर) लोकोमोटिव 150 किमी प्रति घंटे तक ट्रेनों की गति को बढ़ाएगा. भारतीय रेलवे लगभग सभी रेलवे मार्गों के विद्युतीकरण के बाद लोकोमोटिव की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अगले 11 वर्षों में 800 इलेक्ट्रिक ट्रेन इंजनों का उत्पादन किया जाएगा. यह रेलवे क्षेत्र में पहला प्रमुख विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) परियोजना है. 800 इंजनों की मूल लागत लगभग 19,000 करोड़ रुपये होगी.

9. रेल व्हील फैक्टरी, बैंगलोर

रेल व्हील फैक्टरी भारत में कर्नाटक राज्य के बैंगलोर में स्थित है. इसे व्हील और एक्सल प्लांट भी कहा जाता है. यह भारतीय रेलवे की एक फैक्ट्री है, जिसमें रेल के पहिये, रेलवे के वैगनों का निर्माण होता है. हम आपको बता दें कि 1984 में भारतीय रेलवे के लिए पहियों और धुरों का निर्माण करने के लिए इसे शुरू किया गया था.

इस फैक्ट्री में पहियों के निर्माण के लिए कास्ट स्टील प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है ओर इसके लिए कच्चे माल के रूप में रेलवे की अपनी वर्कशॉप से एकत्र स्क्रैप स्टील का इस्तेमाल करते हैं. इसमें विभिन्न आकारों के 23,000 पहियों, 23,000 axles का निर्माण और 23,000 व्हील सेट बनाने की क्षमता है. यह 2000 से अधिक कर्मियों को रोजगार देता है और इसका कुल कारोबार लगभग 82 करोड़ का है. ISO 9001:2008 प्रमाणीकरण प्राप्त करने के लिए यह भारतीय रेलवे की पहली इकाई थी.

तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा की भारतीय रेलवे के कोच और इंजन का निर्माण कहां होता है और कैसे होता है. इनका क्या महत्व है.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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