क्रिकेट में किस प्रकार की गेदों का उपयोग किया जाता है?

Nov 22, 2019, 12:02 IST

वर्तमान में टेस्ट मैचों में 3 प्रकार की क्रिकेट गेंदों का उपयोग किया जाता है; इनके नाम हैं; कूकाबुरा, ड्यूक और एसजी. क्रिकेट में विभिन्न फोर्मट्स में अलग अलग रंगों की बॉल्स का इस्तेमाल किया जाता है. अब भारत और बांग्लादेश के बीच कोलकाता टेस्ट मैच में पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जायेगा. वन डे में सफ़ेद गेंद का इस्तेमाल किया जाता है क्योंकि इसमें खिलाड़ी रंगीन कपडे पहनते हैं. 

Types of Cricket Balls
Types of Cricket Balls

क्रिकेट; बल्ले और गेंद के बीच संघर्ष का खेल है लेकिन खेल का परिणाम पिच और गेंद के प्रकार पर भी निर्भर करता है. कुछ गेंदे इस प्रकार बनी होती हैं कि स्पिनर को मदद करतीं हैं जबकि कुछ गेंदे सीमर्स को हेल्प करतीं हैं. इस लेख में हमने टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली गेंदों के बारे में कुछ रोचक तथ्यों को बताया है.

 गेंद के माप तौल के बारे में;
जैसा कि हम जानते हैं कि पुरुषों की क्रिकेट गेंद का वजन 155.9 और 163 ग्राम के बीच होता है; और इसकी परिधि 22.4 और 22.9 सेंटीमीटर के बीच होती है. 

दुनिया में क्रिकेट गेंदों के 3 मुख्य निर्माता हैं:

A. कूकाबुरा (Kookaburra)

B. ड्यूक (Duke)

C. एसजी (SG)

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आइये अब इनके बारे में विस्तार से जानते हैं;

A. कूकाबूरा बॉल्स (Kookaburra Balls)
कूकाबूरा कंपनी की स्थापना 1890 में हुई थी. क्रिकेट बॉल्स का निर्माण कूकाबूरा पिछले 128 वर्षों से कर रहा है. इस ब्रांड की गेंदों को दुनिया भर में नंबर 1 माना जाता है. यह कंपनी बॉल के अलावा क्रिकेट का अन्य सामान भी बनाती है. आपने देखा होगा कि रिकी पोंटिंग कूकाबूरा बल्ले से खेलते थे.

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कूकाबुरा बॉल्स का उपयोग पहली बार 1946/47 एशेज टेस्ट सीरीज़ से ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट बोर्ड द्वारा किया गया था.

कूकाबूरा बॉल्स बेहतरीन कच्चे माल और आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करके बनायीं जातीं हैं. उच्च गुणवत्ता वाली कूकाबूरा गेंदों को ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में एक फैक्ट्री में बनाया जाता है.

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लाल कूकाबूरा का वजन लगभग 156 ग्राम होता है और इनका निर्माण 4-पीस को मिलाकर किया जाता है. इनके निर्माण में मुख्य रूप से मशीनों का प्रयोग किया जाता है.

यह गेंद कम सीम प्रदान करती है लेकिन यह गेंद 30 ओवर तक स्विंग करने में मदद करती है. स्पिन गेंदबाजों को इन गेंदों से बहुत मदद नहीं मिलती है और जैसे-जैसे गेंद पुरानी होती जाती है, बल्लेबाज के लिए बिना ज्यादा मुश्किल के शॉट खेलना आसान हो जाता है.

कूकाबूरा टर्फ बॉल का उपयोग दुनिया भर में सभी टेस्ट मैचों, सभी टी 20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों और सभी एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मैचों में किया जाता है.

