प्रयागराज स्थित महाकुंभ में आज सबसे बड़ा दिन माना जा रहा है। यह दिन मौनी अमावस्या का है, जिसे अमृत स्नान से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसे में इस दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं, जिससे प्रशासन को भी भीड़ काबू करने में परेशानी हो रही है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर मौनी अमावस्या क्या होती है और इसका क्या महत्त्व है।
साथ ही, महाकुंभ से इसका क्या लिंक है, जो बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंच रहे हैं।
क्या होती है मौनी अमावस्या
मौनी अमावस्या को माघ अमावस्या के रूप में भी जाना जाता है, जो कि इस बार 29 जनवरी को है। हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्त्व है। इसके अर्थ की बात करें, तो मौनी का अर्थ मौन रहने या शांत रहने से है। यह आत्मचिंतन के लिए विशेष दिन है।
मौनी अमावस्या को लेकर लोगों की आस्था है कि इस दिन त्रिवेणी संगम या फिर किसी अन्य नदी में स्नान व दान कर पाप दूर होते हैं। ऐसे में प्रयागराज में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।
क्या है मौनी अमावस्या का महत्त्व
अब हम मौनी अमावस्या के महत्त्व की बात कर लेते हैं। मान्यताओं के मुताबिक, मौनी अमावस्या का महत्त्व पितरों के तर्पण से जुड़ा है। इस दिन नदियों के घाट पर जाकर पितरों का तर्पण व दान आदि किया जाता है, जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त हो सके। साथ ही, उनकी आत्मा को शांति मिल सके। ऐसे में इस दिन लोग गंगा और यमुना जैसी पवित्र नदियों और या त्रिवेणी संगम में स्नान आदि करते हैं।
मौन व्रत रखने का है महत्त्व
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रखने का महत्त्व है। ऐसे में कुछ श्रद्धालु पूरे दिन मौन व्रत रखते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से वाक् सिद्धि की प्राप्त होती है। ऐसा करने का उद्देश्य खुद के मन के भीतर झांकना और खुद को पहचानना है। इस वजह से मौनी अमावस्या का महत्त्व और भी बढ़ जाता है।
महाकुंभ से क्या है लिंक
मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस दिन चंद्रम, बुध और सूर्य, मकर राशि में त्रिवेणी संयोग बना रहे हैं। ऐसे में श्रद्धालु इस दिन त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं।
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