मानव नेत्र और उसके दोष

Jan 18, 2017, 16:41 IST

मानव आँख, पारदर्शी जीवित पदार्थ से बने एक प्राकृतिक उत्तल लेंस के माध्यम से प्रकाश के अपवर्तन पर काम करती है और हमें, हमारे आसपास की चीजों को देखने के लिए सक्षम बनाती है। इस आर्टिकल में हम देखेंगे कि कैसे आँख कार्य करती हैं, हमें रंग कैसे दीखते हैं, कैसे आँख के दोषों को दूर किया जाता है आदि|

मानव आँख, पारदर्शी जीवित पदार्थ से बने एक प्राकृतिक उत्तल लेंस के माध्यम से प्रकाश के अपवर्तन पर काम करती है और हमें, हमारे आसपास की चीजों को देखने के लिए सक्षम बनाती है। देखने की क्षमता को विजन (vision), आई साइट (eye sight) या दृष्टि कहा जाता है। मानव आंख कॉर्निया (cornea), आईरिस (iris), पुतली (pupil), सिलिअरी मांसपेशियों (ciliary muscles), नेत्र लेंस (eye lens), रेटिना (retina) और ऑप्टिकल तंत्रिका (optical nerve)से बनी होती हैं।

Human Eye defe

नेत्र का निर्माण

आंख के  सामने का भाग जिसे कॉर्निया कहा जाता है, पारदर्शी पदार्थ से बना होता है और इसकी बाहरी सतह आकार में उत्तल होती है। ऐसा कॉर्निया के कारण होता है जिससे कि वस्तुओं से आने वाला प्रकाश आँखों में प्रवेश करता है। कॉर्निया के बिल्कुल पीछे आईरिस होता है जिसे रंगीन डायाफ्राम (coloured diaphragm) भी कहा जाता है। आईरिस के बीच में एक छोटे से बिंदु को पुतली कहा जाता है। फिर इसके पीछे नेत्र लेंस होता है जिसे उत्तल (कॉनेवेक्स) (convex) लेंस कहते हैं। ऐसा सिलिअरी मांसपेशियों के सपोर्ट के कारण होता है जिससे आंखों का लेंस अपनी जगह पर स्थिर रहता है। नेत्र लेंस लचीला होता है जिससे सिलिअरी मांसपेशियों की सहायता से अपनी फोकल लंबाई और आकार को बदल सकता है।

नेत्र लेंस के पीछे रेटिना होता है जिस पर आंख के भीतर छवि बनती है।

Structure of Eyes

नेत्र का कार्य

किसी भी वस्तु से आने वाली प्रकाश की किरणें पुतली के माध्यम से आंखों में प्रवेश करती हैं आंख के लेंस पर पड़ती हैं। नेत्र लेंस तब प्रकाश की किरणों का अभिसरण करते हैं और वस्तु की छवि को बनाते हैं जो कि वास्तविक और इन्वर्टेड (inverted) होती है। रेटिना में प्रकाश के प्रति संवेदनशील कोशिकाओं जो कि विद्युत संकेतों को उत्पन्न कर सकती हैं, की एक बड़ी संख्या होती है। रेटिना पर छवि बनने के बाद यह मस्तिष्क को विद्युत संकेत भेजती है जिसके बाद हमें छवि की अनुभूति होती है। हालांकि रेटिना पर गठित छवि इन्वर्टेड होती है फिर भी मस्तिष्क इसके निर्माण की व्याख्या करता है।

इसलिए, नेत्र लेंस उत्तल लेंस और रेटिना, आंख की स्क्रीन है।

गोलीय दर्पण से प्रकाश का परावर्तन

आईरिस और पुतली का क्या काम होता है :

आईरिस का कार्य पुतली के आकार को अनुकूलित करना है। यदि आंख में प्रवेश करने वाला प्रकाश कम है तो पुतली अधिक फैलती है, ताकि अधिक प्रकाश आंख में प्रवेश कर सके वहीं यदि आंख में प्रवेश करने वाला प्रकाश तेज है तो पुतली सिकुड़ जाती है।

पुतली के आकार को अनुकूलित होने में कुछ समय लगता है और यही कारण है कि जब हम एक अंधेरे कमरे से बाहर सूरज की रोशनी में जाते हैं तो हम अपनी आँखों में चमक महसूस करते हैं वहीं अगर हम तेज धूप से अंधेरे कमरे में प्रवेश करते हैं तो हमें कुछ समय के बाद चीजें स्पष्ट दिखाई दे पाती हैं।

हम रंग कैसे देखते हैं?

