10 ऐसे विशेष कानून जो सिर्फ जम्मू और कश्मीर पर ही लागू होते हैं?

Feb 19, 2019, 14:33 IST

जम्मू और कश्मीर भारतीय संघ में एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसका अपना अलग राज्य संविधान है. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 राज्य को विशेष दर्जा देता है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं उन कानूनों के बारे में जो सिर्फ जम्मू और कश्मीर पर ही लागू होते हैं.

 special laws those are applicable in Jammu and Kashmir
special laws those are applicable in Jammu and Kashmir

जम्मू तथा कश्मीर भारतीय संघ में एकमात्र ऐसा राज्य है, जिसका अपना अलग राज्य संविधान है. हम आपको बता दें कि ब्रिटिश प्रभुत्व की समाप्ति के साथ ही जम्मू और कश्मीर राज्य 15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्र हुआ था.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 के अंतर्गत, जम्मू तथा कश्मीर राज्य भारतीय संघ का संवैधानिक राज्य है तथा इसकी सीमाएं भारतीय सीमाओं का एक भाग हैं. दूसरी तरफ संविधान के भाग 21 के अनुच्छेद 370 में इसे एक विशेष राज्य का दर्जा दिया गया है. इसके अनुसार, भारतीय संविधान के सभी उपबंध इस पर लागू नहीं होंगे.

20 अक्तूबर, 1947 को पाकिस्तान समर्थित आजाद कश्मीर सेना ने राज्य के अग्रभाग पर आक्रमण किया. इस असामान्य स्थिति में, राज्य के शासक ने राज्य को भारत में विलय करने का निर्णय लिया. इसके अनुसार, 26 अक्तूबर, 1947 को पं. जवाहरलाल नेहरु तथा महाराजा हरिसिंह द्वारा ‘जम्मू और कश्मीर के भारत में विलय-पत्र’ पर हस्ताक्षर किए गए. इसके अंतर्गत, राज्य ने केवल तीन विषयों यानी रक्षा, विदेशी मामले तथा संचार पर ही अपना अधिकार छोड़ा. जिसके तहत भारत के संविधान में अनुच्छेद 370 सम्मिलित किया गया. इसमें स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि जम्मू तथा कश्मीर से सम्बंधित राज्य उपबंध केवल अस्थायी हैं स्थाई नहीं.

अनुच्छेद 370 क्या कहता है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 राज्य को विशेष दर्जा देता है. इस अनुच्छेद के तहत यह घोषित किया गया था कि संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन लेना पड़ता है.

Jammu and Kashmir Article 370

यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति, राज्य की संविधान सभा की सिफारिश के साथ सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा, यह घोषणा कर सकते हैं कि यह अनुच्छेद संचालन समाप्त हो जाएगा या उनके द्वारा निर्दिष्ट संशोधनों और अपवादों के अनुसार परिचालित होगा.

1974 में हस्ताक्षर किए गए इंदिरा-शेख समझौते के तहत राज्य की शक्तियों की ताकतें और परिभाषित की गई थीं.

आइये अब अध्ययन करते हैं उन कानूनों के बारे में जो सिर्फ जम्मू और कश्मीर पर ही लागू होते हैं?

जम्मू-कश्मीर राज्य का अपना ही अलग संविधान है. इसको भारतीय क्षेत्र के भीतर एक विशेष दर्जा दिया गया है. कानून के कुछ पहलुओं पर यह शेष भारत से भिन्न होता है.

1. जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती.

इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती. इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है. इसे राष्ट्रपति शासन (president’s Rule) भी कहा जाता है.

पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के बारे में 15 रोचक तथ्य और इतिहास

2. संपत्ति का अधिकार (Right to Property)

यह अभी भी कश्मीर के लोगों के लिए एक मौलिक अधिकार है, जबकि यह भारत के बाकी लोगों के लिए ऐसा नहीं है. 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता है. धारा 370 के तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है. यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं.

इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि वे भारतीय नागरिक जो अन्य राज्यों और महिलाओं, जम्मू-कश्मीर के अलावा किसी भी राज्य के पुरुषों से शादी करते हैं उन्हें भूमि खरीदने या राज्य के भीतर कोई संपत्ति रखने की अनुमति नहीं है.

धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं. इसी धारा की वजह से कश्मीर में रहने वाले पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है.

इसके अलावा, राज्य नीति के मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्यों और निर्देशक सिद्धांत राज्य के लिए लागू नहीं हैं.

3. आपातकालीन प्रावधान (Emergency Provision)

केंद्र जम्मू-कश्मीर में वित्तीय आपातकाल घोषित नहीं कर सकता है. आंतरिक अशांति या होने वाले खतरे के आधार पर आपातकाल घोषित करने के लिए, राज्य सरकार द्वारा किए गए अनुरोध के बाद राष्ट्रपति के द्वारा ही किया जा सकता है. तो, एकमात्र जहां केंद्र एकतरफा आपातकाल घोषित कर सकती है वह युद्ध और बाहरी आक्रमण की स्थिति है. तो ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय संविधान की धारा 360 यानी देश में वित्तीय आपातकाल लगाने वाला प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता है.

4. भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code)

जम्मू-कश्मीर राज्य में रणबीर दंड संहिता (Ranbir Penal Code) या RPC एक लागू आपराधिक कोड है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत यहां पर भारतीय दंड संहिता लागू नहीं है.

Ranbir Penal Code of Jammu and Kashmir

Source: www.m.dailyhunt.in.com

क्या आप जानते हैं कि ब्रिटिश काल से ही इस राज्य में रणबीर दंड संहिता लागू है. दरअसल, भारत के आजाद होने से पहले जम्मू-कश्मीर एक स्वतंत्र रियासत था और उस समय वहाँ डोगरा राजवंश का शासन था. महाराजा रणबीर सिंह वहां के शासक थे, इसलिए 1932 में महाराजा के नाम पर रणबीर दंड संहिता लागू की गई थी.

5. जम्मू और कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA), 1978

इस अधिनियम को 1978 में प्रशासनिक हिरासत ( administrative detention) के लिए जम्मू-कश्मीर में पहली बार पेश किया गया था. मूल रूप से, यह अधिनियम सरकार को दो साल की अवधि के लिए परीक्षण के बिना 16 वर्ष से ऊपर के किसी भी व्यक्ति को सजा देनी की अनुमति देता है.

2011 में किए गए संशोधनों में 16 से 18 साल व्यक्ति की न्यूनतम आयु को बढ़ा दिया गया है. इसके तहत सार्वजनिक विकार के मामले में अधिकतम हिरासत अवधि एक साल से तीन महीने तक कम हो गई है और राज्यों की सुरक्षा में शामिल होने वाले मामलों में दो साल से छह महीने तक.

हालांकि संशोधन के लिए एक प्रावधान है और हिरासत के लिए अवधि क्रमशः एक वर्ष और दो साल तक बढ़ाई जा सकती है. पुलिस आरोपी के खिलाफ एक केस फाइल तैयार करती है और इसे डिप्टी कमिश्नर को जमा करती है, जिसमें यह बताया जाता है कि इस अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को क्यों हिरासत में लिया जाना चाहिए. फिर PSA के तहत हिरासत आदेश जिला मजिस्ट्रेट / डिप्टी कमिश्नर द्वारा जारी किया जाता है.

इस अधिनियम को 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने उपस्थित होने के लिए आरोपी के अधिकार, जनता में उचित परीक्षण, वकील तक पहुंच, रिश्तेदारों से मिलने की क्षमता, गवाहों की परीक्षा उत्तीर्ण करने, दृढ़ विश्वास के खिलाफ अपील आदि के प्रावधानों के रूप में अन्यायपूर्ण माना गया है.

6. आतंकवादी और असुरक्षित गतिविधियां अधिनियम (TADA), 1990

PSA की तरह, इस अधिनियम ने भारत की क्षेत्रीय संप्रभुता और अखंडता को भंग करने और भविष्य में ऐसे कृत्यों को करने के संदेह पर 1 साल तक की अवधि के लिए हिरासत की अनुमति दी है. इस अधिनियम में बल, गिरफ्तारी और हिरासत के उपयोग में सुरक्षा बलों को विशेष शक्तियां दी थीं और इसे कश्मीर में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था. ऐसा कहा जाता है कि कश्मीर ने TADA के तहत लगभग 19,060 लोगों को गिरफ्तार किया था. इस अधिनियम को कई अवसरों पर काले कानून के रूप में जाना जाता है.

भारतीय कश्मीर और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कौन बेहतर स्थिति में है?

7. जम्मू और कश्मीर की सीमाओं में वृद्धि या कमी नहीं हो सकती है:

यह अनुच्छेद 370 के कारण है कि भारतीय संसद राज्य की सीमाओं को बढ़ा या कम नहीं कर सकती है. इसी के कारण भारत  Aski Chin से संबंधित मामला सुलझाने में सक्षम नहीं है क्योंकि यह जम्मू-कश्मीर का क्षेत्र है, इसे विधेयक का समर्थन है और असेंबली के निचले सदन में पारित कर दिया गया है.

8. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है. यहां की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकि भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है. जम्मू-कश्मीर में भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं है. यहां भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश मान्य नहीं होते हैं. भारत की संसद जम्मू-कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यन्त सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है. कश्मीर में पंचायत के पास कोई अधिकार नहीं है. कश्मीर में अल्पसंख्यक हिन्दूओं और सिखों को 16% आरक्षण नहीं मिलता है.

9. यदि जम्मू कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी. इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू - कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी. कश्मीर में महिलाओं पर शरियत कानून लागू है. क्या आप जानते हैं कि धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI लागू नहीं है, RTE लागू नहीं है, CAG लागू नहीं होता. भारत का कोई भी कानून लागू नहीं होता है.