किन देशों में इन गेंदों का इस्तेमाल किया जाता है;

1. ऑस्ट्रलिया

2. दक्षिण अफ्रीका

3. श्रीलंका

4. पाकिस्तान

5. न्यूज़ीलैण्ड

B. ड्यूक बॉल्स (Duke Balls)
ड्यूक्स क्रिकेट बॉल की उत्पत्ति वर्ष 1760 में हुई थी जब टोनब्रिज में इनका उत्पादन शुरू हुआ था. ये बॉल्स यूनाइटेड किंगडम में निर्मित होतीं हैं. कूकाबुरा की तुलना में ड्यूक बॉल गहरे रंग के होते हैं.

वे पूरी तरह से हस्तनिर्मित हैं और गुणवत्ता में उत्कृष्ट होतीं है. अपनी अच्छी गुणवत्ता के कारण ये गेंदें अन्य गेंदों की तुलना में अधिक समय तक नई रहती हैं.

ये गेंदें सीमर्स को अधिक हेल्प करतीं हैं. इन गेंदों की सीम 50 से 56 ओवर तक अच्छी रहती है जिसके कारण फ़ास्ट बॉलर को गेंद को स्विंग कराने में आसानी होती है. अन्य गेंदों की तुलना में ये गेंदें उछलती भी अधिक हैं. इंग्लैंड की परिस्थितियों में इन गेंदों से गेंदबाजों को बहुत अधिक गति मिलती है.

इन गेंदों का उपयोग इंग्लैंड में खेल के लगभग सभी प्रारूपों में किया जाता है.

कौन से देश इसका उपयोग करते हैं;
1. इंग्लैंड
2. वेस्ट इंडीज

C. SG बॉल्स (SG Balls)

 SG का फुल फॉर्म सन्सपेरिल्स ग्रीनलैंड्स बॉल्स होता है. सन्सपेरिल्स कंपनी की स्थापना 1931 में भाई केदारनाथ और द्वारकानाथ आनंद ने सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में की थी.

एसजी कंपनी ने पाकिस्तान में खेल के सामान बनाने शुरू किये थे लेकिन देश के बंटवारे के बाद यह कंपनी भारत के मेरठ में आ गयी थी.

वर्ष 1991 में, BCCI ने टेस्ट क्रिकेट के लिए SG गेंदों को मंजूरी दी. तब से, भारत में टेस्ट इस गेंद के साथ खेले जाते हैं. सुनील गावस्कर भी इसी की गेंदों से प्रैक्टिस करते थे.

एसजी गेंदों में एक बड़ी सीम होता है जो कि मोटे धागे की सिलाई के कारण काफी पास-पास होती है. इन गेंदों की सीम काफी उभरी हुई होती है जिसके कारण गेंद पूरे दिन के खेल के बाद भी अच्छी कंडीशन में रहती है. ये गेंदे आज भी हाथों की मदद से कारीगरों द्वारा बनायीं जातीं हैं.

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हालाँकि भारत में जलवायु सूखी होने के कारण इन गेंदों की शाइनिंग जल्दी खत्म हो जाती है. चौड़ी और उभरी हुई सीम के कारण ये गेंदें स्पिनर्स को अधिक हेल्प करतीं हैं. इनकी अच्छी बात यह है कि इनकी चमक खत्म हो जाने के बाद भी ये गेंदें 40 ओवरों तक रिवर्स स्विंग प्रदान करतीं हैं. भारत में इस प्रकार की गेंदों का उपयोग किया जाता है.

भारतीय कप्तान विराट कोहली टेस्ट मैचों में ड्यूक गेंदों को पसंद करते हैं जबकि भारतीय स्पिनर R. अश्विन; कूकाबुरा गेंदों को पसंद करते हैं और SG गेंदों को पसंद नहीं करते हैं.

तो ये थी जानकारी दुनियाभर में इस्तेमाल की जाने वाली विभिन्न गेंदों के बारे में जानकारी. उम्मीद है कि ड्यूक, कूकाबूरा और एसजी गेंदों पर यह जानकारी क्रिकेट प्रेमियों के ज्ञान को बढ़ाएगी.

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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