हमारे आंख की रेटिना में प्रकाश के प्रति संवेदनशील कोशिकाएं दो आकार की होती हैं; छड़ी (rod) के आकार और शंकु (cone) के आकार। छड़ी के आकार की कोशिकाओं का कार्य प्रकाश की चमक के प्रति प्रतिक्रिया देना है और शंकु के आकार की कोशिकाओं का कार्य हमें रंग देखने में सक्षम करना और उन दोनों के बीच भेद का ज्ञान करना है।

दूर और आसपास की वस्तुओं को देखना

दूर की वस्तुएं: प्रकाश की किरणें जब दूर की वस्तु से आती हैं तब वे शुरुआत में डायवर्जिंग (diverging) होती हैं लेकिन जब वे हमारी आँख तक पहुँचती हैं तब समानांतर बन जाती हैं। इसलिए जब हम दूर की वस्तु को देखते हैं,  तब हमें आंख की रेटिना पर एक छवि को बनाने के लिए कम अभिसारी शक्ति के उत्तल नेत्र लेंस (convex eye-lens of low converging power) की आवश्यकता होती है। कम अभिसारी शक्ति  के उत्तल नेत्र लेंस में बड़ी फोकल लंबाई होती है और यह काफी पतले होते हैं|

पास की वस्तुएं: प्रकाश की किरणें जब पास की वस्तु से आती हैं तब वे शुरुआत में डायवर्जिंग (diverging) होती हैं इसलिए जब हम पास की वस्तु को देखते हैं,  तब हमें आंख की रेटिना पर एक छवि को बनाने के लिए उच्च अभिसारी शक्ति के उत्तल नेत्र लेंस (convex eye-lens of high converging power)  की आवश्यकता होती है। उच्च शक्ति वाले अभिसारी उत्तल लेंस की फोकल लंबाई छोटी होती है और यह मोटे होते हैं।

आंख की समंजन क्षमता (Power of accommodation of the eye)

अभिनेत्र लेंस की वह क्षमता जिसके कारण वह अपनी फोकस दूरी को समायोजित कर लेता है, समंजन या समंजन क्षमता (accommodation.) कहलाती है। या फिर अभिनेत्र लेंस की फोकल लेंथ का किसी खास दूरी पर रखी वस्तु को देखने के लिए बढ़ाना या घटना या घटाना समंजन कहलाती है।

जब सिलिअरी मांसपेशियां (पक्ष्माभी पेशियां) शिथिल हो जाती हैं तो अभिनेत्र लेंस पतला हो जाता है जिससे लेंस की फोकल दूरी बढ़ जाती है। अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी बढ्ने के कारण हम दूर रखी वस्तुओं को स्पष्ट देख पाते हैं। आंख का लेंस रेटिना पर दूर की वस्तु की एक छवि बनाने के लिए प्रकाश की किरणों के समानांतर एकाग्र होता है। जब आँख दूर की वस्तु को देखती है तो इसे असमंजन (अनअकोमोडेशन) (unaccommodation) कहते हैं।

An Eye focused

और जब हमारी आँखें आसपास की वस्तुओं को देखती हैं तो सिलिअरी मांसपेशियां फैली होती हैं और उसकी फोकल लंबाई कम हो जाती है। इसके कारण, नेत्र लेंस की कंवर्जिंग पावर बढ़ जाती है और वस्तु से आने वाले प्रकाश की डायवर्जिंग किरणें रेटिना पर एक छवि बनाती है। जब आँख पास की वस्तु को देखती है तो इसे समंजन (अकोमोडेशन) (accommodation) कहते हैं।

An eye forcused near by object

एक सामान्य आँख की समंजन क्षमता एक निश्चित सीमा तक ही होती है जो स्पष्ट रूप से 25 सेमी तक की पास की तथा दूर में अनंत तक देखने के लिए सक्षम है।

दृष्टि दोष और उनके सुधार

दृष्टि के तीन आम दोष हैं। वो इस प्रकार हैं:

1) निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) (अदूरदर्शिता या पास साइटेडनेस) (Myopia , Short-sightedness or Near-sightedness)

2) दीर्घदृष्टि दोष (हायपरमेट्रापिया) (लंबी साइटेडनेस या दूर साइटेडनेस) ( Hypermetropia ,Long-sightedness or Far-sightedness)

3) जरा दूरदृष्टिता (प्रेसबायोपिया) (Presbyopia)

The far point of a myopic

निकट दृष्टि दोष (मायोपिया) (Myopia)

निकट दृष्टि आँख का दोष जिसमें दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देखा जा सकता है निकट दृष्टि दोष कहलाता है।  निकट दृष्टि वाला व्यक्ति आसपास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं। निकट दृष्टि का कारण है :

- अभिनेत्र लेंस की वक्रता का अधिक हो जाना (High converging power of lens)

- नेत्र गोलक का लंबा हो जाना

Correction of myopia

अभिनेत्र लेंस की वक्रता के अत्यधिक हो जाने या नेत्र गोलक के लंबा हो जाने के कारण निकट दृष्टि दोष से युक्त व्यक्ति का दूर बिंदु अनंत पर न होकर नेत्र के पास आ जाता है, जिसके कारण निकट दृष्टि दोष से युक्त नेत्र में किसी दूर रखी वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर न बनकर रेटिना के सामने थोड़ा आगे बनता है।