अनुसूचित जनजातियों का राजनीतिक आरक्षण: ST को जम्मू-कश्मीर में कोई आरक्षण नहीं दिया गया है, हालांकि राज्य में 11.9% ST हैं.

10. सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA)

AFSPA of Jammu and Kashmir
Source: www. www.indiatoday.in.com

सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (AFSPA) की जरूरत उपद्रवग्रस्त पूर्वोत्तर में सेना को कार्यवाही में मदद के लिए 11 सितंबर 1958 को पारित किया गया था. जब 1989 के आस पास जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद बढ़ने लगा तो 1990 में इसे वहां भी लागू कर दिया गया था.

AFSPA कब लागू किया जाता है?

किसी क्षेत्र विशेष में AFSPA तभी लागू किया जाता है जब राज्य या केंद्र सरकार उस क्षेत्र को “अशांत क्षेत्र कानून” अर्थात डिस्टर्बड एरिया एक्ट (Disturbed Area Act) घोषित कर देती है. AFSPA कानून केवल उन्हीं क्षेत्रों में लगाया जाता है जो कि अशांत क्षेत्र घोषित किये गए हों. इस कानून के लागू होने के बाद ही वहां सेना या सशस्त्र बल भेजे जाते हैं.

1990 में जम्मू-कश्मीर में हिंसक अलगाववाद का सामना करने के लिये सेना को विशेष अधिकार देने की प्रक्रिया के चलते यह कानून लाया गया, जिसे 5 जुलाई, 1990 को पूरे राज्य में लागू कर दिया गया. तब से आज तक जम्मू-कश्मीर में यह कानून लागू है, लेकिन राज्य का लेह-लद्दाख क्षेत्र इस कानून के अंतर्गत नहीं आता.

किसी क्षेत्र को अशांत कब माना जाता है?

जब किसी क्षेत्र में नस्लीय, भाषीय, धार्मिक, क्षेत्रीय समूहों, जातियों की विभिन्नता के आधार पर समुदायों के बीच मतभेद बढ़ जाता है, उपद्रव होने लगते हैं तो ऐसी स्थिति को सँभालने के लिये  केंद्र या राज्य सरकार उस क्षेत्र को “डिस्टर्ब” घोषित कर सकती है.

अधिनियम की धारा (3) के तहत, राज्य सरकार की राय का होना जरूरी है कि क्या एक क्षेत्र “डिस्टर्ब” है या नहीं. एक बार “डिस्टर्ब” क्षेत्र घोषित होने के बाद कम से कम 3 महीने तक वहाँ पर स्पेशल फोर्स की तैनाती रहती है.

किसी राज्य में AFSPA कानून लागू करने का फैसला या राज्य में सेना भेजने का फैसला केंद्र सरकार नहीं बल्कि राज्य सरकार को करना पड़ता है. अगर राज्य की सरकार यह घोषणा कर दे कि अब राज्य में शांति है तो यह कानून अपने आप ही वापस हो जाता है और सेना को हटा लिया जाता है.

AFSPA कानून में सशस्त्र बलों के अधिकारी यह शक्तियां मिलती हैं: किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार किया जा सकता है, सशस्त्र बल बिना किसी वारंट के किसी भी घर की तलाशी ले सकते हैं और इसके लिए जरूरी बल का इस्तेमाल किया जा सकता है, इस कानून के तहत सेना के जवानों को कानून तोड़ने वाले व्यक्ति पर गोली चलाने का भी अधिकार है, यदि इस दौरान उस व्यक्ति की मौत भी हो जाती है तो उसकी जवाबदेही गोली चलाने या ऐसा आदेश देने वाले अधिकारी पर नहीं होगी, किसी वाहन को रोककर गैर-कानूनी ढंग से हथियार ले जाने का संदेह होने पर उसकी तलाशी ली जा सकती है, सशस्त्र बलों द्वारा गलत कार्यवाही करने की दशा में भी, उनके ऊपर कानूनी कार्यवाही नही की जाती है, सैन्य अधिकारी परिवार के किसी व्यक्ति, संपत्ति, हथियार या गोला-बारूद को बरामद करने के लिये बिना वारंट के घर के अंदर ज कर तलाशी ले सकता है और इसके लिये बल प्रयोग कर सकता है.

तो अब आपको पता चल गया होगा उन कानूनों के बारे में जो सिर्फ जम्मू और कश्मीर में ही लागू होते हैं. इसमें कोई संदेह नहीं है कि अनुच्छेद 370 का उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को अस्थायी विशेष दर्जा देना था और इसके परिणामस्वरूप शेष देश के साथ राज्य को शामिल किया गया और इस क्षेत्र में सामंजस्य बनाए रखा गया. इससे देश के बाकी हिस्सों के लोगों के साथ अलगाव का एक निश्चित स्तर बन गया है.

आखिर जम्मू - कश्मीर के लोगों की भारत सरकार से क्या मांगें हैं?

भारत और पाकिस्तान की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News