निकट दृष्टि या अदूरदर्शिता (Myopia or short-sightedness)  को अवतल लेंस (concave lens ) युक्त चश्मा पहनकर सुधारा जा सकता है। अवतल लेंस कोनकेव (अपसारी) लेंस दूर से आती प्रकाशित किरणों को अपसारित कर वस्तु का प्रतिबिंब थोड़ा पीछे अर्थात सही जगह पर रेटिना पर बनाता है, जिससे निकट दृष्टि दोष या निककट दृष्टिता से पीड़ित व्यक्ति दूर रखे वस्तु को स्पष्ट देखने में सक्षम हो जाता है।

निकट दृष्टि ठीक करने के लिए अवतल लेंस की शक्ति गणना के लिए सूत्र:

1 / छवि दूरी (v) -1 / वस्तु की दूरी (यू) = 1 / फोकल लंबाई (एफ)

1/image distance (v)-1/object distance (u) = 1/focal length (f)

दीर्घदृष्टि दोष (Hypermetropia or long-sightedness)

दीर्घदृष्टि दोष को दूर दृष्टिता भी कहा जाता है। दीर्घदृष्टि दोष से पीड़ित वयक्ति दूर रखी वस्तु को तो स्पष्ट देख पाता है लेकिन निकट रखी वस्तु को स्पष्ट नहीं देख पाता है। इस दोष से पीड़ित व्यक्ति नजदीक रखी वस्तु को धुंधला देखता है।

दूर दृष्टिता का कारण

- अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का कम हो जाना (Low converging power of eye-lens)

- नेत्र गोलक का छोटा हो जाना

Hypermetropic eyes

अभिनेत्र लेंस की फोकस दूरी का अत्यधिक हो जाने (more than 25 cm) या नेत्र गोलक के छोटा हो जाने के कारण दूर दृष्टि से पीड़ित व्यक्ति का निकट बिंदु सामान्य निकट बिंदु से दूर हट जाता है। इसके कारण वस्तु से आने वाली प्रकाश किरणें रेटिना के पीछे फोकसित होती हैं तथा वस्तु का प्रतिबिंब रेटिना पर न बनकर उससे थोड़ा पीछे बनता है।

दूर दृष्टि को उपयुक्त क्षमता के अभिसारी (उत्तल) लेंस या कोनवेक्स लेंस (Convex lens) के उपयोग से संशोधित किया जा सकता है। उत्तल लेंस नजदीक रखी वस्तु से आती प्रकाश की किरणों को अभिसरित कर वस्तु का प्रतिबिंब सही जबह अर्थात रेटिना पर बनाता है।

Convex Lens hypermetropia

दीर्घदृष्टि ठीक करने के लिए उत्तल लेंस की शक्ति गणना के लिए सूत्र:

1 / वी - 1 / यू = 1 /एफ

1/v - 1/u = 1/f

इस सूत्र में, वस्तु की दूरी है आप, आंख का सामान्य नजदीकी केंद्र (25 सेमी) है।

जरा दूरदृष्टिता (प्रेसबायोपिया) (Presbyopia)

यह दृष्टि दोष आमतौर पर बुढ़ापे में होता है जब सिलिअरी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और अधिकांश व्यक्तियों के नेत्र का निकट बिंदु दूर हट जाता है तथा उनके अभिनेत्र लेंस की समंजन क्षमता घट जाती है जिसके कारण व्यक्ति पास रखी वस्तुओं को स्पष्ट नहीं देख पाता है ।

प्रेसबायोपिया से ग्रसित बूढ़े व्यक्ति का निकट बिंदु अधिक से अधिक 25 सेमी होता है। प्रेसबायोपिया को उत्तल लेंस (convex lens ) का चश्मा पहन कर सही किया जा सकता है।

एक और बात ध्यान देनी चाहिए कि व्यक्ति को निकट दृष्टि और दीर्घदृष्टि दोनों हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में, बाइफोकल लेंस (bifocal lens) का चश्मा पहना जा सकता है। बाइफोकल लेंस का ऊपरी भाग अवतल और निचला हिस्सा उत्तल लेंस का होता है।

मोतियाबिंद

कभी कभी अधिक आयु के कुछ व्यक्तियों के नेत्र का क्रिस्टलीय लेंस दूधिया तथा धुंधला हो जाता है। इस स्थिति को मोतियाबिंद कहते हैं। मोतियाबिंद के कारण नेत्र की दृष्टि में कमी हो या पूर्ण रूप से दृष्टि क्षय हो जाता है। मोतियाबिंद का संशोधन शल्य चिकित्सा के द्वारा किया जा सकता है।

देखने के लिए हमें दो आंखों की जरूरत क्यों होती है?

दो आँखें 180 डिग्री का व्यापक क्षेत्र देखने में सहायक हैं। दो आँखें एक वस्तु की दूरी को बेहतर तरह से देख सकती हैं।

कार्य, शक्ति और ऊर्जा का संक्षिप्त विवरण

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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